त्रिफला का मुख्य घटक बहेड़ा फल वास्तुदोष मिटाता है। मार्च मास में घर लाएं फल। जाने उपयोग का तरीका

बहेड़ा के बारे में 50 रोचक जानकारी

  • वास्तु दोष की शांति के लिए 12 बहेड़ा फल की माला सफेद धागे में बनाकर मंदिर में बुधवार के दिन टांग देवें।
  • बहेड़ा को संस्कृत में बिभितकी, भूतवास भी कहते हैं। सूजन के समय कच्चे बहेड़ा की माला मुख्य द्वार पर लटकाने से घर के सभी दोष नाश हो जाते हैं। भूत प्रेत, टोटका, जादू का दुष्प्रभाव दूर होता है।
  • विभीतक: विगतं भीतं रोगभयमस्मात् इति। जिससे रोगों का भय न रहे।
  • बहेड़ा कफ को संतुलित करने वाली सर्वश्रेष्ठ ओषधि है और बालों को झड़ने से रोकता है। यह त्रिफला चूर्ण का मुख्य घटक है।
  • Did you know?

Bibhitak in avaleha form (form like Chawanprash) mixed with honey treats all kind of respiratory disorders related to Kaphadosha.

बहेड़ा आयुर्वेद में हरीतक्यादिवर्गः की जड़ी बूटी है।

  • अथ बिभीतकस्य/विभितकी नामानि गुणाँश्चाह।संस्कृत की हस्तलिखित पांडुलिपि में बहेड़ा के फायदे, गुण, लाभ बताए गए हैं।

बिभीतकस्त्रिलिङ्गः स्यादक्षः’ कर्षफलस्तु सः।

कलिनुमो भूतवासस्तथा कलियुगालयः।।

बिभीतकं स्वादुपाकं कषायं कफपित्तनुत्।

उष्णवीर्यं हिमस्पर्शं भेदनं कासनाशनम्।।

रूक्षं नेत्रहितं केश्यं कृमिवैस्वर्यनाशनम्बि।

भीतमज्जातृछर्दिकफवातहरी लघुः॥

कषायो मदकृच्चाथ धात्रीमज्जाऽपि तद्गुणः।।

(भावप्रकाशनिघण्टुः)

  1. बहेड़े के नाम तथा गुण अर्थात- – बिभीतक (यह शब्द तीनों लिङ्गों में होता है), अक्ष, कर्षफल, कलिद्रुम, भूतवास और कलियुगालय ये सब संस्कृत नाम बहेड़े के हैं।
  2. बहेड़ा के फायदे-मधुर विपाक वाला, कषाय रसयुक्त, कफ व पित्त का नाशक, उष्णवीर्य वाला, शीतस्पर्श वाला, मल का भेदन करने वाला, कास का नाशक, रूक्ष, नेत्र रोग नाशक होता है।
  3. बहेड़ा बालों के लिये हितकर, कृमि तथा स्वरभेद को दूर करने वाला होता है।
  4. बहेड़े की मींगी-प्यास, वमन और कफ एवं वायु का नाश करने वाली, लघुपाकी, कषाय रसयुक्त और मदकारक होती है। इसी भाँति आँवले की मींगी या गुठली के भी ये ही सब गुण हैं।
  5. बहेड़ा के विभिन्न भाषाओं में नाम
  6. हिंदी में – बहेड़ा, फिनास, भैरा, बहेरा।
  7. बंगाली में बयड़ा, बोहेरा, बेहरी, बेहेड़ा।
  8. मराठी में -बेहड़ा, बेहाड़ा, धाटींग, बहेला, बहड़ा।
  9. गुजराती में – वेहेड़ा, बेड़ा।
  10. कन्नड़ में – तोड़े, तोरै, तारेकायि।
  11. तेलगु में- तडिचेट्टु, बल्ला, ताड़ि, तनिक्काय, तनि, तन्द्रा, तोन्दी।
  12. तमिल में – अक्कम, तन्री, तनितांडी, तोअण्डी, तोखांडी, तंरिक्कय, तनी, कट्टुएलुपय।
  13. मलयालम में- बहेड़ा। प० – बहेड़ा । मु०बहेड़ा।
  14. फारसी में० – बलेले, बलेला, बलैलाह।
  15. अंग्रेजी में- बलेलज़।
  16. अंरबी में०-Belliric Myrobalan; (बेल्लिरिक् मैरोबेलन्)।
  17. Beddanut (बेड्डानट) । ले० – Terminalia bellirica Roxb. (टर्मिनेलिया बेल्लिरिका ) | Fam. Combretaceae (कॉम्ब्रेटॅसी)।
  18. बहेड़ा की पैदावार हमारे देश के प्राय: सभी प्रान्तों में बहेड़े का वृक्ष देखने में आता है, विशेष कर नीची पहाड़ियों पर अधिक पाया जाता है । यह जंगल, पहाड़ तथा ऊँची भूमि में उत्पन्न होता है।
  19. बहेड़ा का वृक्ष – बहुत विशाल हुआ करता है। ऊँचाई १८ से ३० मीटर तक होती है। स्तम्भ मोटा, सीधा, खड़ा, गोलाकार होता है।
  20. बहेड़ा की छाल – १२ मि.मी. तक मोटी, कालापनयुक्त या नीलापनयुक्त खाकी रंग की होती है।
  21. बहेड़ा की लकड़ी-हल्की खाकी या किञ्चित् पीलापनयुक्त होती है।
  22. बहेड़ा की शाखायें प्राय: २ से ३ मी. लम्बी होती हैं किन्तु कभी-कभी ६ मी. लम्बी शाखायें भी देखने में आती हैं।
  23. बहेड़ा के पत्ते – महुवे के पत्तों के समान ७.५ से.मी. से २० से.मी. तक लम्बे तथा ५- ७.५ इञ्च चौड़े होते हैं। ये विषमवर्ती प्रायः छोटी-छोटी टहनियों के अन्त में सघन रहते हैं।
  24. प्रायः पतझड़ में इसके सब पत्ते गिर जाते हैं और चैत तक नवीन पत्ते निकल आते हैं।
  25. बहेड़ा का फूल – ७.५ से.मी. से ९ से.मी. तक लम्बी सीकों पर नन्हें फूलों की मञ्जरियाँ आती हैं। ये मैले खाकी या फीके हरे रंग के होते हैं।
  26. बहेड़ा फल – २.५ से.मी. लम्बा, गोलाभ और अण्डाकार होता है।
  27. पतझड़ में जब इसके पुराने पत्ते गिर जाते हैं और नवीन पत्ते आते रहते हैं; प्राय: उसी समय फूल भी आते हैं। शीतकाल के प्रारम्भ में उस पर फल लग जाते हैं और अगहन पूस तक पक जाते हैं। वृक्ष से बबूल के गोंद के समान एक प्रकार का गोंद निकलता है। फलों की मींगी (बीज मज्जा) से तेल निकाला जाता है।
  28. किसी-किसी वाटिका में बहेड़े का वृक्ष देखने में आता है। वर्षा के प्रारम्भ में छिलके रहित गुठलियों को भूमि पर फेंक देने से ही वे अङ्कुरित हो पौधे के रूप में परिणत होती हैं। इसकी परिचर्या हरीतकी के पौधों के समान करनी चाहिये ।
  29. बहेड़ा का रासायनिक संगठन – इसके फल में १७% टैनिन द्रव्य रहता है तथा इसकी मींगी में २५% तक हल्के पीले रंग का तैल रहता है । इसके अतिरिक्त राल, सैपोनिन आदि द्रव्य रहते हैं।
  30. बहेड़ा गुण और प्रयोग – बहेड़े का विशेष उपयोग त्रिफला के रूप में होता है। इसका अर्ध पक्व फल विरेचक और पूरा पका हुआ या सूखा फल संकोचक माना जाता है। इसका उपयोग खाँसी, गले के रोग, स्वरभंग, ज्वर, उदर, प्लीहावृद्धि, अर्श, अतिसार, कुष्ठ आदि रोगों में होता है ।
  31. आंखों की तकलीफ दूर करता है बहेड़ा यह मस्तिष्क के लिये बल्य है। नेत्र पर इसका लेप लाभकारी है ।
  32. बहेड़ा की गुठली या मज्जा वेदनास्थापक, शोथघ्न और कुछ मदकारी है। मूज्जा का तेल बालों के लिये अत्यन्त पौष्टिक, रंजक एवं कण्डूघ्न और दाहशामक है। मज्जा अथवा छिलके को भूनकर मुख में रखने से खाँसी में बहुत लाभ होता है।

