बनारस की यह कहावत प्रसिद्ध है….
“आठ वार-नो त्योहार“
काशी के राजा ने भगवान महावीर की मृत्यु के बाद बनारस में किस परम्परा का आरम्भ किया था-
जैन सूत्र -1, पृष्ठ:२६६ से पता चलता है कि….बनारस में दीपावली बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती थी। इस उट्सब क बारे में यह अनुश्रुति है कि जिस रात को भगवान महावीर की मृत्यु हुई वयः उपोसय का दिन था।
काशी के राजा ने जब महावीर की मृत्यु का समाचार सुनकर यह निश्चय किया कि उस दिन खूब रोशनी की जाय क्यों कि महावीर की समाधि के साथ एक ज्ञान दीप, तो बुझ गया था, पर दीपों की आवली यानी श्रृंखला लगाकर जलाने से उनकी स्मृति हमेशा बनी रहेगी।
स्मरण रहे कि कार्तिक पूर्णिमा को गंगा तट पर आज भी लगभग 5 लाख के करीब दीपक जलाएं जाते हैं।
बनारस के घाट पर आज भी कई ऐसी दीप मालिकाएँ हैं, जिस पर 11 हजार से 21 हजार तक दीपक जलाएं जाते हैं।
बनारस के उत्सव जगत प्रसिद्ध हैं।
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