बिना सुपाड़ी का पान गरीबी बढ़ाता है और सुपारी रहित प्रसाद को भूत प्रेत गृह करते हैं। amrutam

बिना सुपाड़ी के पान क्यों नहीं खाना चाहिए?
आत्रेय संहिता के अनुसार
अनिधाय मुखे पर्णं, य: पूगं खादते नरः।
मतिभ्रंशो दरिद्रीस्या-, दन्ते न स्मरते हरिम्॥
अर्थात् जो व्यक्ति सुपाड़ी के बिना पान खाता है उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है, जिससे वह गरीब हो जाता है और बुद्धि बिगड़ जाने के कारण अपने अन्त समय में भगवान् का स्मरण भी नहीं कर पाता तथा
ताम्बूलं विधवास्त्रीणां, यतीनां ब्रह्मचारिणाम् ।
तपस्विनाञ्च विप्रेन्द्र, गोमांस-सहशं ध्रुवम्॥ 
(ब्रह्मवैवर्त पुराण)
अर्थात् – यदि विधवा स्त्री, यती (योगी), ब्रह्माचारी और तपस्वी लोग पान खाते हैं, तो निश्चय ही उन्हें गौमांस भक्षण के समान पाप लगता है।
सुपारी-
सुपारी का वृक्ष ताड़ या नारियल की तरह ऊँचा और बांस की तरह पतला होता है। पेड़ में पकने पर सुपारी को तोड़ कर उबालते हैं। इसके पश्चात् इसे सुखाया जाता है, जिससे यह खूब कड़ी हो जाती है।
आकार-प्रकार के अनुसार इसकी कई जातियाँ होती हैं। खाने में स्वादिष्ट बनाने के लिए सुपारी उत्पादक सुपारी को जामुन, लाल चंदन और पीपल आदि की छाल के साथ उबाल कर सुखा लेते हैं।
पूजा में सुपारी का उपयोग
स्कंध पुराण के मुताबिक सुपाड़ी की खोज भगवान कार्तिकेय ने की थी। इसलिए इन्हे बहुत पसंद है। यह मंगल कारक है और मंगल का प्रतीक है। नैवेद्य के साथ सुपाड़ी अर्पित करने से ईश्वर के मन में साधक के प्रति कल्याण का भाव आता है और वे देवी देवता मंगल करते हैं।
सुपाड़ी के बारे में amrutam का एक ज्ञानवर्धक आर्टिकल गुगल पर उपलब्ध है।
सभी देव पूजाओं में सुपारी का उपयोग अनिवार्यतः किया ही जाता है। आध्यात्मिक दृष्टि से सुपारी में पृथ्वी तत्व की मात्रा प्रमुख और प्रधान तथा कुछ मात्रा जल तत्व की होती है।
मन्त्र की सूक्ष्म ध्वनि तरंगों से आकर्षित देवता पूजक के द्वारा अर्पित सुपारी के सूक्ष्म तत्वों को गृहण करके यजमान की मनोभिलाषा पूर्ण करते रहते हैं।
सुपाड़ी का औषधीय महत्व –
सुपारी स्वाद में कुछ कसैली, मात्रा में क्षुधावर्धक, रोचक, कफ-पित्त तथा मुख की विरसता को दूर करती है। शुद्ध सुपारी का भी अधिक उपयोग करने से कैंसर होने की अधिक सम्भावना रहती है।
सुपारी से निर्मित नारी सौंदर्य माल्ट कम उम्र की युवा लड़कियों के लिए वरदान है। यह सोमरोग, पीसीओडी जैसा खतरनाक विकार जड़ से मिटाने में सक्षम है।
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नारी सौंदर्य माल्ट का नियमित सेवन कन्याओं, महिलाओं के लिए विशेष उपयोगी है। ये सभी स्त्रियों के लिए अद्भुत औषधि है। तीन महीने लेने से समस्त योनि विकार मिट जाते हैं और ढीली, शिथिल योनि तंग होने लगती है।

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