सेवन विधि मात्रा — चूर्ण २-५ ग्राम एक दिन में जल से

Baheda churn – The immuno-booster

  • The current situation of Covid-19 is a nightmare for everyone and we all are on the tracks of keeping our immune systems safe. Aren’t we all panicking about the medicinal and Ayurvedic remedies and products that assure to keep our immune system boosted? The immediate need is avoiding diseases that are related to the respiratory tract which include Kapha diseases. As usual, Ayurveda has the answer to everything. Baheda also known as Bibhitak (Vibhikti or Vibhakti) is the element that balances Kaphadosha in the body which is the need of the hour.

Baheda and Hair

  • The increasing issues of baldness and premature greying of hair has become a major cause of concern in the young generation. Choosing Ayurvedic treatment aspect can be a wise idea. The solution to it in Ayurveda is Baheda. Bibhitak promotes hair growth and reduces premature greying. Nonetheless, it also handles problems like dandruff and cures it. One of the way of use can be applying Baheda powder along with rose water and coconut oil on the scalp.
  • Rare properties of Baheda
  • It is a less known fact that Baheda actually has Anti-cancer properties. It is believed to have cytotoxic properties that help in irradiating tumor cells. Interesting fact is that it’s extract had different effects on cancer and non-cancer cells and hence didn’t significantly affect the later ones.
  • Another rare property of Bibhitak is that it is Anti-Diabetic. It’s ability to reduce serum glucose in the body is the main reason for this.
  • Nervous system – Yes, Baheda has delineated its use in the most vital and intricate system of our body. The Seedpulp displays a sedative effect and hence is often used to calm pain. Insomnia and Vaat related disorders are also treated by Bibhitak.

Role of Baheda in curing body systems

  • Digestive system – The treatment of Baheda on digestive system problems is closely related with it’s properties. Due to it’s hot property, Baheda is remembered to increase appetite and support in digesting heavy foods. Raw fruit of Bibhitak is purgative but ripe fruit supervisions diarrhoea. The sour taste (Kashay Ras) addresses issues like vomiting and nausea. Apart from these, inclusion of Bibhitak in medication of Anorexia, Gaseous distension, Worm infestation and Piles is helpful. The purgative property of it’s raw fruit stops bleeding during piles.
  • Respiratory tract – By reducing inflammations in the respiratory tracts, Baheda gives good outcomes in treatment of cough, cold, asthma and throat infections.
  • अगर बहेड़ा चूर्ण का इस्तेमाल करना हो, तो घर पर बनाकर ही उपयोग करें।

आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से बात करें!

अभी हमारे ऐप को डाउनलोड करें और परामर्श बुक करें!

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *