लिवर की समस्या इसका स्थाई समाधान भी है आयुर्वेद में

लिवर के स्पर्श दोष यानि इंस्फेक्शन

कहीं आपका लिवर खराब तो नहीं है
कैसे करें – खराब लिवर की पहचान।
कहीं आप यकृत रोग से पीड़ित, तो नहीं हैं?
दिनोदिन आपका लिवर खराब तो नहीं
हो रहा, इन बातों के प्रति आपको सचेत
रहना बेहद जरूरी है, क्योंकि अगर आपका लिवर फंक्सन ठीक से काम नहीं कर रहा है, तो आपको बहुत सी बीमारियों का सामना
करना पड़ सकता है। इनसे बचने के लिए यह जानना जरूरी है कि आपका लिवर ठीक

ढंग से कार्य कर रहा है या नहीं।

भारत में बहुत से लोगों को यकृत रोग हैं अथवा जिन्‍हें लिवर की समस्‍या है किन्‍तु उनकी चिकित्सा सही समय पर, ठीक से नहीं हो पाती।
एक सर्वे में पाया कि भारत में 55% लोग
लिवर की समस्या से परेशान हैं।
यकृत की इस बीमारी से पीड़ित ज्‍यादातर
लोग मोटे होते हैं या फिर, शराब या नशे का सेवन अधिक करते हैं।
वर्तमान युग में लिवर का रोग अब बुजुर्गों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्‍कि यह अब युवा वर्ग और कम उम्र के लोगों को भी होने लगा है। लिवर की तकलीफ के कारण नवयुवकों
को ज्यादा होने से जवानी में ही बुढ़ापे
के लक्षण प्रतीत होने लगते हैं।
जानकारी का अभाव
बहुत ही कम लोगों को यह जानकारी है, कि लिवर जब 70 से 80 फीसदी तक
क्षतिग्रस्त (डैमेज) हो चुका होता है, तब
इसके लक्षण दिखाई देने शुरू होते हैं।
यकृत ठीक तरीके से कार्य नहीं करे,
तो उदर को काफी तकलीफ उठानी
पड़ सकती है।
लीवर में स्पर्श दोष (इंफेक्शन) की वजह कोई पुरानी बीमारी या अनुवांशिक (हेरिडिटी) भी हो सकती है। कोई भी स्थिति जो लिवर को क्षति पहुंचाती है और उसे ठीक से काम करने से रोकती है। ऐसे में लीवर अपना काम सही तरीके से कर पा रहा है या नहीं, ये जानना बेहद ज़रूरी हो जाता है। तो चलिए, आज आपको अमृतम के आर्टिकल में बताते हैं, यकृत विकार होने के कुछ कारण व लक्षण, जिन्हें लीवर खराब होने की स्थिति में जानकर तुरंत आयुर्वेदिक इलाज किया जा सकता है-
पेट में होने वाला दर्द – पेट दर्द की समस्या यूँ तो कई कारणों से हो जाती है लेकिन यदि पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में या पसलियों के नीचे दाहिने भाग में नियमित दर्द रहता है, तो मानिए आपके यकृत (लीवर) में कोई समस्या है।
पेट पर सूजन आना – पेट पर सूजन आने से पेट का बेतुके तरीके से बाहर की ओर निकल जाना “लीवर सिरोसिस रोग” का संकेत है जिसमें पेट में द्रव्य/तरल पदार्थ (फ्लूड) जमा होता जाता है और आँतों (Intestines) से रक्तस्राव होने लगता है और इसकी वृद्धि होने से यकृत में कर्कट रोग यानि लीवर कैंसर भी हो सकता है।

क्या है लीवर सिरोसिस रोग — 

लगातार उदर विकारों के कारण या विभिन्‍न कारणों से लंबे समय में जिगर को होने वाला नुकसान, जिसकी वजह से यकृत में जख्म/घाव हो जाते हैं और जिगर काम करना बंद कर देता है।

