आयुर्वेद मैं ऐसा क्या इलाज है ?

  • इस आर्टिकल को पूरा पढ़कर अमल करेंगे, तो बुढ़ापा जल्दी नहीं आएगा और जीवन स्वथ्य रहते हुए चैन से कटेगा।
  • आप कितने ही टेस्ट करवा लेवें अगर आपका लिवर ठीक से काम नहीं कर रहा, तो पेट खराब रहेगा। कब्ज बनी रहेगी।
  • माधव निदान के मुताबिक पाचन संस्थान गड़बड़ है, तो एक के बाद एक बीमारी शरीर में बनी रहेगी।
  • आचार्य चरक ने लिखा है कि बेहतरीन तंदुरुस्ती के लिए यकृत यानि लिवर की देखभाल कर सुरक्षित रखें। सारी बीमारी यही से ऊपजती हैं।
  • चिकित्सा चंद्रोदय ग्रंथ में बताया है कि शरीर और प्रकृति का स्वभाव एक जैसा ही होता है। जैसे प्रकृति पल में बदलती है इसे ही देह के क्रियाकलाप प्रतिपल परिवर्तित होते रहते हैं।
  • एक बार की जांच से कुछ नहीं होने वाला। बल्कि आप 24 घंटे में 7 से 8 बार टेस्ट कराएं। हर बार एक सी रिपोर्ट नहीं आयेगी।
  • उत्तम स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। ये आपकी कोशिश से मिलेगा। स्वास्थ्य की संजीवन पाने के लिए हमें यथासंभव प्राकृतिक जीवन शैली अपनाते हुए खानपान, जीवनचर्या, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद तनावरहित जीवन जीने के स्वर्णिम सूत्र अपनाना जरूरी है।

तंदुरुस्ती का आधार है दिनचर्या, भोजन और अच्छी सोच

  • आपको अपने खानपान और नियम धर्म पर देना ही होगा, तभी बीमारियों से बच पाओगे।
  • सुबह जल्दी उठना, पानी पीने के बाद चाय आदि पीकर, फ्रेश होना और कम से कम 5000 कदम पेदल चलना, ओषधि तेल द्वारा अभ्यंग कर स्नान करना। बिना कुछ खाए नहाना।
  • रोजाना कुछ देर भजन, ध्यान का अभ्यास करें। अपनी आती जाती श्वास को देखें।, रात को समय पर खाकर सोना, कब्ज से बचाव आदि प्रक्रिया आपको स्वस्थ्य बनाए रखने में सहायता करेगा।

पोषक तत्वों को लेकर जागरूक होना जरूरी

  • तात्कालिक लाभ हेतु अंग्रेजी दवाएं लेना ठीक है। लेकिन लंबे समय तक इन रसायनिक पदार्थों का सेवन सबसे पहले लिवर को नुकसान पहुंचाता है।
  • धीरे धीरे मेडिसिन की गर्मी से पेट खराब और कब्ज की समस्या होने लगती है। फिर आंतों में संक्रमण, सूजन, अल्सर होने के बाद गुर्दा यानि किडनी क्षतिग्रस्त हो जाती है।
  • एलोपैथिक डॉक्टर एक के बाद एक कोई न कोई जांच करवाकर दवाइयां बदलते रहते हैं और एक दिन ह्रदय भी कमजोर हो जाता है।
  • खून की कमी, त्वचा रोग, कम उम्र में ही बुढ़ापा आना, शीघ्रपतन, नपुंसकता, भूख की कमी, कमजोरी, चक्कर आना आदि दिक्कतें आरंभ हो जाती हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य दिवस भारत सरकार के लिए समुचित अवसर है कि वह ऐसा कदम उठाए जिससे देश की कुल आबादी लाभान्वित हो ।
  • एलोपैथिक के साइड इफेक्ट और पोषक तत्वों के बारे में सरकार जनता को विश्वसनीय जानकारी दें।

