यकृत (लिवर) की रोगनाशक जड़ीबूटियां

तपती गर्मी में रखे– अपने लिवर का ख्याल
प्राचीन काल में पहले आदिवासी एवं
गर्मिन क्षेत्रो के निवासी
लीबार यानि यकृत की रक्षा हेतु
मकोय एवं पुर्ननवा  जैसी जड़ीबूटियों 
की भाजी (सब्जी) बनाकर
भोजन के साथ खाया करते थे।
यह पुराने समय से
लिवर की प्राकृतिक
सर्वोत्तम दवा है।
जो सदियों से लिवर को
क्रियाशील व मजबूत
बनाने में उपयोगी हैं।
लिवर को सदैव स्वस्थ्य रखने वाली
ओषधियाँ निम्न लिखित हैं-
【】धनिया,
【】शुण्ठी
【】पिप्पली
【】अजवायन
【】नागरमोथा
【】निशोथ
【】कुटकी
【】कालमेघ
【】करील
【】गुलकन्द
【】वायविडंग
【】हरीतकी मुरब्बा
【】आंवला मुरब्बा
【】भृङ्गराज
【】अर्जुन छाल
यकृत रोगों को दूर करने में और
 सदपरिणाम की सुनिश्चितता के लिए
जिन्दगी भर इसका सेवन अत्यन्त
हितकारी है।
उपरोक्त जड़ी बूटियाँ किसी भी जड़ीबूटी
विक्रेता या पंसारी के यहां आसानी
से मिल जाती हैं।
लिवर की रक्षा हेतु इन सभी को
सम मात्रा में लेकर काढ़ा बनाये।
इस काढ़े को दिन में 3 से 4 चम्मच
सुबह शाम एक गिलास पानी में
मिलाकर हमेशा लेते रहने से कभी भी
■ यकृत रोग नहीं होता।
■ पेट साफ रहता है
■ भूख खुलकर लगती है।
■ गैस, एसिडिटी नहीं बनती।
■ पेट की अनेक बीमारियों से राहत मिलती है।
■ चयापचय विकार
(Metabolic disorders)
■ लिवर में सूजन
■ भोजन का समय पर न पचना
झंझट से बचने के लिए-
      अमृतम
कीलिव माल्ट
Online उपलब्ध है
कीलिव माल्ट 
17 प्रकार के यकृत रोग एवं
पेट की तकलीफों को दूर करने
में सहायक है।
https://www.amrutam.co.in/shop/amrutam-malts-ancient-indian-formulation-ayurveda-medicine-for-all-ages/keyliv-malt/

आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से बात करें!

अभी हमारे ऐप को डाउनलोड करें और परामर्श बुक करें!


Posted

in

by

Tags:

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *