बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज – पाइल्सकी माल्ट

आप भी पाइल्स की परेशानियों 

से बच सकते हैं

बवासीर तन की तासीर बिगाड़ देता है

मरीज को बवासीर/पाइल्स/अर्श रोग का पता नहीं चलता। गुदा में लम्बे समय तक सूखापन रहना,ख़रीश महसूस होना, मस्सों की वजह से जोर लगाने पर खून आने का मतलब है कि आपको पाइल्स हो चुकी है

अर्श/बवासीर रोग का कारण है

– कब्ज,

इसके लगातार बने रहने से पाइल्स नामक रोग
उत्पन्न हो जाता है, जिसके कारण
■ बैठने-उठने,
■■  चलने-फिरने और
■■■  काम करने में भी कष्ट होता है।
कई लोग इस रोग को छुपाते हैं, फिशर/भगन्दर/फिस्टुला की सबसे बड़ी वजह भी कब्जियत का होना है। यदि पाइल्स से बचना है, तो कब्ज न रहने दें।

कब्ज का कब्जा –

कब्जियत पाचन तन्त्र की उस स्थिति को कहा जाता है जिसमें किसी व्यक्ति का मल बहुत कड़ा होकर मल त्यागने में बहुत कठिनाई का अनुभव होता है। एक बार में पेट साफ नहीं हो पाता। ज्यादा जोर लगाने भी मल/स्टूल नहीं निकलता है।

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व आसपास की नाड़ियाँ/नसें कमजोर हों जाने के कारण बवासीर की आशंका अधिक रहती है।

 अर्श 【बवासीर) रोग –

 मनुष्य की गुदा/मल द्वार के बाहरी भाग में
 3 आँटे होते है। उन्हीं को संस्कृत में “आवर्त
 या “बलि” कहते हैं।
 पहला ऊपर के आँटे को
  “प्रवाहिणी” कहते हैं, इसका काम मल के
  साथ वायु को बाहर निकालना है।
  दूसरा बीच के आँटे या बलि का नाम सर्जनी है। इसका काम मल और वायु को एक साथ तेजी से बाहर पटकना है।
  तीसरा है – ग्राहिणी या संवरणी। इसका कार्य है हवा एवं मल को बाहर निकालकर गुदा को ज्यों की त्यों कर देना है।

 इन तीनो आँटे/आवर्त में ही बवासीर या अर्श के  मस्से होते हैं।

 पाइल्स 6 प्रकार का होता है और इसका
 शर्तिया एवं स्थाई इलाज या बचने के उपाय जानने के लिए आगे के ब्लॉग में पढ़िए
 यदि आप पाइल्स से बहुत ज्यादा पीड़ित हैं, तो
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