आंखों के लिए अयुर्वेदिक अवलेह, जो नेत्ररोग मिटाकर रोशनी बढ़ाता है.

      • आयुर्वेदिक ग्रन्थ रस-तन्त्र सार,
      • आयुर्वेद सार संग्रह,
      • भावप्रकाश निघण्टु,
      • चरक सहिंता,
      • में वर्णित ओषधियों के उपयोग से अपनी आंखों की चिकित्सा घर बैठे कर सकते हैं।

अब दूर तक देखो.…लोगों की लापरवाही…..आई की माल्ट से ठीक करें अपनी आंखें।

रोशनी बढ़ाने में चमत्कारी है ये हर्बल माल्ट…

      1. नेत्रों का सम्पूर्ण उपचार कर प्रकार के नेत्ररोगों या आंखों की परेशानियों से राहत दिलाता है।
      2. .कम दिखाई देना, लालिमा आना या लाल आंख एक या दोनों आंखों में हो सकती है इसके अनेक कारण हैं जिनमें निम्न लक्षण सम्मिलित हैं-
      3. आंखों में सूजन,
      4. कम दिखना,
      5. माइग्रेन आधाशीशी का दर्द,
      6. आंखों में लाली,
      7. नेत्रों में थकान, तनाव,
      8. आंखों में सूखापन यानि ड्राइनेस्स,
      9. कम या साफ न दिखना,
      10. आंखों का आना,
      11. आंखों में नमी न होना,
      12. दूर या पास का न दिखना,
      13. मोतियाबिंद की समस्या,
      14. आँखों में चिड़चिड़ाहट,
      15. आंखों में खुजली होना,
      16. आँखों में दर्द बने रहना,
      17. आंखों में निर्वहन,
      18. धुंधली दृष्टि,
      19. आँखों में बहुत पानी आना,
      20. प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता (Sensitivity to light ) आदि समस्याओं का अन्त, अब 100 प्रतिशत आयुर्वेदिक अवलेह अमृतम आई की माल्ट से करें।
      21. अमृतम लेकर आया है आपकी आंखों के लिए एक बेहतरीन आयुर्वेदिक ओषधि।
      22. जिसमें अनेक तरह की जड़ीबूटियों के अलावा, काढ़ा, क्वाथ, रस-भस्म, मेवा, मुरब्बो का उपयोग किया है।
      23. आई की माल्ट तनाव, धुंधुलापन, आंख आना, आंखों में थकान, पलको में सूजन, आंखों का किरकिरापन, आंख आना, पानी आना, सूजन, जलन, मोतियाबिंद आदि सब समस्याओं से बचाता है।
      24. अमृतम आई की माल्ट लेने से नयनों की ज्योति तेज होती है। यह नेत्र रोग के कारण होने वाला आधाशीशी के दर्द से निजात दिलाता है।
      25. Eyekey malt में मिलाया गया त्रिफला क्वाथ नेत्र ज्योति बढ़ाने के साथ साथ बालों को भी झड़ने से रोकता है।
      26. Eyekey malt आवलां मुरब्बा एंटीऑक्सीडेंट होने से यह शरीर के सूक्ष्म नाडीयों को क्रियाशील बनाता है।
      27. गुलकन्द शरीर के ताप ओर पित्त को सन्तुलित करती है।
      28. लाल आँखें रहना…लाल आंखें (या लाल आंख) एक ऐसी स्थिति है जिसमें आंख की सफेद सतह लाल हो जाती है या “रक्तमय” हो जाता है।
      29. आई की माल्ट में मिश्रित ओषधियाँ नेत्रों के सभी विकार हर लेती हैं।
      30. आई कि माल्ट का नियमित सेवन करें। यह नेत्र की सूक्ष्म रक्त नाड़ियों को बल देकर दर्शन शक्ति को घटाने से रोकता हैं।
      31. नेत्रज्योति में वृद्धिकर जाला, फूला, दृष्टि दोष, कम दिखाई देना, मोतियाबिंद, चक्कर आना आदि समस्याओं का स्थायी निदान है।
      32. अमृतम आई की माल्ट में उपरोक्त सभी रस-औषधियों का समिश्रण है। इसे जीवन भर वेझिझक सेवन कर सकते हैं।
      33. अमृतम EYE KEY Malt तीन माह तक नियमित दूध के साथ लेने से आंखों की चमक, रोशनी बढ़ाता है।
      34. आई की माल्ट पुतलियों को गीला तथा साफ रखने में मदद करता है।