हजारों साल पुरानी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति

  • आयुर्वेद का एक नियम यह है कि ये पहले किसी बीमारी को ठीक न करके रोगप्रतिरोधक क्षमता यानि इम्यूनिटी बढ़ाकर शरीर के सिस्टम को ठीक करती हैं। और मेटाबॉलिज्म करेक्ट कर लिवर को मजबूती देती हैं।
  • आयुर्वेद सार संहिता में लिख है कि प्रत्येक प्राणी को नियमित आयुर्वेदिक टॉनिक का सेवन करना हितकारी है, ताकि भोजन समय पर पचकर, पाचक रस का निर्माण हो। नया रस रक्त और वीर्य बने।
  • आप एक बार आयुर्वेदिक ओषधि Keyliv Strong Syrup के बारे में गुगल पर खोज करें।
  • Myupchar पर keyliv का पूरा फार्मूला पढ़ें। Amalaearth, अमेजन और amrutam की वेवसाइट पर पूरी डिटेल पढ़ें।
  • मात्र एक बोतल के सेवन से आपको काफी लाभ प्रतीत होगा।

कोई तन दुखी, कोई मन दुखी

  • वर्तमान में भारत इन दिनों सामाजिक रूप से फैलने वाले संक्रामक रोगों से संबंधित स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है।
  • हर कोई मोटापा, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, कैंसर, किडनी और हृदय रोग लाखों लोग इन बीमारियों से पीड़ित हैं और इनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है।

गलत खान-पान के कर्ण नष्ट होते प्रसिद्ध खानदान

  • उक्त बीमारियों का एक मुख्य कारण है अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का बढ़ता उपभोग, जो आम तौर पर अधिक शर्करा, नमक व वसा युक्त होते हैं।
  • रोगों का श्रीगणेश बचपन से ही शुरू हो जाता है, जब शिशुओं को पाउडर वाला दूध या बाजार के सीरियल खिलाए जाते हैं।
  • स्वादिष्ट भोजन के अलावा बड़े बच्चों और वयस्कों का खान-पान अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य व पेय पदार्थों वाला होता जा रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
  • मार्केटिंग व आधुनिकता के चलते ये उत्पाद रोज के खान-पान में शामिल हो रहे हैं। यह चलन भारतीयों के स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक है।
  • इस संबंध में भारत को तुरंत कदम उठाने की जरूरत है ताकि यहां भी अमरीका, ब्रिटेन या ऑस्ट्रेलिया जैसा हाल न हो जाए जहां का 40 से 50 प्रतिशत खान-पान अत्यधिक प्रसंस्कृत है।
  • पैकेट बंद खाद्य सामग्री जैसे सॉफ्ट ड्रिंक, स्पोर्ट ड्रिंक, बिस्किट, ब्रेकफास्ट सीरियल, चॉकलेट, नूडल्स, पिज्जा और चिप्स वगैरह सभी आयु वर्ग के लोगों पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
  • ब्राजील की अनुसंधान टीम ने एक प्रणाली विकसित की है जिसे ‘नोवा वर्गीकरण’ कहते हैं। इसमें खाद्य समूह औद्योगिक प्रसंस्करण के अनुसार वर्गीकृत किए जाते हैं।
  • अक्सर अति स्वादिष्ट उत्पाद तैयार करने की प्रक्रिया में अत्यधिक प्रसंस्करण शामिल होता है। इन्हें खाने से हम स्वयं को रोक नहीं पाते और ये ‘रेडी टु ईट’ सुविधाजनक खाद्य पदार्थ परंपरागत व प्राकृतिक खाद्य पदार्थों की जगह ले लेते हैं।

इन उत्पादों से बीमार क्यों होते हैं

  • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ कम गुणवत्ता वाले पोषक तत्वों से बनाए जाते हैं और सुक्षृत रखने हेतु इनमें बेशुमार केमिकल युक्त प्रिजर्वेटिव का मिश्रण किया जाता है।
  • खाद्य संरचना को नष्ट करते हुए ये प्रसंस्कृत किए जाते हैं और इस प्रक्रिया में खाने से रेशे निकल जाते हैं। इनके लिए प्रयुक्त प्लास्टिक के पैकेटों में रसायनों, रंगों, फ्लेवर, इमल्सिफायर और स्थिरकों का प्रयोग किया जाता है। इन सभी के कारण स्वास्थ्य की गंभीर समस्याएं पैदा होती हैं।

स्टार रेटिंग बनाम स्वास्थ्य चेतावनी:

  • कंपनियां लाभ के लिए काम करती हैं। यह समझ से परे है कि भारत का खाद्य नियामक प्राधिकरण इन खाद्य पदार्थों के पैकेट पर आधे से 5 स्टार देने पर स्वास्थ्य चेतावनी छापने के। इन का प्रस्ताव क्यों रख रहा है बजाय इन उत्पादों की मार्केटिंग पर भी कोई रोक नहीं है।
  • दरअसल कंपनियां नीति निर्माताओं को भ्रमित करती हैं कि उनके खाद्य पदार्थों से भारतीय पारंपरिक खाने पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा।
  • प्रस्ताव यह कि खाद्य उत्पाद स्वास्थ्यवर्धक है या नहीं, इस संबंध में घोषणा की जाए; जबकि कंपनियां इस कोशिश में है कि इस बहस को भारतीय बनाम विदेशी खाने की ओर मोड़ दिया जाए।
  • यह पूरी तरह से भ्रामक प्रचार है। यदि भारत सरकार अस्वास्थ्यकारी खाद्य उत्पादों पर चेतावनी लगाने और इनकी मार्केटिंग पर रोक की नीति अपनाए, तो यह भारतीय जनता के लिए स्वास्थ्यकर होगा।
  • हो सकता है सेहत के लिए यह अहितकर हो। लैटिन फूड इंडस्ट्री की सरकारों ने अस्वास्थ् अमरीका व यूरोप के कई देशों की पर पहले से ही चेतावनी देना शुरू कर पदार्थो दिया है।
  • यकृत, जिगर अर्थात Liver मानव शरीर के उदर में दाहिनी तरफ देह का सबसे बड़ा अंग होता है। मात्र लिवर की सुरक्षा कर आप हमेशा हेल्दी बने रह सकते हो। लिवर मानव शरीर का फिल्टर है।
  • लिवर की खराबी या कमजोरी से पेट के दाईं ओर पसलियों के नीचे दर्द या बेचैनी बढ़ जाती है।
  • लीवर हमारे शरीर में लगभग 500 कार्यों को करता है। जिसमें आपके द्वारा खाए गए भोजन को तोड़ने के लिए पित्त बनाने से लेकर, पोषक तत्वों और विटामिनों को संग्रहीत करने और शरीर को संक्रमण और बीमारी से बचाने तक के काम शामिल है।

लीवर हार्मोन के चयापचय में भी मदद करता है

  • हार्मोन के टूटने में लीवर एक अहम भूमिका निभाता है. यह एस्ट्रोजेन को तोड़कर bile यानी पित्त को बनाता है जो कि आंतों में उत्सर्जन के लिए प्रवेश करती है।
  • अगर लीवर अधिक काम करता है तो यह हार्मोन (एस्ट्रोजेन) ठीक से स्रावित नहीं करेगा जिसके कारण महिलाओं को मासिक धर्म में ऐंठन, तरल पदार्थ के प्रतिधारण आदि के लक्षण हो सकते है।
  • यदि लीवर एण्ड्रोजन हॉर्मोन को सही से नहीं तोड़ता है जो कि पुरुषों में होता है तो उनमें मुँहासे, बालों का झड़ने, गंजापन आदि लक्षण हो सकते हैं।

मस्तिष्क का फ़ंक्शन लीवर पर निर्भर करता है

  • लीवर द्वारा ही शरीर में प्लाज्मा ग्लूकोज और अमोनिया के स्तर को नियंत्रित किया जाता है। इसके अनियंत्रित होने से यकृत मस्तिष्क विधि (hepatic encephalopathy) नामक बिमारी हो सकती है और इंसान कोमा में जा सकता है!
  • आप चाहते हैं कि मस्तिष्क ठीक से काम करे, तो लीवर का सही प्रकार से काम करना अनिवार्य है। इसीलिए आयुर्वेद के हिसाब से कहीं न कहीं लिवर का मस्तिष्क से गहरा नाता है।

लीवर विटामिन और खनिज का भंडार है

  • लोहे और तांबे के साथ विटामिन ए, डी, ई,के (A, D, E, K) और बी – 12 लीवर में जमा होते हैं? यह विटामिन D को अपने सक्रिय रूप में परिवर्तित करने में भी मदद करता है!

