स्वस्थ्य शरीर के लिए- त्रिदोष के प्रकोप से बचे

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मनुष्य का शरीर विकासमान अमरबेल है।
विकास या उन्नति की गति, तभी रुकती है
जब आरोग्य के मंदिर का दीपक क्षीण
होकर रोग का धुंआ छोड़ने लगता है।
स्वस्थ्य शरीर के लिए रोग सबसे बड़ा
शत्रु है।
स्वस्थ्य शरीर की ऊर्जा अत्यंत
वेगवती होती है।
मनुष्य की पहली जरूरत है
स्वस्थ्य शरीर।
भक्त रैदास कहते हैं कि-
 
मन चंगा, तो कठौती में गंगा।
 
सारे तीर्थों का वास हमारे तन में ही है।
तन जब स्वस्थ्य है, तो मन चंगा
होते देर नहीं लगती।
कैसे रहें स्वस्थ्य
शरीर में त्रिदोष का प्रकोप हमारी
जीवनीय शक्ति को कमजोर कर
देता है।
आयुर्वेद के अनुसार रोगप्रतिरोधक
क्षमता की कमी सभी रोगों के पनपने
का कारण है। हमेशा स्वस्थ्य तने के
लिए बचपन से प्राकृतिक चिकित्सा,
घरेलू उपाय द्वारा शरीर को चुस्त-दुरुस्त
रखा जा सकता है।
अमृतम की दवाएं-अपनाएं
आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों रस,अर्क,काढ़े
से निर्मित अमृतम गोल्ड माल्ट
एक ऐसी विलक्षण ओषधि है,
जिसके उपयोग से त्रिदोष का
नाश होता है और रोगप्रतिरोधक
क्षमता में वृद्धि होती रहती है, जिससे
कभी बीमारी उत्पन्न ही नहीं होती।
अमृतम गोल्ड माल्ट
बच्चों को बचपन से लेकर
बुढ़ापे तक खिलाया जा सकता है।
महिलाओं के लिए भी यह बहुत
लाभकारी है।
अमृतम गोल्ड माल्ट
की विशेषता है कि यह शरीर में
बीमारियों को पैदा ही नहीं होने देता।
इसके निय। इसके सेवन से भूख खुलकर
लगने लगती है।
पेट साफ रहता है।
रक्त की वृद्धि होती है।
कमजोरी का एहसास नहीं होता।
इसमें आंवला मुरब्बा, सेव मुरब्बा,
गुलकन्द, हरड़ आदि ओषधियाँ
शरीर को ताकतवर बनाने में सहायक हैं

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