【】सुबह उठ कर खाली पेट अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए। आयुर्वेद के हिसाब से सुबह जागने के समय जठराग्नि यानि उदर में गर्मी होती है, इसलिए यदि सादा पानी पियें,तो और भी लाभकारी होता है।
सुबह उठते ही पानी पीने के फायदे –
प्रातः खाली पेट 2 से 3 गिलास पानी पेट और शरीर के अंदर की सभी प्रक्रियाओं को सक्रिय कर इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधी क्षमता) को मजबूत बनाता है |
पानी न सिर्फ हमारी प्यास बुझाता है बल्कि हमारे पाचन-तंत्र (मेटाबॉलिज्म) को भी दुरुस्त रखता है।
आप कुछ दिन बिना खाए तो रह सकते हैं लेकिन बिना पानी के जीवित रह पाना मुश्किल है, क्योंकि
जल ही जीवन है और जल के बिना जीवन मुमकिन नहीं।
पानी की परंपरा
प्रातः पानी पीने की परंपरा बहुत पुरानी है।
बुजुर्ग कहते थे कि पानी हर रोज की दवा है।
एसिडिटी होने पर हर दो मिनिट में एक घूंट पानी पीना अत्यंत लाभकारी है।
पानी न सिर्फ हमारी प्यास बुझाता है बल्कि पाचन-तंत्र से लेकर मस्तिष्क के विकास तक में अहम भूमिका निभाता है। पानी मानव जीवन के लिए बहुमूल्य है और बचपन से ही हम पानी से होने वाले लाभ के बारे में सुनते आये हैं। किसी भी बीमारी में पानी रामबाण की तरह काम करता है। प्राकृतिक उपचार के रूप
में पानी का प्रयोग कई सदियों से अलग-अलग तरीकों से में होता आया है।
पानी पीने का तरीका -कैसे पियें पानी
【】पानी हमेशा ऐसे पियें, जैसे खा रहे हो तथा खाना ऐसे खाएं जैसे पी रहे हों अर्थात पानी बैठकर धीरे-धीरे, सिप-सिप कर पीना चाहिए ।
【】खड़े होकर पानी पीने से शरीर के
जोड़ों में दर्द होता है । पेशाब में रुकावट, सिरदर्द, दिमाग में तनाव और शरीर में
भारीपन रहता है।
पानी कम पीने से होती हैं बीमारियां –
[[1]] हमारा दिमाग 90 प्रतिशत पानी से बना है। पानी न पीने से भी सिर दर्द होता है।
[[2]] पानी जोड़ों को चिकना बनाता है और जोड़ों का दर्द भी कम करता है।
[[3]] हमारी मांसपेशियों का 80 प्रतिशत भाग पानी से बना हुआ है। इसलिए पानी कम पीने की वजह से निम्न समस्या हो जाती हैं
◆ बाल झड़ने लगते हैं
◆ तनाव पैदा होकर बना रहता है।
◆ पथरी यानि स्टोन पड़ जाती है।
◆ चेहरे पर पिंपल्स होने लगती हैं।
◆ त्वचा पर फंगस, खुजली हो सकती है।
◆ यूरिन इन्फेक्शन होने लगता है।
कैसे खाएं खाना
【】खाना बहुत धीरे-धीरे, एक निबाले को 32 बार चबाकर खाने से आंते मजबूत होती हैं, कभी , पेटदर्द, अम्लपित्त, एसिडिटी
उदर रोग और गैस के विकार नहीं होते ।
【】खाने के 40 या 50 मिनिट पहले जल ग्रहण करने से मोटापा नहीं बढ़ता। खाने के तुरन्त बाद पानी नहीं पियें । इससे उदर की अग्नि (जठराग्नि) कमजोर पड़ जाती है, जिस कारण पेट में “कब्ज का कब्जा” और एसिडिटी का अटैक हो जाता है ।
【】पानी कम पीने से पेट साफ नहीं होता,तो समय पर भूख नहीं लगती । इस विषय पर विस्तार से एक पूरा लेख पूर्व में दिया जा चुका है।
“प्राकृतिक रत्नसार”
नामक शास्त्र में बताया है कि
{{}} प्रातः का नाश्ता भरपेट करना चाहिए ।
यह स्वर्ण के समान है ।
{{}} दुपहर का भोजन चाँदी के स्वरूप तथा रात का भोजन जहर के समान बताया है । रात में कभी गरिष्ठ, (ज्यादा तेल घी युक्त भोजन) या भरपेट खाना खाने से शरीर के सब कोशकाएँ एवं अवयव कमजोर हो जाते हैं । रक्त संचार सुचारू रूप से नहीं हो पाता ।
सुबह का नाश्ता (ब्रेकफास्ट) सूरज निकलने के ‘3 घण्टे’ तक लेना बहुत ही लाभकारी है ।