खुद को बुलंद बनाओ यानि आत्म बल की मजबूती जरूरी

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार स्वास्थ्य की परिभाषा मात्र बीमारियों का नहीं होना ही नहीं है, वरन यह शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्वास्थ्य की स्थिति है।
  • देशभर में तेजी से खुलते नए अस्पतालों, चिकित्सकों की संख्या बढ़ने एवं चिकित्सा क्षेत्र में नित नई दवाइयों एवं नूतन चिकित्सा पद्धतियों के बावजूद लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारियों में वृद्धि होती जा रही है।
  • WHO विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्वभर में हाइपरटेंशन, डायबिटीज, सांस एवं हृदय संबंधी बीमारियां, कैंसर एवं सड़क हादसे मृत्यु के प्रमुख कारण हैं।
  • भारत में भी लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार 8 में से 1 भारतीय को उच्च रक्त चाप यानि बीपी हाई की समस्या है।
  • भारत को डायबिटीज कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड भी कहा जा रहा है। अनुमान है कि भारत में 2025 में 22 करोड़ के करीब मधुमेह यानि डायबिटीज की मार झेलेंगे।
  • नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम के अनुसार भारत में 1900 व्यक्ति रोजाना कैंसर के कारण मृत्यु के मुख में जाकर परिवार को कंगाल बनाकर जा रहे हैं।
  • आधुनिक चिकित्सा के जनक हिप्पोक्रेट्स के अनुसार ‘फूड इज मेडिसिन’ यानी आधुनिक भोजन ही अंग्रेजी दवा खाने जैसा है।
  • अत्याधुनिक चिकित्सा पद्धति के पास दूषित वायु दूषित जल, दूषित भोज्य पदार्थ एवं उससे उत्पन्न रोगों को जड़ से ठीक करने की संजीवनी आयुर्वेद के अतिरिक्त दूसरी नहीं है।

आयुर्वेद की प्राचीन लाइफ स्टाइल अपनाएं

  • उत्तम स्वास्थ्य चिकित्सकों के पास या अस्पतालों में नहीं, वरन व्यक्ति की दिनचर्या, खानपान एवं मानसिक सोच पर निर्भर करता है।
  • पहला सुख निरोगी काया प्राप्त करने के लिए हमें समय पर गहरी नींद लेने का अभ्यास करना होगा।
  • मोटापा, चर्बी और वजन को नियंत्रित करना होगा एवं शारीरिक व्यायाम करते हुए प्रकृति प्रदत्त सूत्रों की ओर लौटना पड़ेगा।
  • रोज सुबह जल्दी उठकर व्यायाम को जीवन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बनाना होगा।
  • प्रातःकाल के व्यायाम, सुनहरी धूप और स्वच्छ हवा से मस्तिष्क में को सेरोटोनिन एवं डोपाइन जैसे हैप्पीनेस हार्मोन की मात्रा बढ़ती है। ये हार्मोन व्यक्ति को तनाव से दूर रखते हुए शरीर व मन को प्रफुल्लित रखने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • खानपान में मीठा, नमक, तेल का सीमित उपयोग एवं रेशेदार फलोंहरी सब्जियों का सेवन व्यक्ति को हृदय रोग, हाइपरटेंशन, डायबिटिज जैसी बीमारियों से दूर रखने में सहायक होता है।
  • नियमित पैदल चलना, ओषधि तेल की मालिश, व्यायाम से हार्ट अटैक का खतरा भी कम होता है। ई

दुनिया अब सायकल पर चल पड़ी है

  • साइकिलिंग के बढ़ते प्रचलन से स्वास्थ्य संवर्धन एवं वातावरण के बढ़ते प्रदूषण को कम करने का रास्ता खुला नीदरलैण्ड, नॉर्वे, स्वीडन जैसे छोटे देशों से सीख कर यदि भारत की 10 प्रतिशत जनता भी साइकिलिंग को अपना ले, तो बहुत लाभदायक होगा।
  • तम्बाकू, सिगरेट, शराब, गुटखा, आदि की लत को कम करते हुए इसे त्यागने का संकल्प लेवें।

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