एक महान आत्मा महाराणा प्रताप…………

महामानव महाराणा प्रताप आज 13 जून इनकी जयंती है। क्यों आज भी याद हैं। जाने 26 कारण…..

अमृतम पत्रिका, ग्वालियर मप्र से साभार-

maharana-pratap-hd-photo | Rkalert.in

संक्षिप्त इतिहास….

【१】अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार उनका जन्म 9 मई, 1540 को कुंभलगढ़ में हुआ था। इस दिन ज्येष्ठ मास की तृतीया तिथि थी, इसलिए हिंदी पंचांग के अनुसार महाराणा प्रताप जयंती 13 जून को मनाई जा रही है।

【२】बहुत कम लोग जानते होंगे कि –

वीर शिवाजी महाराणा प्रताप की 16 वीं पीढ़ी में जन्मे थे।

【३】महाराणा प्रताप की अन्त्येष्टि चावंड में हुई, तत्पश्चात महाराणा अमर सिंह गद्दी पर बैठे।

【४】1536 ईसवी सन् में मेवाड़ की गद्दी पर महाराणा उदय सिंह आये। जिनके प्राण बचपन में पन्नाधाय ने बचाए थे।

【५】महाराणा उदयसिंह ने 1569 ईसवी सन् में अपनी नई राजधानी उदयपुर बसाई। जो आज विश्व विख्यात शहर है।

【६】महाराणा उदयसिंह के ज्येष्ठ पुत्र महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 ईसवी सन् में कुंभलगढ़ के किले में महारानी जेवंता बाई, जो पलवी (पाली) की सोनीगरा चौहान राज कन्या थी, की कोख से हुआ। उस शूरवीर माता ने प्रताप को बचपन से ही अंगारों पर चलना सिखाया।

【७】 महाराणा की मृत्यु 19-1-1597 को हुई। जोधपुर व सिरोही राज्य का राज कवि, दुर्सा आडा भी उसके साथ था। यह काव्य उनका ही है-

अश ले गयो, अण दाग पाग,

ले गयो अण नामी, मेवाड़ राण जीती गयो!!

【८】महारानी पद्मिनी ने 26 अगस्त 1303 ईसवी सन् को चितौड़ के किले पर 16,000 क्षत्राणियों के साथ जौहर यानि आत्मदाह किया था।

【९】पांचवी सदी में सूर्यवंशी राजा गुहादित्य वल्लभिपुर छोड़कर राजस्थान की सीमा पर इडर राज्य में आये एंव यज्ञ करवा के अपना राज्य स्थापित किया।

【१०】फलस्वरूप उनके वंशज गुहादित्य अर्थात सूर्य के गुप्त उपासक गुहिलोत-गहलोत कहलाये।

【११】अमॄतम परिवार पुण्यात्मा महावीर महाराणा प्रताप को सादर, शत-शत

नमन करता है।

जिद करो और दुनिया बदलो….

यह इन्हीं का जीवन सन्देश था।

अपनी शर्तो-सादगी से जिये।

जीवन के रहस्यों को समझें….

【१२】समय हो या स्वास्थ्य हथेलियों से

फिसलती हवा है। इनसे सीख मिलती

है कि-यदि इम्युनिटी स्ट्रॉन्ग हो, तो

बाहरी आक्रमण कुछ नहीं बिगाड़ सकते।

【१३】स्वस्थ्य शरीर बड़े विशाल शक्तिशाली सत्ता से टकराकर धाराशाही कर सकता है।

【१४】प्राण जाएं पर वचन न जाये…

इनके जीवन में अनेक विपत्तियों

आईं, किंतु उन्होंने सम्पूर्ण शक्ति के

साथ मुकाबला किया।

【१५】शिव को साधे, सब सधे….

महाराणा प्रताप परिवार भी परम

शिवभक्त था। इनके प्रथम पूर्वज

बप्पा रावल ने एक पुराने स्वयम्भू

शिंवलिंग की खोज कर जीर्णोद्धार

कराया था। यह आज राजस्थान

का तीर्थ है।

【१६】वैदिक यंत्रालय,भाग-१/पपृ॰ ४९६ में इस मंदिर की गणना 108 उप ज्योतिर्लिंगों में की जाती है।

【१७】एकलिंग नाथ का यह अदभुत शिवालय उदयपुर से 18 km दूर श्रीनाथ मार्ग में कैलाशपुरी के नाम से स्थित है।

【१८】यहां शाम की आरती दर्शनीय है।

【१९】शिव कैलाश के वासी…..

आज उदयपुर मेवाड़ राजघराना

एकलिंगनाथ जी महादेव के प्रति

इतनी अटूट श्रद्धा है कि मेवाड़

राज्य परिवार खुद को इनका

प्रतिनिधि मानकर सब काम करता

है। यह कुल देवता मालिक हैं।

【२०】राजपूताना का इतिहास नामक

किताब के प्रथम संस्करण में

महाराणा प्रताप के पूर्वजों और

वंशावली का समूर्ण इतिहास लिखा है।

【२१】मन हारकर मैदान नहीं जीते जाते…

अकबर के दरवार में उपस्थित होकर इस मेवाड़ ने जो जबाब दिया था..

वह आज राजस्थान की धरोहर है।

तुरुक कहासी मुखपतौ,

इणतण सूं इकलिंग,

ऊगै जांही ऊगसी प्राची बीच पतंग।

【२२】महावीर महाराणा प्रताप

सन्सार में हिम्मती योद्धा के रूप में

जाने जाते हैं। जहां वीरों की बात

चलती है, तो हर किस्सा इनका

हिस्सा होता है।

【२३】शम्भू शांति देना….

भारत की रक्षा के लिए कुर्बान

इस महान आत्मा को देशवासी

प्रणाम कर स्मरण करें।

अमृतम पत्रिका परिवार

प्रेरित करता है।

【२४】सादर नमन “चेतक अश्व” को

और उन्हें भी जो महाराणा के हर

संकट में तुम्हारे साथ रहे।

【२५】कभी उदयपुर जाएं, तो इनके

ऋण से उऋण होने के लिए

इनकी और अश्व चेतक की समाधि

के दर्शन, नमन अवश्य करें।

【२६】यह स्थान श्रीनाथद्वारा मन्दिर से

लगभग 20 किलोमीटर हल्दीघाटी

में स्थित है।

 

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