यह सोलह आना आयुर्वेदिक औषधि है। आई कि माल्ट के साइड इफ़ेक्ट कुछ भी नहीं है, जबकि साइड बेनिफिट अनगिनत हैं। एक महीने लगातार लेने से आप अदभुत आनंद की अनुभूति प्राप्त करेंगे।

  • ग्यारह आसान घरेलू उपाय और आयुर्वेदिक अवलेह के 34 फायदे आपकी आंखे स्वास्थ्य रखने में मदद करेंगे…
    • ज्योतिष रहस्य ग्रन्थ में कहा गया है कि सूर्य और चंद्रमा ये ब्रह्मांड के दो नेत्र हैं।
    • अतः सूर्य चन्द्र को नित्य प्रणाम करने से नेत्रज्योति उज्ज्वल होकर, त्रिकाल दृष्टि की प्राप्ति होती है। सूर्य को नमन करने से आज्ञाचक्र में स्पंदन होने लगता है।
  • ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को आंखों की रोशनी और नेत्र संबंधी रोग का कारक ग्रह माना गया है।
  • संसार में रोशनी का आधार सूर्य है। जन्मपत्रिका का दूसरा घर दायें (राइट) आंख और बारहवां घर बायें (लेफ्ट )आंख से संबंधित बीमारी, परेशानी आदि स्थितियों को दर्शाता है।

अवधूत शिव साधक कहते हैं-

एक आंख में सूरज साधा, एक में चंद्रमा आधा।

दो आंखों से रख ली शिव ने इस जग की मर्यादा।

    • इसलिए आंखों को स्वस्थ्य बनाये रखने के लिए सूर्योदय के समय सूर्य को हाथ जोड़कर ईशवर मुद्रा में प्रणाम, नमन करें। हो सके तो सूर्य के अष्टाक्षरी मन्त्र –
    • !!ॐ घृणि: सूर्यादित्योंम!! का प्रतिदिन 12 बार जप करें।
  • भगवान भास्कर के बहुत ही दुर्लभ स्तोत्र और ओर भी हैं, जिसकी चर्चा आगे करेंगे।
  • स्मरण रखें- शिवलिंग स्वरूप सूर्य ही स्वास्थ्य रक्षक देवता हैं। अगर हमें सदैव तन्दरुस्त रहना है, तो साक्षात जगदीश यानी जगत को दिखने वाले ईश का ध्यान जरुरी है।
  • नेत्ररोगों की मूल वजह…भाग्य जगाने के लिए रोज की भागमभाग से आंखों में गन्दगी, कचरा आना स्वाभाविक है।
  • कम्प्यूटर, मोबाइल, टीवी की स्किन लगातार देखते रहने से नेत्रों में लचीलापन एवं नमी कम होती जाती है।
  • आंखे सूखने लगती हैं। नेत्र में गीलापन न होने से सूजन आदि प्रकट होकर अनेक नेत्रविकार पनपने लगते हैं।
  • दूषित वातावरण तथा प्रदूषण के कारण भी आंखों में जलन, खुजली, थकान आदि से आंखों की पुतलियों पर जोर पड़ता है।
  • अधिकांश लोग नेत्रों की सुरक्षा के लिए रसायनिक आई ड्राप का उपयोग करते हैं। यह केवल बाहरी उपचार है।
  • आंखों के अंदरूनी इलाज के लिए आयुर्वेद में 55 से ज्यादा द्रव्यों का वर्णन है। जैसे-
    • त्रिफला चूर्ण, त्रिफला मुरब्बा,
    • त्रिफला घृत , ख़श, पुदीना,
    • तुलसी, गुलाब जल, ब्राह्मी,
    • जटामांसी, सप्तामृत लोह,
    • स्वर्णमाक्षिक भस्म, सेव मुरब्बा,
    • करौंदा मुरब्बा, गुडूची,
    • दारुहल्दी, गाजर मुरब्बा,
    • त्रिफला काढ़ा, गुलकन्द,
    • लोध्रा, मुलहठी, समुद्रफेन,
    • पुर्ननवा मूल, शतावरी,
    • नीम कोपल, अष्टवर्ग,
    • चोपचीनी, शहद,
    • स्वर्ण रोप्य भस्म-
    • स्वर्ण भस्म, ताम्र भस्म, लौह भस्म,
    • यशद भस्म, प्रवाल शंख, मुक्ति शुक्त,
    • सिंदूर बीज, फिटकरी भस्म, नोसादर,
    • कुचला, पिपरमेंट, नीलगिरी तेल, लौंग,
    • दालचीनी, त्रिकटु चूर्ण, जटामांसी,
    • कुटकुटातत्वक भस्म, वंग भस्म,
    • शुध्हा गूगल बच, पीपरामूल, पोदीना सत्व, पारद भस्म, सज्जिकाक्षर, चन्दन, जीरा,
    • ख़श ख़श, नागकेशर ओर बहुत कम मात्रा में बेल मुरब्बा जामुन सिरका।
    • पेठा, जावित्री, जायफल अनार जूस, ब्राह्मी, शतावर, विदारीकन्द, अदरक, मधु,इलायची, नागभस्म, ताम्र भस्म, स्वर्णमाक्षिक भस्म ,प्रवाल भस्म आदि 55 से अधिक ओषधियाँ नेत्र चिकित्सा में लाभकारी है।
  • EYEKEY Malt आईकी माल्ट उपरोक्त औषधियों से निर्मित एक आयुर्वेदिक अवलेह है, जिसे बेझिझक हमेशा सेवन कर सकते हैं।

