शम्भू ध्यान बिना नहीं मिलता
चाहें..कर लो लाख उपाय….
● ध्यान से ही धन आता है।
● ध्यान के कारण ही व्यक्ति
धन्य-धन्य हो जाता है।
● ध्यान अपने काम पर हो,
उद्देश्य पर हो, तो जीवन
में सफलता निश्चित मिलती है।
● ध्यान…धर्म से जोड़ता है।
● धर्म के मार्ग पर चलने से
जीवन के सब मर्म जानने लगता है।
● धर्म से कर्म फलीभूत होता है।
चर्म यानि त्वचा मुलायम हो जाती है।
ध्यान में स्थिर होना,
सिद्धि को पा लेना है ।
“सिद्धि” अर्थात
– सुख-सम्पन्नता,
– यश-कीर्ति,
– आकांक्षा,
– इच्छा
-अभिलाषा
की पूर्णता पूर्ति ध्यान-योग के द्वारा
की जा सकती है।
ध्यान में बहुत क्षमता है...
क्योंकि वह एकाक्षी है ।
ध्यान से ही रामायण जैसे
महाकाव्य की रचना हो सकी ।
ध्यान ही काव्य को जन्म
देता है और कबीर
जैसे अक्खड़, अनपढ़
को ध्यान….ज्ञान की स्वर्ण कसौटी
दे जाता है।
एक प्रेम दीवानी, एक कृष्ण दीवानी
ध्यान के कारण ही मीरा
प्रेम दीवानी हुई ,तो
राधा…. कृष्ण की दीवानी हो गई।
दोनों की भक्ति में मात्र इतना फर्क है कि…
एक कृष्ण दीवानी थी, तो
दूसरी प्रेम दीवानी।
ध्यान उस अमरवृक्ष
के नीचे खड़ा कर देता है ,
जहां कुछ मांगना नहीं होता।
ध्यान से अपने आप
जिज्ञासाओं के द्वार
खुलकर सपने सार्थक हो जाते हैं।
रैदास जूते सीते थे,
जूते सीना ध्यान के बिना
सम्भव नहीं हैं ।
यही ध्यान है जिससे
अदना सा आदमी
स्वामी,सन्यासी, सूफी, चिंतक,
◆ गुरुतेगबहादुर जी,
◆ गुरुगोविन्द सिंह एवं
◆ गुरुनानक देव और
◆ भगवान महावीर बन जाता है।
ध्यान की वजह से श्रीरामकृष्ण परमहंस
स्वामी विवेकानन्द के गुरु बने।
बस इतना जरूर है कि….
ध्यान हो या ज्ञान- वाहेगुरुजी के
बिना नहीं मिलता,
चाहे लाख उपाय…कर लो।
जीवन को रसमय, स्वस्थ्य
सुखी और प्रसन्न बनाने के लिए
अमृतमपत्रिका ग्रुप से जुड़ें
Leave a Reply