शिलाजीत के फायदे। यह किस काम आता है ?

  • शिला का अर्थ पर्वत, फाड़, हिमगिरि और योनि होता है। शिलाजीत को खाने वाले हिमालय जैसे पर्वत और यौन जेसी शिला पर फतह हासिल कर सकते हैं। शिलाजीत का उपयोग स्त्री, पुरुष कोई भी कर सकता है।
  • द्रव्यगुण विज्ञान में शिलाजीत को महा शक्तिदाता द्रव्य बताया है। एक दिन में 100 मिलीग्राम लेना पर्याप्त रहता है। लेकिन जिनका पाचन तंत्र या लिवर ठीक न हो, वे शिलाजीत का सेवन न करें।
  • शिलाजीत जब पच नहीं पता, तो आंतों में चिपक कर संक्रमित कर देता है। फिर अल्सर, जख्म जेसी समस्या होने लगती है।
  • शिलाजीत एक आयुर्वेदिक रसायन ओषधि है। जो स्तम्भन, शुक्रल, बाजीकरन, शुक्र प्रवर्तक और सेक्स शक्ति वर्धक ग्राही भी है।
  • वैद्यकल्पद्रुम, वंगसेन, सिद्ध भैषज्यमाला, सिद्धयोग संग्रह आदि आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों शिलाजीत का वर्णन, गुण, लाभ उपलब्ध है।
  • शिलाजीत 2 प्रकार का होता है, जिसमें सूर्य तापी शिलाजीत के ही विशेष फायदे हैं। दूसरा शिलाजीत पहाड़ों का कला पत्थर होता है जिसे शुद्ध कर इस्तेमाल करते हैं।

द्रव्य-शोधन प्रकरण अनुसार- शिलाजीत शोधन-विधि

  • आधा सेर त्रिफला को जौकुट करके 32 सेर पानी में पकावें। जब चौथाई पानी शेष रहे तो उतारकर छान लें। इस छने हुए जल में तीन पाव शिलाजीत पत्थर के टुकड़े डालकर 24 घंटे तक भीगने दें, फिर पानी को उबाल ऊपर से साफ पानी को नितार कर (निकालकर) साफ लोहे की कड़ाही में डालकर मन्द-मन्द आँच पर पकावें, जब पानी रबड़ी जैसा गाढ़ा हो जाये, तो उतार कर रख लें।
  • यदि शिलाजीत पत्थरों में और रह गयी हो तो इसी प्रकार और बल डालकर पकाकर जल नितारकर कड़ाही में डालकर गाढ़ा करके रख लें। – र. त. सार
  • आयुर्वेद के 272 से अधिक रस रसायनों में शिलाजीत का मिश्रण किया जाता है। यह संख्या ज्यादा भी हो सकती है।

शुद्ध शिलाजित के फायदे, गुण और उपयोग

  • शिलाजीत वीर्य की कमी, वीर्य का प्तलापन, खून न बनन, पाण्डु, कुष्ठ, ज्वर, प्लीहा, अर्श, भगन्दर, रक्तपित्त, रक्त प्रदर, शुक्रदोष आदि रोग-नाशक है।
  • शिलाजीत के सेवन से वीर्य की क्षीणता, इन्द्रिय शिथिलता, स्वप्नदोष, टट्टी और पेशाब के साथ वीर्य जाना आदि शुक्र-सम्बन्धी रोग नष्ट होते हैं। यह बल-वीर्य वर्द्धक भी है।

शिलाजीत से शिलाजित्वादि बटी निर्मित होती है

  • द्रव्य घटक त्रिवङ्ग भस्म 3 तोला, छाया में सुखाई हुई नीम की पत्ती तथा गुड़मार की पत्ती का चूर्ण पीछे 10-10 तोला और शिलाजीत 15 तोला लें।
  • ग्रंथ का नाम सिद्धयोग संग्रह
  • प्रथम शिलाजीत में त्रिवङ्ग भस्म मिलावें, अन्य चूर्ण मिलाकर 4-4 रत्ती की गोलियाँ बनावें । यदि इस योग को विशेष गुणकारी बनाना हो, तो इसमें आधा तोला सुवर्ण भस्म मिला, गोलियाँ बना कर रख लें । मात्रा और अनुपान –
  • 4-4 घण्टे से 3-3 गोली करके दिन भर में 12 गोलियाँ ठण्डे जल गुण और उपयोग अनुपान से दें।

फायदे

  • बहुमूत्र, इक्षुमेह और मधुमेह में इस योग से अच्छा लाभ होता है। आजकल बुद्धिजीवी लोगों में पेशाब में शक्कर (चीनी) जाने की शिकायत बहुतायत से पायी जाती है। इस में शिलाजित्वादि बटी के इस योग को लगातार सेवन करते रहने से उत्तम लाभ होते देखा। विकार गया है।
  • केवल पुरुषों के लिए शिलाजीत से बनी विशेष आयुर्वेदिक दवा B-FERAL Gold Malt और कैप्सूल है। यह पुरुषों के 27 गुप्त रोगों को जड़ से ठीक कर दूषित वीर्य की शुद्धि करता है।
  • पुरुषार्थ वृद्धि के लिए अनेक प्रकार की मेडिसिन या बहुत सारे आयुर्वेदिक सारे चूर्ण या पाउडर जैसे अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावर, कोंच बीज, तलमखना, विदारीकंद आदि लेने की जरूरत ही नहीं है। इन सबको पचाना बहुत मुश्किल होगा।
  • पुरुषार्थ वृद्धि के लिए केवल अश्वगन्धादि चूर्ण घर में ही बनाकर आधा आधा चम्मच चूर्ण, एक चम्मच अमृतम बी फेराल गोल्ड माल्ट 200 ml दूध के साथ दो बार 2 महीने तक नियमित लेवें, तभी यह अपना असर देख पाएंगे।
  • मर्दाना शक्ति, ताकत हेतु यह चूर्ण बहुत ही उम्दा ओषधि है। अश्वगन्धादि चूर्ण का योग-फार्मूला इस चित्र में देखें-
  1. शिलाजीत युक्त बी फेराल गोल्ड कैप्सूल शारीरिक क्षमताओं में वृद्धि कर नवीन रस-रक्त वीर्य का निर्माण करता है।
  2. यह कैप्सूल वीर्य को गाढ़ा कर शीघ्रपतन की समस्या से निजात दिलाता है।
  3. नपुंसकता या नामर्दी जैसे पुरुष विकारों में इसे 6 महीने तक लगातार सुबह खाली पेट दूध के साथ B-Fearal एक से 2 कैप्सूल सेवन करने की सलाह दी जाती है।
  4. अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी, शुद्ध शिलाजीत युक्त बी फेराल गोल्ड केप्सूल शुद्ध शिलाजीत से निर्मित होने की वजह से यह इंद्रियों की शिथिलता, लिंग की कमजोरी, ठंडापन जैसी परेशानियों से मुक्ति दिलाता है।
  5. बी फेराल पाचनतंत्र को ठीक कर इम्युनिटी बढ़ाता है। शरीर में आलस्य का नाश हो जाता है।
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