सुबह फल,जूस,मठा,छाछ,लस्सी, दूध,द्राक्षा,सलाद, आदि एवं रोटी,
ब्रेड हो अथवा पराठे में
“अमृतम गोल्ड माल्ट“ 2 या 3 चम्मच लगाकर खाने से पूरे दिन ऊर्जा-शक्ति का एहसास होता है ।
■ मन प्रसन्न रहता है।
■ काम में मन लगता है ।
सुबह के नाश्ते के बाद कभी विश्राम न करे ।
रात के भोजन में केवल मूंग की दाल, दलिया, खिचड़ी,हल्का भोजन कर, कम से कम 200 कदम टहलना चाहिए । भोजन के 1 घंटे बाद 2 या 3 गिलास पानी पीकर सोने से नींद बहुत अच्छी,गहरी आती है । सुबह उठते ही
पेट साफ हो जाता है ।
दुपहर के भोजन पश्चात कुछ देर आराम कर सकते हैं । सुबह के समय गरिष्ठ, घी-तेल से भरपूर भोजन भी लाभकारी है। थोड़ी मिठाई में भी लेना लाभदायक रहता है। दुपहर के भोजन में मीठा का उपयोग जोड़ो में नवीन रस-रक्त निर्माण करता है । लेकिन पानी खाने के एक घंटे बाद ही पीवें ।
यदि लेना जरूरी हो,तो रात में सोते समय “ऑर्थोकी गोल्ड माल्ट 2 चम्मच सादा जल या दूध के साथ एवं “ऑर्थोकी गोल्ड कैप्सूल”1 साथ में लेने से सुबह मल विसर्जन द्वारा सारे उदर विकार निकल जाते हैं । वातरोग से बचाव होता है ।
फ्रिज़ से निकाले हुआ खाद्य-पदार्थ का सेवन कुछ समय ठहर कर करें,तो तन के लिए बहुत लाभकारी है ।
बना हुआ खाना एक घंटे के अंदर खाना बेहत्तर होता है । ज्यादा ठन्डे खाने के नुकसान यह है कि वह पचता नहीं है।
खाना खाने के बाद हमेशा 5 या 8 मिनिट वज्रासन करने से खाना तुरन्त पच जाता है । पेट रोग नहीं होते । चर्बी नहीं बढ़ती,मोटापे से बचाव होता है ।
आँखों की सुरक्षा – सुबह उठते ही आखों को ठंडे पानी से धोना चाहिए ।
अघोरी की तिजोरी से– अवधूत की भभूत
भगवान भास्कर के परम् उपासक,
सूर्य विज्ञान के प्रवर्तक
परमहँस श्री श्री स्वामी विशुद्धानंद जी,
जिन्होंने विश्व के वैज्ञानिकों के समक्ष सबसे खतरनाक जहर पीकर दिख दिया था ।
इन्हें !!शत-शत नमन!!
इनके अनुभव पर रचित चमत्कारी पुस्तक
“मनीषी की लोकयात्रा“,
में बताया है कि प्रातः ब्रह्म महूर्त में कोइ यदि हरि घांस पर नंगे पैर 1 माह तक 50 कदम उल्टा चले,तो आँखों का मोतियाबिन्द
कट जाता है । आखों की रोशनी बढ़ती है ।
इस उपाय से बहुत लोगों को फायदा हुआ ।
रात को हर हाल में 9 – 10 बजे तक सोने की कोशिश करना चाहिए ।
आयुर्वेद में चीनी , मैदा , सफेद नमक ये तीनों अधिक लेने पर जहर हो जाते हैं ।
सब्जी-दाल आदि में अजवाइन, जीरा,हल्दी,धनिया,गरममसाला,लालमिर्च डाल कर खाना चाहिये ।
खाना हमेशा नीचे बैठकर व खूब चबाकर
ग्रहण करें ।
सुबह दूध में हल्दी डालकर पीने से वायरस,केन्सर,ज्वर से रक्षा होती है ।
शाम को 5 बजे के बाद कभी चाय न पियें, इससे रात में नींद नहीं आती ।
अमृतम आयुर्वेद का प्रभाव–
अब दुनिया भी सृष्टि की अतिप्राचीन चिकित्सा
भी मानने लगी है । इसके कोई हानिकारक दुष्प्रभाव नहीं हैं । हर्बल चिकित्सा तत्कालअसर नहीं दिखाती, किन्तु रोगों को अंदर से ठीक करने में इसका कोई सानी नहीं हैं ।
अमृतम आयुर्वेदिक ओषधियां कभी स्वादिष्ट नहीं होती। क्यों कि नीम,चिरायता,
अमृतवल्लरी आदि घटक असरदायक,
तो हैं किंतु स्वादहीन होते हैं ।
आयुर्वेद ग्रंथों के
“अमृतम वचन” में लिखा है कि-
तन ही वतन है
तंदरुस्त तन, स्वस्थ मन तथा स्वच्छ वतन
ही हमारा उद्देश्य होना चाहिए । इसके लिए सुबह जल्दी उठकर बेखुटके, मटके का 2-3 गिलास पानी पीओ । तन ही वतन है इसको बचाने के लिये हर जतन,प्रयत्न, करने हेतु अमृतम हर्बल दवाएँ, अपनाएं जैसे-
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