आयुर्वेद की सफलता देख,
सरकार भी हैरान,
अब आयुरवेद और एलोपैथी
का एक साथ इलाज,
पूरे देश में लागू करने की प्लानिंग…..
चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि-
देश में होने वाली कुल मौतों में से
60 फीसद के लिए निम्नलिखित
बीमारियां जिम्मेदार होती हैं।
वात रोग, उदर विकार,
थाइराइड, डायबिटीज,
कैंसर, पक्षाघात, हृदय व
निमोनिया श्वांस से परेशान
मरीजों के लिए इनसे संबंधित
बीमारियों के इलाज में एलोपैथी और आयुर्वेदिक दवाओं के एक साथ
प्रयोग का पायलट प्रोजेक्ट सफल हुआ है।
सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेस (सीसीआरएएस)
ने आयुर्वेदिक फार्मूले से आयुष-क्यूओएल-2सी नामक दवा बनाई है। एलोपैथी के साथ इस आयुर्वेदिक दवा का इस्तेमाल एम्स, दिल्ली और
जॉन्स मेडिकल कॉलेज,
बेंगलुरु में स्तन व सर्वाइकल कैंसर
के मरीजों के जीवन को बेहतर बनाने में किया जा रहा है।
कुछ समय पहले मंत्री श्रीपद नाइक
ने राज्यसभा में बताया था कि डायबिटीज, कैंसर, किडनी व दिल की बीमारियों के लिए प्रामाणिक आयुर्वेदिक दवाएं विकसित की गई हैं, जो काफी प्रभावी और
कारगर साबित हो रही हैं।
स्वस्थ्य भारत अभियान.…
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के तहत आने वाले एनबीआरआइ और सीआइएएमपी
ने बीजीआर-34 नाम की
आयुर्वेदिक दवा विकसित की है।
यह डायबिटीज के इलाज में कारगर
साबित हो रही है।
आयुर्वेदिक दवाएं हैं प्रभावी….
सरकार अब आयुर्वेद के विस्तार पर विचार कर रही है। वर्ष 2017 में व्यापक रूप से शुरू की गई इस योजना के तहत अब तक लगभग 10 लाख मरीजों की जांच की जा चुकी है। इनमें लगभग एक लाख से अधिक मरीजों को लंबे समय तक उपचार के लिए चुना गया था।
गंभीर मरीजों को आयुर्वेद के इलाज से फायदा भी मिला….
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कैंसर, डायबिटीज, हृदय व सांस से संबंधित बीमारियों व पक्षाघात (स्ट्रॉक) पर नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम एनपीसीडीसीएस की औपचारिक शुरुआत वर्ष 2010 में की गई थी और इसे पूरे देश में चलाया भी जा रहा है, लेकिन वर्ष 2017 में पहली बार स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय और आयुष मंत्रालय के बीच इस योजना में आयुर्वेद को शामिल करने पर समझौता हुआ।
विनम्र निवेदन…
अब लोग एलोपैथिक दवाओं से
ऊब चुके हैं।
आयुर्वेद रोगों को
ठीक नहीं करता बल्कि शरीर के पूरे
सिस्टम को ठीक करके रोगप्रतिरोधक
क्षमता में वृद्धि करता है, जिससे बार-बार
बीमारियां उत्पन्न नहीं होती।
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