केले का गुदा भी किडनी की रक्षा करने में चमत्कारी ओषधि है।

केले के छिलकों को सुखाकर आटे में मिलाकर रोटी खाएं, तो आंतों का संक्रमण साफ होता है।

जाने केले का पोधा घर में लगाकर पूजा करने से क्या नुकसान फायदे होते हैं।

डायलिसिस से छुटकारा

  • मधुमेह से पीड़ित मरीजों को आए दिन डायलिसिस कराना पड़ता है। 8 केला छिलका का गूदा निकाल कर इसे सूजी के हलुआ में मिलाये एवं इसमें लौंग, इलायची, सेंधा नमक, नागकेशर सभी का पाउडर 50/50 मिलीग्राम भी मिश्रित कर दें और सुबह खाली पेट एक महीने खाएं, तो डायबिटीज में काफी लाभ होता है।

केला छिलका का गूदा है एक ओषधि

  • गुर्दा या किडनी की सुरक्षा, महिलाओं को सोमरोग यानि पीसीओडी, लिकोरिया की समस्या और चेहरे की गंदगी को साफ करने में केले का छिलके का गुदा विशेष लाभकारी है।

एक उम्र रोधी यानि एंटी -एजिंग उपाय

  • द्रव्य गुण विज्ञान में उल्लेख है की केले छिलका के गूदा में हल्का सा सेंधा नमक, चुटकी भर कालीमिर्च, दो दाने इलायची पीसकर, शुद्ध मधु के साथ थोड़ी सी मुल्तानी मिट्टी का लेप बनाकर मुख पर लगाने से चेहरे से सारे त्वचा का मैल निकल जाता है। स्किन नवीन ताज़ी होकर मुखमंडल चमकने लगता है।
  • ध्यान रहे केवल केले छिलके का गूदा ही उपयोगी है। जबकि बाहर की गीली परत किसी काम की नही है। केले का छिलका सुखा या कच्चा इसे पचाना बहुत मुश्किल है। इसे बड़ी आंत वाले जानवर ही पचा सकते हैं।

इम्युनिटी बूस्टर और कैंसररोधी द्रव्य

  • जब आप केले के छिलके को उतारकर फेक देते हैं, तो एक स्वादिष्ट, पौष्टिक ओषधि फेंक रहे होते हैं। नए अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि केले के छिलके का ताजी गुदा किडनी को कांच की तरह चमका देता है।इसमें एंटीऑक्सीडेंट रोगाणुरोधी और कैंसररोधी गुण भी मौजूद होते हैं।

केले के छिलके को सुखाकर करे इस्तेमाल

  • सुखा हुआ केले का छिलका ही हेल्थ हेतु बेहतरीन दवा है। एसीएस फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी में प्रकाशित स्टडी रिपोर्ट के अनुसार केले छिलका के गूदा सहित सुखाकर रोटी केआटे में 5 से 8 फीसदी तक मिलाकर शरीर में पौष्टिकता पा सकते हैं। इससे रोटी में गजब का कुरकुरापन आकर स्वाद बढ़ जाता है।

आंतों को कांच का चमका कर, कंचन सा बनाए

  • भैषज्य रत्नाकर ग्रंथ के अनुसार पेट का मल सर्वप्रथम आंतों में चिपककर उनमें कीटाणु उत्पन्न कर देता है। सूखे छिलके का पाउडर आटे में मिलाने से यह आंतों की शुद्धि करता है और मल विसर्जन के समय पकाना बांधकर लता है।

कील, मुहांसे, कालेदाग भी मिटाता है केला छिलका

  • चेहरे पर चकत्ते, लाल निशान, झुर्रियां मुंहासों ठीक कर बार बार होने वाले या आगे आने वाले इन्हीं त्वचा रोगों पनपने से रोकता है। केले के छिलके में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ए एवम सी पर्याप्त होने से चेहरे की त्वचा की इलास्टिसी को बढ़ाकर, झुर्रियों को कम करने में मदद करता है

केले में पाए जाने वाले पोषक या पौष्टिक तत्व

  • केले में विटामिन-ए, विटामिन-बी और मैग्नीशियम मिलता है, इसके अलावा विटामिन-सी, पोटैशियम और विटामिन-बी6, थायमिन, राइबोफ्लेविन भी होता है। इसमें 64.3 प्रतिशत पानी, 1.3 प्रतिशत प्रोटीन, 24.7 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है.

क्या घर में केले का पौधा लगाना उचित है?

  • कूर्म पुराण तथा ज्योतिष पराशर संहिता के मुताबिक घर में केले का पौधा रखना भयंकर अशुभता प्रदान करता है। क्योंकि जन्मकुंडली में गुरु जिस भाव या स्थान में विराजमान होते हैं, उस घर की हानि करते हैं। वैसे ही केला जिस घर में लगा होता है, वह बृहस्पति ग्रह की तरह नुकसान देता है।
  • भृगु संहिता के मुताबिक महर्षि भृगु के अनुसार कदली यानि केला पोधा भी गुरु की तरह पूज्यनीय अवश्य है लेकिन यह गृहस्थ घर में रखने से अनेक संकट, परेशानी, असाध्य रोग, बीमारी पैदा करते हैं। लेकिन मंदिर, आश्रम में लगे हुए पौधे की पूजा करना अनिष्ट कारक नहीं है। अतः घर में केले का पोधा भूलकर भी न लगाएं।

अघोरी की तिजोरी से

  • संत कीनाराम के अघोर ग्रंथ में लिखा कि सभी भूत प्रेत, ब्रह्मराक्षस, दुष्ट आत्माएं गुरु के सानिध्य में निवास करती हैं अर्थात केले का पोधा भी गुरु की तरह पूज्य होने से ये सभी वही आकर रहने लगते हैं और घर परिवार में अकाल मृत्यु, समस्याएं आने लगती हैं। जिन लोगों ने भी केले का पोधा लगाकर जैसे भी परिणाम देखें हो, अपने अनुभव सर्व कल्याण हेतु साझा करें।

अगले लेखों में पढ़े

  • केले के पौधे के तने को क्या कहते हैं
  • केले के पौधे का पानी और रस पीने के फायदे
  • अमृतम पत्रिका के 5900 से ज्यादा ग्रंथ परख आयुर्वेदिक लेख गुगल पर उपलब्ध हैं। amrutam सर्च कर पढ़ सकते हैं।
  • इसमें महिलाओं की खूबसूरती घटने वाला विकार सोमरोग या पीसीओडी/पीसीओएस, लिकोरिया होने के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय बताए हैं।
  • संतान हीनता से दुःखी नारियों के लिए भी अघोरियों द्वारा चमत्कारी उपाय भी बताएं हैं।
  • पुरूषों के सभी गुप्तरोग जैसे नामर्दी, नपुंसकता, शीघ्रपतन, लिंग की शिथिलता, ढीलापन, वीर्य का प्ल्लापन, शुक्राणुओं की कमी आदि के बारे में आयुर्वेद की 5000 वर्ष प्राचीन हस्तलिखित पांडुलिपियों, के आधार पर विस्तार से जानकारी दी गई है।

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