क्या बिना दवाओं के स्वास्थ्य अच्छा रख सकते हैं। शास्त्रसम्मत चित्र सहित बहुत ज्ञान की बातें..

आयुर्वेद की ये 20 बातें हेल्दी बनाकर चुस्त-तन्दरुस्त तथा फुर्तीला बनाएंगी।

    • अपना शरीर और तकदीर…. खुद के बनाने से बनते हैं। कब- कहाँ, क्या?… जरूरत है; उस वक्त उसका इस्तेमाल करें। देखा-देखी रस्सी या पेड़ पर चढ़ना व्यर्थ है अन्यथा गिरोगे, तो हाथ-पैर खुद के ही टूटेंगे।
  • शुरू से ही सन्तुलित भोजन करने से शरीर में त्रिदोष असन्तुलित नहीं होता। रोगप्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि होती है। पाचनतंत्र मजबूत और मेटाबोलिज्म करेक्ट रहता है।
  • चटोरेपन में चस्का व स्वाद, तो बहुत है लेकिन बाद में देह बर्बाद हो जाती है।
  • इम्यून सिस्टम सही रखने का तरीका…हमारे हिसाब से नियमित कसरत, परिश्रम, मेहनत, अभ्यङ्ग, नियम-धर्म, सुबह की धूप, जल्दी उठना, सुबह उठते ही अधिकतम सादा जल पीना आदि आपकी सेहत को सही बनाएंगे।
  • ध्यान रखें- प्रातः उठते ही गर्म पानी, नीबू पानी, शहद पानी का इस्तेमाल भूलकर भी न करें। क्योंकि यही से शरीर का सिस्टम सड़ने लगता है।
  • सुबह जल्दी उठना, घूमना, मालिश, स्नान के बाद ही भोजन करना समय पर सोना, योगा-प्राणायाम-ध्यान आदि ये सब प्राकृतिक उपाय पाचनतंत्र एवं मेटाबॉलिज्म को ठीक रखने में मदद करेंगे।
  • सुबह का शुभ आरम्भ आपकी रोगप्रतिरोधक क्षमता अर्थात इम्युनिटी को मजबूत या स्ट्रांग बनाने में सहायक होंगे।
  • यह सब भी आयुर्वेदिक चिकित्सा-उपचार के अंतर्गत आता है।
    • आयुर्वेद की सभी जड़ीबूटियों में अमृत भरा है। इसमें सब कुछ जीवनदाता है। महादेव ने आयुर्वेद का अविष्कार सृष्टि के कल्याण निमित्त किया है।

प्राचीन ग्रन्थों के चित्र सहित ये जानकारी आपका विश्वास बढ़ाएगी। ध्यानपूर्वक पढ़ें…

  • तंदरुस्ती के लिए चुस्ती-फुर्ती और घरेलू भोज आवश्यक है। नियम अपनाने वालों से यम दूर रहते हैं।
      • तन्दरुस्त बने रहने के लिए आयुर्वेद में बहुत महत्वपूर्ण बातें हैं, जिन्हें अपनाकर चलने से अपना शरीर सदैव स्वस्थ्य रह सकता है। जाने- 20 स्वास्थ्यवर्धक सूत्र…
    • आयुर्वेद में अनुपान, किसी भी जड़ीबूटी की मात्रा, तीर्थयात्रा, नियम, विधि-विधान का विशेष महत्व है। जैसे-
  • 【१】हल्दी का पाउडर दिन भर में 25 mg से अधिक लेने से फेफड़ों में तकलीफ, सूजन हो सकती है। श्वांस लेने में दिक्कत होती है।