क्यों बढ़ रहीं हैं आंखों की बीमारियां?…

  • ..दुनिया में अधिकांश लोग आंखों की कोई प्राकृतिक चिकित्सा नहीं करते।
  • बाहरी या खतरनाक रसायनिक दवाओं से बचें!
  • अक्सर देखा गया है कि-देह में छोटे-क्षणिक रोग जैसे-सिरदर्द, सर्दी-जुकाम, खांसी, बदन दर्द आदि के लिए अंग्रेजी दवाओं का भरपूर उपयोग करते रहते हैं। इन सबका असर आंखों की रोशनी पर भी पड़ता है।
  • जैसी दृष्टि-वैसी सृष्टि…आयुर्वेदिक शास्त्रों में यहां तक लिखा गया है कि गलत दृष्टि, द्वेष-दुर्भावना, कुविचार, गन्दे चलचित्र, ब्लूफिल्म, दूषित साहित्य आदि के भोग से भी नयन सुख कमजोर होने लगता है।
    • आंखों का वैदिक मन्त्र द्वारा इलाज…नेत्ररोगों से छुटकारा हेतु चक्षुउपनिषद ग्रन्थ के चक्षु मन्त्र अर्थात नेत्रज्योति, दिब्यदृष्टि के बारे में जाने-पहली बार-
  • कृष्ण यजुर्वेद शाखा के चक्षुउपनिषद में आंखों को स्वस्थ रखने के लिए सूर्य प्रार्थना का मंत्र का वर्णन है।
  • इस मंत्र का नियमित पाठ करने से नेत्र रोग ठीक होकर दूर दृष्टि प्राप्त होने से भाग्योदय होने लगता है।
  • प्राचीन काल के परमपूज्य त्रिकालदर्शी महर्षि चक्षुष्मती विद्या के जाप-पाठ करने से तीन लोक को देखने जानने की विद्या में पारंगत हो जाते थे।
  • बनारस के महान पावाहारी शिव साधक संतश्री विश्वनाथ यति जी महाराज के अनुसार इस सूर्य चक्षु (नेत्र) विद्या मन्त्र के पाठ से उन लोगों की आंखें भी स्वस्थ्य होने लगती हैं, जब सारी चिकित्सा व्यवस्था हार मान लेती है। जिनकी रोशनी अल्पायु में ही कमज़ोर हो गयी है, उन्हें भी इस मंत्र के जप से लाभ मिलता है।
    • आंखों को स्वस्थ रखने वाला सूर्य मंत्र…हथेली में एक चम्मच जल लेकर 3 बार भगवान विष्णु का ध्यान कर, अपनी आंखों की रोशनी बढ़ाने की प्रार्थना करते हुए नीचे का विनियोग पढ़कर जल को जमीन पर डाल देंवें।

विनियोग : –

  • ॐ अस्याश्चाक्षुषीविद्याया अहिर्बुध्न्य ऋषिः, गायत्री छन्दः, सूर्यो देवता, ॐ बीजम्, नमः शक्तिः, स्वाहा कीलकम्, चक्षूरोगनिवृत्तये जपे विनियोगः।

चक्षुष्मती विद्या:-

    • ॐ चक्षुः चक्षुः चक्षुः तेजस्थिरोभव।
    • मां पाहि पाहि।
    • त्वरितम् चक्षूरोगान् शमय शमय।
    • ममाजातरूपं तेजो दर्शय दर्शय।
    • यथाहमंधोनस्यां तथा कल्पय कल्पय।
    • कल्याण कुरु कुरु यानि मम पूर्वजन्मोपार्जितानि चक्षुः प्रतिरोधक दुष्कृतानि सर्वाणि निर्मूलय निर्मूलय।
    • ॐ नमश्चक्षुस्तेजोदात्रे दिव्याय भास्कराय।
    • ॐ नमः कल्याणकराय अमृताय ॐ नमः सूर्याय।
    • ॐ नमो भगवते सूर्याय अक्षितेजसे नमः।
    • खेचराय नमः महते नमः रजसे नमः तमसे नमः।
    • ॐ असतो मा सदगमय!
    • तमसो मा ज्योतिर्गमय!
    • मृत्योर्मा अमृतमगमय!
    • ॐ नेत्ररोग शान्ति: शांति शांति:: !
    • उष्णो भगवान्छुचिरूपः
    • हंसो भगवान् शुचिप्रतिरूपः।
    • ॐ विश्वरूपं घृणिनं जातवेदसं
    • हिरण्मयं ज्योतिरूपं तपन्तम्।
    • सहस्त्ररश्मिः शतधा वर्तमानः
    • पुरः प्रजानामुदयत्येष सूर्यः।।
    • ॐ नमो भगवते श्रीसूर्यायादित्यायाऽक्षितेजसेऽहोवाहिनिवाहिनि स्वाहा।।
    • ॐ वयः सुपर्णा उपसेदुरिन्द्रं
    • प्रियमेधा ऋषयो नाधमानाः।
    • अप ध्वान्तमूर्णुहि पूर्धि-
    • चक्षुर्मुग्ध्यस्मान्निधयेव बद्धान्।।
    • ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः।
    • ॐ पुष्करेक्षणाय नमः।
    • ॐ कमलेक्षणाय नमः।
    • ॐ विश्वरूपाय नमः।
    • ॐ श्रीमहाविष्णवे नमः।
    • ॐ सूर्यनारायणाय नमः।।
    • ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।
    • ॐ नेत्ररोग, चक्षुदोष, सर्वविध शांति।

फलश्रुति-इस पाठ से होने वाला लाभ…

य इमां चाक्षुष्मतीं विद्यां ब्राह्मणो

नित्यमधीयते न तस्य अक्षिरोगो भवति।

न तस्य कुले अंधो भवति न

तस्य कुले अंधो भवति।

अष्टौ ब्राह्मणान् ग्राहयित्वा विद्यासिद्धिर्भवति।

विश्वरूपं घृणिनं जातवेदसं हिरण्मयं पुरुषं ज्योतीरूपं तपंतं सहस्ररश्मिः शतधावर्तमानः पुरःप्रजानामुदयत्येष सूर्यः ॐ नमो भगवते आदित्याय।

सार यही है कि चक्षु मन्त्र के निरन्तर जाप से नेत्रविकारों का सर्वथा नाश होकर अनेक सिद्धियां आने लगती हैं। सम्मोहन विद्या, तंत्र, मन्त्र का ज्ञान बढ़ता है। जमीन में गढ़ा धन दिखाई पड़ता है।

  • नेत्ररोग आयुर्वेद के अनुसार….आंखों की रोशनी कम होने या करने में पित्त दोष का सर्वाधिक योगदान है।
  • लगातार कब्जियत बनी रहने या नियमित पेट साफ न होने से वात-पित्त-कफ का संतुलन बिगड़ जाता है।
    • रात में दही खाना,
    • दिन में नमकीन दही का सेवन,
    • अरहर दाल अधिक लेना,
  • रात में फल, जूस, सलाद लेना आदि इन सब वजह से शरीर में त्रिदोष व्यापने लगता है, जिससे मस्तिष्क भारी होकर नेत्र ज्योति कम होने लग जाती है।
  • आयुर्वेद सहिंता में बताया है कि-अधिक आलस्य, कसरत-व्यायाम, अभ्यङ्ग न करना, ज्यादा सोना, चाय बहुत पीना, बिना स्नान किये नाश्ता या भोजन करने, अन्न, बिस्कुट आदि लेने से भी अनेक रोग पनपते हैं।
  • सिगरेट, शराब का हमेशा भक्षण करने से भी आंखों की रोशनी क्षीण होने लगती है।

नजर के मामले में ज्यादातर लोग लापरवाही बरतते हैं जबकि नजर के रोगों को कभी नजरअंदाज न करें।

  1. बहूत सरल 11 घरेलू उपचार…सुबह खाली पेट 2 या 3 बताशे घी में सेंककर उस पर कालीमिर्च, सैंधानमक भुरख कर खाएं उसके बाद एक घण्टे पानी न पिएं।
  2. महा त्रिफला घृत, नागकेशर, जीरा, त्रिकटु आदि की मात्रा अपने नित्य भोजन में सम्मिलित करें।
  3. भोजन के बाद एक पका हुआ केला, इलायची एवं सेन्धान नमक के पॉवडर के साथ उपभोग करें।
  4. रसतन्त्र सार आयुर्वेदिक योग नामक पुस्तक के मुताबिक सप्तअमृत लोह, नवायस लोह, ताम्र भस्म, त्रिवंग भस्म, अभ्रक भस्म, प्रवाल पिष्टी, मोती भस्म सभी समभाग लेकर इसका दोगुना अमृतम त्रिफला चूर्ण मिलाकर 500 मिलीग्राम की एक खुराक बनाकर दिन में दो से तीन बार अमृतम मधु पंचामृत के साथ सेवन करने से जीवन भर आंखों की रोशनी कभी भी कम नहीं होती।
  5. याद रखें- अधिक मात्रा में हल्दी, अदरक, लहसुन, अंडे, नीम की पत्ती, करेला का रस न लेवें।
  6. जिस आंख में तकलीफ हो उसके विपरीत पैर के अगूंठे में सुबह 4 से 5 बजे के बीच ब्रह्म महूर्त में स्नान करके सफेद अकौआ का दूध कम मात्रा में पैर के अंगूठे के नाखून पर लगाये।
  7. आयुर्वेदिक शास्त्रों में आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए तांबे के पात्र/बर्तन में सुबह की धूप में रखा हुआ जल पीने की सलाह दी गई है।
  8. सुबह उठते ही पानी मुह में भरकर उससे आंखे धोएं।
  9. अमृतम त्रिफला चूर्ण रात को खाएं। सुबह त्रिफला पावडर से बाल व आंख धोएं।
  10. बताशे को गर्म कर यानी देशी घी में सेंककर उस पर कालीमिर्च पावडर भुरखकर खाली पेट 3 से 4 बताशे खाकर एक घण्टे पानी न पिएं।
  11. रोज नंगे पैर प्रातः की धूप में सुबह दुर्बा में 100 कदम उल्टे चलें।

पाप-कुकर्म भी देते हैं बीमारी…रोगों के मूल कारण इंसान के पूर्व जन्‍म या इस जन्‍म के पाप ही होते हैं. इसलिए आयुर्वेद में कहा है कि देवताओं का ध्‍यान-स्‍मरण करते हुए दवाओं के सेवन से ही शारीरिक और मानसिक रोग दूर होते हैं-

जन्‍मान्‍तर पापं व्‍याधिरूपेण बाधते।

तच्‍छान्तिरौषधप्राशैर्जपहोमसुरार्चनै:।।

  • जप, हवन, देवताओं का पूजन, ये भी रोगनाशक ओषधियाँ हैं।

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