त्वचा (स्किन) पर चकत्ते या निशान आना

त्वचा पर लगातार खुजलाहट (इचिंग) होने से पड़ने वाले चकत्ते लीवर की खराबी की ओर संकेत करते हैं। शारीरिक विज्ञान के मुताबिक त्वचा की बाहरी सतह का नम बने रहना ज़रूरी होता है, लेकिन यकृत विकार होने की स्थिति में त्वचा की सतह पर पाए जाने वाले द्रव्य में कमी आने से खाल मोटी, शुष्क हो जाती है और इस पर खुजली वाले चकत्ते पड़ने लगते हैं।

पीलिया (jaundice) होना

इस रोग में चमडी और श्लेष्मिक झिल्लियों
(Mucous membranes)
के रंग में पीलापन आने लगता है। ऐसा खून में पित्त रस (Bile juice बाइल जूस) की अधिकता के कारण होता है। रक्त में अल्परक्तकणरंजक (बिलरुबिन) हीमोग्लोबिन में पाया जाता है, जो लाल रक्त कोशिका का एक प्रमुख घटक है।
जब पचेगा, तो ही कुछ बचेगा
हमारा लिवर पित्त रस का निर्माण करता है जो भोजन को पचाने और शरीर के पोषण के लिये जरूरी है। यह खाने को आंतों में सडने से रोकता है। इसका काम पाचन प्रणाली (Digestive system) को ठीक रखना है। अगर पित्त ठीक ढंग से आंतों में नहीं पहुंचेगा तो पेट में गैस की शिकायत बढ जाती है और शरीर में जहरीले तत्व एकत्र होने लगते हैं।
पीलिया के लक्षण
■ आँखों का रंग पीला हो जाए और
■ त्वचा सफ़ेद होने लगे,
■ पेशाब बहुत पीली आने लगे,
■ भूख खत्म हो जाए, तो ये संकेत है खून में पित्त वर्णक बिलीरुबिन का स्तर बढ़ने के, जिसके कारण शरीर से अनावश्यक दूषित पदार्थों का बाहर निकलना संभव नहीं हो पाता और लीवर खराब होने का ये लक्षण पीलिया के रूप में दिखाई देता है।
बेचैनी रहना – अम्लपित्त (एसिडिटी) और अपच जैसी पाचन सम्बन्धी परेशानियों का प्रभाव भी लीवर पर पड़ सकता है, जिससे लीवर क्षतिग्रस्त अर्थात डैमेज हो सकता है। रोग के रूप में जी मिचलाना और उल्टी आने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
वजन कम होते जाना – अपने-आप तेज़ी से वजन कम होतेे जाना अच्छा संकेत नहीं होता है। यकृत विकार के कारण भूख लगती ही नहीं है या फिर, कम लगने लगती है जिसकी वजह से वजन कम होता जाता है। इसका अहसास होने पर तुरंत आयुर्वेदिक इलाज करवाना बेहद ज़रूरी है। इसके लिए
कीलिव माल्ट बहुत ही विलक्षण ओषधि है।
मल में होने वाले परिवर्तन – 5 लक्षण
लीवर खराब होने की स्थिति में
{{१}} समय पर पेट साफ नहीं होता,
{{२}} कब्ज़ की शिकायत रहने लगती है,
{{३}} मल सूखकर कड़ा आता है।
{{४}} मल के साथ खून आने लगता है और
{{५}} मल का रंग मटमैला, काले रंग का हो जाता है। इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें।
मूत्र में परिवर्तन – लीवर पित्त का निर्माण करता है लेकिन लीवर खराब होने पर रक्त में पित्त वर्णक बिलीरूबिन का स्तर बढ़ जाता है जिसके कारण मूत्र का रंग गहरा पीला हो जाता है और खराब हो जाने के कारण लीवर इस बढ़े हुए वर्णक को किडनी के ज़रिये बाहर निकाल नहीं पाता है।
शरीर के अन्य भागों में सूजन – पैरों, टखनों और तलुओं में तरल जमा होने लगता है, जिससे इन भागों में सूजन आ जाती है और ये यकृत के गंभीर रूप से खराब होने का लक्षण है। इस स्थिति में जब आप त्वचा/स्किन के सूजन वाले भाग को दबाते हैं, तो दबाने के काफी देर बाद तक भी वो स्थान दबा हुआ रहता है।

