निराकार का संधि विच्छेद तथा संधि क्या होगी?

  • निराकार का अर्थ है जिसका कोई आकार नही होता। जब साधक शून्यावस्था में पहुंच जाता है, तो स्वयं ही साकार हो जाता है।
  • निराकार होने के लिए निराहार होना पहली शर्त है। मन मे। किसी भी तरह की तकरार या खार, दुश्मनी, द्वेष, दुर्भावना आदि रखना साधना में बाधक है।
  • निराकार करने वाला साधक एक दिन बहुत बड़ा कलाकार बन जाता है। उसका सारा सार केवल शिव ही होता है।
  • तार तार, रोम में शिव समाहित हो जाते हैं।

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