चित्र देखें- इस ग्रन्थ में लिखा है हल्दी के बारे में…

  • 【२】नीम की एक या दो पट्टी लाभकारी हैं इससे अधिक मात्रा में लेने से जोड़ों में दर्द, सूजन आ सकती है।
  • 【३】तुलसी के 5 पत्ते ही कारगर हैं अन्यथा खुश्की हो सकती है।
  • 【४】बेल की तीन कोमल पत्ती लेना हितकारी हैं।
  • 【५】गिलोय या अमृता का रस या काढा एक दिन में 10 ग्राम ले सकते हैं।
    • बाजार में शुद्ध शहद कहीं भी उपलब्ध नहीं है। सभी नामी-गर्मी कम्पनियां ग्लूकोज, इन्वर्ट शुगर में हनी का एसेंस मिलाकर बेच रही हैं।
    • अतः शहद का सेवन तत्काल बन्द करें और यदि शुद्ध शहद मिल जाये, तो इसे केवल 10 से 15 ग्राम तक गुनगुने दूध के साथ लेवें।
  • 【६】नीबू-शहद, गर्म पानी के साथ लेने से मानसिक अशांति होने लगती है।
  • गूगल पर ग्रन्थ, शास्त्रों के संदर्भ के बिना ही अनेकों गलत, उलजुलूल भ्रमित करने वाली जानकारी भरी पड़ी है।
  • 【७】कोई भी चूर्ण अश्वगंधा, शतावर, मुलेठी, सौंठ एक दिन में 8 से 10 ग्राम तक ही लेवें। क्योंकि इन्हें पचने में बहुत समय लगता है। ज्यादा लेने से कब्ज की शिकायत हो सकती है।
  • 【८】करेले का जूस अधिकतम 10 ml नीम का 5 ml, लोंकी, गाजर, 20 ml खून बढ़ाने हेतु पालक का जूस 15 ml तक ले सकते हैं।
  • 【९】रात में दही, अरहर की दाल,सलाद, फल, जूस लेना नुकसान जनक रहता है। इससे इम्युनिटी घटती है।
  • 【१०】सुबह मीठा दही अत्यंत लाभकारी रहता है।
  • 【११】सुबह खाली पेट 10 से 15 ग्राम नारियल गोला या कच्ची गिरी अवश्य खाकर, एक घण्टे पानी न पीने से उदर का आंतरिक संक्रमण मल द्वारा बाहर निकल जाता है।
  • 【११】 मेथीदाना एक दिन में 2 से 3 ग्राम, अलसी भुंजी हुई, 5 ग्राम, लहसुन की 2 पोथी ही लेना लाभदायक रहता है। यह सभी गर्म होने के कारण पित्त की वृद्धि करती हैं। लिवर की परेशानी की वजह ये ही हैं। जिन्हें ज्यादा न लेवें।
  • 【१२】3 से 5 बादाम वह भी पानी में गले हुए हों, तभी उपयोगी हैं।
  • 【१२】अंजीर 2 नग, मुनक्का अधिकतम 8 से 10 नग लेवें।
  • 【१३】त्रिफला चूर्ण 24 घण्टे में 15 से 20 ग्राम ही पचा सकते हैं।
  • 【१४】एक दिन में एक नीबू का रस ही सेवन करें। अधिक लेने से वीर्य पतला होता है, जिससे नपुंसकता आने लगती है।
  • 【१५】एक दिन में 400 से 500 ग्राम फल ही हितकारी हैं। रात को फल हानिकारक होते हैं।
  • आप अपना वात-पित्त-कफ का आंकलन और संतुलन घर बैठे कर सकते हैं।
  • 【१६】आयुर्वेद का सीधा सा नियम है कि- जबरदस्ती पेट में कुछ न डालें। अचसहि, कसकर भूख लगे, तो खाना खाओ, नहीं लगे, तब तक मत खाओ।
  • 【१७】बहुत जोर की प्यास लगे, तो जी भरके पानी पीओ। दरअसल हमारे शरीर मे इतना मटेरियल, चर्बी का स्टॉक होता है कि- अगर हम 5–7 दिन कुछ न खाएं तब भी शरीर का कुछ नहीं बिगड़ता। बस आत्मबल, कॉन्फिडेंस की जरूरत है। सप्ताह में एक वृत रखें या निराहार रहें।
  • 【१८】आयुर्वेद शास्त्रों में लंघन बहुत जरूरी बताया है।
  • 【१९】मालिश महत्वपूर्ण है, जो हम करते कम हैं।
  • 【२०】सबका ध्यान केवल खाने पर ही रहता है।
    • पहले अदरक गर्मी के मौसम में पैदा नहीं होता था और ना कोई खाता था। ऐसे ही लोग कभी गाजर कभी भी खा रहे हैं। यह दोनों गर्म तासीर के हैं। गर्मी के मौसम में इनके सेवन से पित्तदोष पनपता है। इससे बचें।
    • हमारी एक निजी सलाह यह है कि पूरा परिवार हमेशा अमृतम गोल्ड माल्ट और अमृतम टेबलेट का नियमित सेवन या उपभोग करे, तो कभी पाचनतंत्र नहीं बिगड़ेगा और नाहीं इम्युनिटी या इम्यून सिस्टम कमजोर होगा।

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आयुर्वेदिक यह कुछ प्राचीन ग्रन्थ पर भी गौर करिएगा…

  • घर बैठे भी अपने वात-पित्त-कफ का आंकलन एवं संतुलन स्वयं ही करें…आयुर्वेद के नियमानुसार देह में त्रिदोष के प्रकोपित होने से अनेक संक्रमण, उदर रोग, त्वचा रोग पनपने लगते हैं। अतः त्रिदोष की चिकित्सा जरूरी है।
    • असन्तुलित वात-पित्त-कफ अर्थात त्रिदोषों की जांच स्वयं अपने से करने के लिए यह अंग्रेजी की किताब
    • आयुर्वेदा लाइफ स्टाइल

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