थकान महसूस होना

सामान्य रूप से रोज़ाना थोड़ी थकान महसूस होना स्वाभाविक है लेकिन अगर अत्यधिक थकान महसूस होने लगे, चक्कर आने लगे और मांसपेशियों में कमज़ोरी महसूस हो, तो ये लीवर के पूरी तरह खराब होने के संकेत हैं। इसके अलावा
त्वचा का रूखा होना कभी-कभी लिवर की खराबी का नतीजा भी होता है।
जिगर की बीमारी की वजह से कभी समय पर नींद आने का चक्र भी गड़बड़ा जाता है
और भ्रम जैसी स्थिति बनने लगती है जिससे व्यवहार में भी बदलाव आने लगते हैं। याददाश्त भी कमजोर होने लगती है।
लीवर फेल हो जाने की स्थिति में सन्यास (कोमा) में जाने के हालात भी बन सकते हैं।
मितली आना
यदि लिवर को तकलीफ होती है, तो इंसान को बार बार मितली या उबकाई आने जैसा लगता है। कई केसों में उल्‍टी के साथ खून के थक्‍के भी दिखाई देते हैं।
नींद ना आना 
लिवर अगर खराब होने लगता है तो रोगी को नींद कम आती है। दिनभर आलस्य से भरा हुआ, थका हुआ दिखाई देता है और सुस्‍त नजर आता है।
बार-बार बुखार आना
लिवर की खराबी की वजह से रोगी को बुखार आता है और उसके मुंह का स्‍वाद बिगड़ जाता है। यही नहीं, उसके मुंह से बदबू भी आने लगती है।
भूख न लगना 
इस दौरान रोगी को भूख नहीं लगती और उसके पेट में गैस, बदहजमी
 और एसिडिटी की समस्‍या बनने लगती है। यही नहीं इससे उसके सीने में जलन और भारीपन की भी शिकायत बढ़ जाती है। इसके साथ ही छाती में जलन और पेट और सिर में भारीपन भी होता है।
फीवर न होने पर भी मुंह का स्वाद खराब हो जाना और लगातार कड़वापन बना रहना, यह भी लीवर की खराबी के कारण हो सकता है। यही नहीं लिवर की खराबी होने पर अमोनिया की अधिकता के कारण मुंह से बदबू आना भी शुरू हो जाता है।
यकृत में विकार होने से पहले शरीर देता है ये संकेत… पहचाने लिवर की खराबी के ये 7 लक्षण 
यकृत की तकलीफ या लिवर की खराबी अब बच्चों व नई उम्र की पीढ़ी में भी देखने को मिलने लगी है। लिवर के खराब होने पर शरीर को कुछ संकेत मिलते हैं। जैसे –
【1】आंखों में पीलापन,
【2】खून की कमी,
【3】बहुत दिनों तक भूख न लगना,
【4】कमजोरी, चक्कर आना
【5】भोजन न पचना,
【6】बार-बार बुखार/फीवर आन
【7】अत्यधिक थकान होने, ये लिवर में परेशानी होने के लक्षण हैं।
【8】उल्‍टी जैसा मन रहता हो,
तो आपको भी यह आलेख/ब्लॉग जरूर पढ़ना चाहिये।
ऐसे में लीवर जैसा शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग यदि खराब होने लगे, तो ये गंभीर बीमारी का रूप ले सकता है। ऐसे में आप अपने शरीर में होने वाले हर छोटे बड़े परिवर्तन के प्रति चेतन्य रहिये, ताकि समय रहते यकृत विकारों की गंभीर बीमारियों से बचा जा सके और आप हमेशा यूँ ही स्वस्थ-तंदरुस्त बने रह सकें
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अपने लिवर को स्वस्थ रखने के लिए ज़रूरी है,
कीलिव माल्ट तत्काल लेना शुरू कर दें, ताकि  शरीर का हर एक अंग अपना कार्य सही तरीके से करता रहे।

