भूत-प्रेत-पिशाच का भय मिटायें

दुनिया में आज भी भूत-प्रेत-पिशाच हैं। यह भयभीत बनाये रखते हैं, इनसे मुक्ति पाने के लिए नीचे लिखे मन्त्र का करें जाप और तत्काल चमत्कार देखें—-
प्रेत-पिशाच को करें प्रसन्न और पाएं सिद्धि!

अघोर तन्त्र, 

शाबर तन्त्र, 
प्रेत-पिशाच योनि एक शाप

आदि किताबों के अलावा, सन्सार

का सबसे प्राचीन ग्रंथ दुर्गा शप्तशती
और
माँ काली तन्त्र
में प्रेत-पिशाच शांति के बहुत से टोटके एवं उपायों का वर्णन मिलता है।
इससे प्रतीत होता है कि सृष्टि रचना के साथ ही भूत-प्रेत का अवतरण हुआ होगा।
कहाँ-कहाँ मिलते हैं भूत-प्रेत….
● 36 गढ़ की टोनहीँ विश्व प्रसिद्ध हैं।
● बंगाल के जादू को कोई भी समझ नहीं
पाया, वहां आज भी ऐसा जादूतन्त्र है कि आदमी को तोता, कबूतर आदि बना देते हैं।
● बिहार, उत्तरांचल आदि जंगली क्षेत्रों में
अभी भी प्रेत-पिशाच, भूतों का वास है।
● 36 गढ़ में आज भी जनकपुर से मनेंद्रगढ़
के गहन वन में भूत दिख ही जाते हैं।
● मुरैना जिले के श्यामपुर से
श्योपुर के मार्ग में ढोंढर के पास संगम
किनारे घनघोर जंगल में रामेश्वरम नामक संगम पर एक अति प्राचीन शिवालय के पास भूतों का वास है। यहां नदी किनारे श्मशान पर अघोरी भी साधना करते मिल जाते हैं।
■ भारत में ऐसे अनेक स्थान हैं, जिसकी जानकारी अमृतम पत्रिका में मिलती रहेगी।
कैसे पाएं मुक्ति भूतों से…
यदि किसी को भूत, प्रेत-पिशाच या जिन्न
से डर लगता हो, तो नीचे लिखे मन्त्र का
रोज रात्रि में 13 बार 13 दीपक राहुकी
तेल के जलाकर जाप करें…
कार्तिक मास सिद्धि हेतु विशेष...
कार्तिक का महीना तन्त्र-मन्त्र और
टोन-टोटके आदि की सिद्धियों के लिए
बहुत मुफ़ीद, अच्छा रहता है।
सूर्य इस महीने अपनी नीच राशि तुला
में भ्रमण करता है। इसलिए तन्त्र सिद्धियों
के कारक ग्रह राहु एवं शनि बली हो जाते हैं।
तन्त्रचार्य के अनुसार कार्तिक महीने में
प्राप्त की गई सिद्धियों का प्रभाव 5 वर्ष तक तथा शेष महीने में किये गए जप का असर
कुछ महीने या एक वर्ष तक रहता है।
दीपावली की रात्रि मन्त्र सिद्धि के लिए
विशेष रूप से फलदायक है।
इस श्लोक का जाप कर भगाएं
भूत-प्रेत-पिशाचों को…
 जो जीना हराम कर देते हैं.
 
प्रेता: प्रेतगणासर्वे ये प्रेता: सर्वतोमुखो:।
अतिदीप्ताश्च ये प्रेता-ये प्रेता रुधिराशना।।
अन्तरिक्षे च ये प्रेतास्तथा ये स्वर्ग:-वासिन:।
पाताले भूतले वापि ये प्रेता: कामरूपीण:।।
एक चक्र-रथो यस्य यस्तु देवो वृषध्वजा।
तेजसा तस्य देवस्य शान्ति कुर्वन्तु में सदा।।
 
तुरन्त फायदे के लिए…..
उपरोक्त मन्त्र का 7 दिन लगातार
राहुकाल में
अमृतम द्वारा निर्मित राहुकी तेल”
के 7 दीपक जलाकर 7 बार पाठ करें,
तो शीघ्रातिशीघ्र कोई भी एक
मनोकामना पूर्ण होती है।
इस मन्त्र का अर्थ यह है कि
अर्थात-
【】जो प्रेत योनि में भटक रहे
हमारे रक्त सम्बन्धी,
【】प्रेत समूह के सभी प्रेत,
सब तरफ मुख वाले हैं।
【】जो प्रेत रूधिर यानि खून पीने वाले हैं। 【】जो प्रेत योनि में अंतरिक्ष में रहकर
हमें परेशान कर रहे हैं।
【】जो प्रेत स्वर्गवासी हैं।
【】जो पाताल में या भूतल पर रहकर इच्छाधारी हैं अर्थात जो अपनी मर्जी के मुताबिक रूप बदलकर कोई भी शरीर
धारण कर लेते हैं।
【】जिनके देव वृषध्वज और जिनके रथ का एक ही पहिया है।
【】ये सभी प्रेत-पिशाच भगवान शिव के परम भक्त तथा सूर्यदेव के तेज से तेजस्वी हैं। वे सभी प्रेत मुझे सदा शान्ति प्रदान कर
मुझे इच्छित वरदान देवें।
 पिशाचों की शान्ति के लिए श्लोक…
 
ये पिशाचा महावीर्या बुद्धिमन्ता महाबला:।
नाना-रूप धरा: सर्वे, सर्वे च गुणवत्तरा:।।
अन्तरिक्षे पिशाचा ये स्वर्गे ये च महाबला:।
पाताले-भूतले ये च बहुरूपा मनोजवा:।।
अर्थात-
जो पिशाच महाबलवान, बुद्धिमान और तेजस्वी हैं। पिशाच योनि में भटक रहे
सभी पितृ बहुत बलवान हैं तथा तुरन्त ही
अनेक प्रकार के रूप धारण कर लेते हैं।
यही पिशाचा रूप में अपना रूप बदलकर
ठग, चोर, लुटेरे या दुश्मन बनकर
हमें नुकसान पहुंचाते रहते हैं।
यही पिशाच अंतरिक्ष, पाताल और भूतल
में अनेक तरह के रूप-रंग रखकर मनके
यानि मन की गति से भी तेज चलने वाले हैं।
वे सभी पिशाच यहीं इसी शिवमंदिर में वास करके मुझे नित्य-नवीन ऊर्जा और परम
शान्ति प्रदान करें।
अगले लेख में अपस्मार, अवसाद,
ज्वर के मन्त्र लिखेंगे।
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