एक बहुत ही दुर्लभ जानकारी आधि और व्याधि के बारे में

1- आधि क्या है

बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि “आधि” और “व्याधि” दोनों अलग-अलग बीमारी है।
आयुर्वेद के अनुसार आधि-व्याधि 
किसे कहते हैं। इस लेख में विस्तार से 
बताया जा रहा है

आधि का अर्थ -आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार  सारे मानसिक रोग,मस्तिष्क से सम्बंधित बीमारियों और मन तथा आत्मा के विकार “आधि“कहे जाते हैं ।

■■ क्या है आधि ?■■

● माइग्रेन, ●अवसाद (डिप्रेशन),
● चिन्ता, ● तनाव, ● घबराहट (एंजाइटी),
● अनिद्रा ( नींद न आना) ● सिरदर्द,
● बालों का झड़ना, ● टूटना, ● गंजापन,
● खालित्य, ● पालित्य,  ● रूसी (डेन्ड्रफ)
● मिर्गी रोग, ● भुलक्कड़ पन,
● याददास्त की कमी,
● बार-बार भूलने की आदत,
● मानसिक अशान्ति एवं
● सभी प्रकार के मनोविकार, तथा
● कमजोर मनोबल,
● आत्मविश्वास व साहस में कमी,
● डर, भय-भ्रम, ● मानसिक वेदना
आदि अनेक ● मनोरोग “आधि” कहलाती हैं।
सार रूप में आयुर्वेद ग्रंथों में 
मन-मस्तिष्क एवं आत्मा के 
विकारों को “आधि” बताया गया है।
मन में जब “आधि” की ऑंधी चलती है,तो सोचने,समझने,विचारने की शक्ति
कमजोर कर देती है।
ऊर्जा को उड़ा ले जाती है ।
बालों का झड़ना भी
आधि रोग की श्रेणी में आता है ।

“आधि नाशक” हर्बल ओषधियाँ-

◆ भावप्रकाश,
◆ अर्क प्रकाश,
◆ योगसार संग्रह
आदि इन पुस्तकों में “आधि नाशक” जड़ीबूटियों का विस्तार से वर्णन है,
जिनके नाम निम्न हैं——
◆ ब्राह्मी, ◆ मण्डूकपर्णी,
◆ शंखपुष्पी, ◆ वच,
◆ मालकांगनी, ◆ निर्गुन्डी,
◆ जटामांसी, ◆कायफल,
◆ कदंब, ◆ नागकेशर, ◆ मधुयष्टि,
◆ शतावरी, ◆ अश्वगंधा, ◆ इलाइची,
◆ खस, ◆ दालचीनी, ◆ नीलगिरी,
◆ आँवला, ◆ सेव मुरब्बा, ◆हरड़ मुरब्बा,
◆ गुलकन्द, ◆ गुलाब फूल, ◆ मेहन्दी,
◆ अर्जुन छाल, ◆ नागरमोथा, ◆ सर्पगंधा,
◆ स्मृतिसागर रस, ◆ ब्राह्मी रसायन,
आदि यह प्राकृतिक ओषधियाँ मस्तिष्क स्थित केंद्र या संज्ञावाही नाडियों पर प्रभाव डालकर “आधि वेदना” शांत करती हैं।
आधि नाश करने वाली आयुर्वेद
की पेटेंट दवा–
ये दोनों हर्बल मेडिसिन उपरोक्त
देशी जड़ीबूटियों के बैलेंस फार्मूले
द्वारा निर्मित की जाती है।
■ यह कमजोर दिमाग को शक्ति प्रदान करने में बहुत ही लाभकारी ओषधि है।
■ यह मस्तिष्क के 88 प्रकार की “आधि” (मानसिक रोगों) को जड़ से मिटाकर
याददास्त तेज करती हैं।
ब्रेन की गोल्ड के सेवन से काम करने की तीव्र इच्छा जाग्रत हो जाती है।
■ ऊर्जा-उमंग उत्पन्न होने लगती है।
■ मस्तिष्क में रक्त नाड़ियाँ क्रियाशील होती है।
■ मानसिक रोगों तथा मस्तिष्क विकारों के
लिए ब्रेन की गोल्ड एक बेहतरीन आयुर्वेदिक
चिकित्सा है।
■ अवसादग्रस्त प्राणियों को जीवनभर
इसका सेवन अत्यन्त हितकारी है।
दिमाग की गर्मी को शान्त करने
में  ●विशेष उपयोगी है।
■ ब्रेन की गोल्ड  निरन्तर खाने से दिमाग में
फालतू के विचारों पर नियंत्रण हो जाता है।
नकारात्मक (निगेटिव) सोच में परिवर्तन होने लगता है।
■ सकरात्मक विचार आने लगते हैं।
■ साहस और आत्मबल में वृद्धि
होने लगती है।
■ आधि की आंधी शान्त हो जाती है।
स्वस्थ्य और सुखी जीवन के लिए ब्रेन की गोल्ड की वर्तमान में बेहद आवश्यकता है।
मानसिक शान्ति औऱ दिन भर ऊर्जा-उमंग
की प्राप्ति हेतु इसे सुबह खाली पेट दूध या
पानी के साथ एक माह तक नियमित लेवें।
ध्यान रखें
व्याधि के बारे में अगले लेखों में पढ़िए

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