कीलिव माल्ट के 17 फायदे  

(19 Benefits of Keyliv Malt)

कीलिव माल्ट”यकृत एवं प्लीहा की सम्पूर्ण समस्या निराकरण हेतु बहुत ही लाभकारी ओषधि है।
चिकित्सा ग्रन्थों में उल्लेख है कि वर्षा व ग्रीष्म ऋतु में लिवर की विशेष सुरक्षा करना चाहिए।
इन दिनों प्रदूषित जल के कारण अनेकों बीमारी पनपने लगती है।
इसके लिये कीलिव माल्ट
यकृत रक्षक के रूप में अटूट विश्वसनीय ओषधि है।

लिवर  की समस्या का स्थाई समाधान हेतु

पुराना खानपान
प्राचीन काल में गाँव के लोग यकृत की रक्षा हेतु “मकोय” एवं “पुर्ननवा” की भाजी (सब्जी) बनाकर खाने के साथ खाया करते थे यह पुराने समय से
लिवर की प्राकृतिक सर्वोत्तम दवा है।
कीलिव माल्ट में मिलाये गए घटक द्रव्य
【】धनिया, 【】नागरमोथा 【】निशोथ
【】कुटकी 【】कालमेघ 【】करील
【】अर्जुन【】वायविडंग 【】शुण्ठी
【】पिप्पली 【】अजवायन 【】 तुलसी
【】भूमिआवला 【 】मकोय【】मुलेठी
【】घृतकुमारी (एलोवेरा) 【】त्रिफला
【】भृङ्गराज【】अर्जुन छाल
【】हरीतकी मुरब्बा 【】आंवला मुरब्बा
【】द्राक्षा (मुनक्का)
【】त्रिकटु 【】सौंफ 【】जीरा
【】स्वर्णमाक्षिक भस्म 【】शुद्ध स्फटिक
【】गिलोय घन क्वाथ 【】पुर्नवादी मंडूर
【】प्रवाल पंचामृत
आदि जड़ी बूटियाँ हैं, जो सदियों से लिवर को
क्रियाशीलमजबूत बनाने में उपयोगी हैं।
इन सबको एक विशेष विधि से सभी
मुनक्का,हरड़,आवला मुरब्बा एवं गुलकन्द
पीसकर 10 से 15 दिनों तक मंदी आंच में सिकाई करके,
फिर, इसमें काढ़ा बनाकर मिला कर 
पकाया जाता है। ततपश्चात ठंडा होने पर सुगन्धित मसाले,
प्रक्षेप और यकृत रोग नाशक रस-भस्मों का
मिश्रण होता है।

कीलिव माल्ट

जीर्ण, गम्भीर एवं घातक यकृत रोगों में सुनिश्चित परिणाम के लिए जिन्दगी भर इसका सेवन अत्यन्त हितकारी है। शल्य चिकित्सा संबंधित व्याधियों को छोड़कर अधिकांश यकृत विकारों के लिये कीलिव माल्ट तुरन्त असरकारक अचूक ओषधि है।
दूषित पाचन तन्त्र  (मेटाबोलिज्म) को शुध्द करने में यह चमत्कारी है।
कीलिव माल्ट से 19 फायदे
1-चयापचय विकार
(Metabolic disorders)
2-लिवर में सूजन
3-भोजन का समय पर न पचना
4-उदरी ( Dropsy)
5-यकृत वृद्धि
6-खून का कम बनना
7-भूख की कमी
8-खाने की इच्छा न होना
9-पांडु पीलिया वृद्धि
10-पाचन सम्बन्धी विकार
11-रक्तसंचार की शिथिलता
12-रक्ताल्पता
13-गुल्म
14-संग्रहणी
15-आंतों की निर्बलता
16-अरुचि
17-यकृत की न्यून कार्यक्षमता आदि
18- त्वचा का रूखा होना,
19- यूरिन का रंग बदलना,
आदि गम्भीर यकृत रोगों में फायदेमंद है।
अत्यधिक थकान होने ये लिवर में परेशानी होने के लक्षण हैं।
कीलिव माल्ट का नियमित सेवन
किया जाए, तो लिवर की बीमारी से
के साथ-साथ थाकान, आलस्य, सुस्ती
बचा जा सकता है।

कीलिव माल्ट

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लिवर की अनेक अज्ञात बीमारियों को दूरकर, ठीक करने में सहायक है।
यकृत व पेट के रोगों से  परेशान लोगों को एक बार इसका इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। इसमें डाली गई “मंडूर भस्म“ रक्ताल्पता अर्थात खून की कमी दूर करने के लिए बहुत ही फायदेमंद है।
 
कैसे सुरक्षित रखें लिवर को 
यकृत प्रकिण्व यानि लिवर इंजाइमों का उत्‍पादन करता है जो कि सभी अंगो द्वारा इस्‍तेमाल किया जाता है। सल्‍फर से भरपूर आहारों जैसे, अंकुरित अनाज, पत्‍ता गोभी और ब्रॉकली जैसी सब्‍जियां का सेवन करें। ये लिवर को इंजाइम उत्‍पादन करने में मदद करती हैं।
खाली पेट दही का सेवन और अमरूद, पपीता एवं अनार खाना हितकारी होता है।

ध्यान देवें

एंजाइम शरीर में विभिन्न प्रकार के प्रोटीन का निर्माण करते हैं
खाना मंदी आंच में पकाना अच्छा होता है।
इससे आपके शरीर में फ्री रैडिकल्‍स नहीं बनेंगे  वहीं कोई कोशिका भी नुकसान नहीं होगा।
हमेशा जैविक, नेचुरल खाद्य पदार्थों को ही
खायें। इनमें कम कीटनाशक होते हैं और ये प्राकृतिक भी हैं। रसायन और कीटनाशक यकृत में जम जाते हैं जिन्‍हें निकाल पाना बहुत मुश्किल होता है।
लिवर की सुरक्षा हेतु विटामिन और मिनरल वाले आहार होने जरुरी हैं। जैसे, गाजर, ब्रॉकली, बादाम, आलू आदि जरूर खाएं।

अधिक पानी पियें

प्रतिदिन 10 से 12 गिलास पानी पीना शुरू कर दें। इससे पेशाब खुलकर आएगी  आपके शरीर से गंदगी बाहर निकलेगी और लिवर की गन्दगी साफ होगी।
आँवला मुरब्बा एंटीऑक्‍सीडेंट्स फ्री रेडिकल्‍स को क्षतिग्रस्त (डैमेज) होने से रोकता है। पत्‍ता गोभी, गाजर, गोभी, सोयाबीन, अंकुरित अनाज, और फिश ऑयल आदि में खूब सारा एंटीऑक्‍सीडेंट होता है।
तनाव,डिप्रेशन रखें दूर
तनाव कभी न लें क्योंकि तनाव और अवसाद
से कई शारीरिक बीमारियां होने लगती हैं। इससे पाचन प्रणाली को हानि पहुंचती है।
रोज व्‍यायाम यानि एक्सरसाइज काे अपनी
आदत बना लें, इससे आपका रक्तसंचार
(ब्‍लड सर्कुलेशन) अच्‍छा होगा और जमी चर्बी जल जाती है। इससे तन- मन प्रसन्न रहता है। हो सके, तो मॉर्निंग वाक, तैराकी और साइकिलिंग जरूर करें।
अगर लिवर संबंधित यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो, तो जरूर शेयर करें।

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