कोरोना- एक युद्ध-स्वयं के विरुद्ध….
वायरस से सुरक्षा इन
40 तरीको से लड़ें अपनी लड़ाई!
हम मजबूत संकल्प शक्ति के साथ
बड़ी से बड़ी से बड़ी लड़ाई लड़
सकते हैं। वेद मन्त्र है-
!!शिवः सङ्कल्प मस्तु!!
अर्थात
हमारा संकल्प ही हमें शिव स्वरूप
यानि “सत्यम्-शिवम्-सुंदरम्“
बनाता है।
शिवपुराण का यह वैदिक सूत्र हमें
शक्तिशाली बनाकर चिन्ता, भय-भ्रम,
अवसादग्रस्त होने से बचा सकता है।
परिवर्तन प्रकृति का नियम है।
समय, काल परिस्थितियों के अनुसार
बदलाव भी जरूरी है। इससे घबराना
नहीं है, बल्कि इस विपरीत वक्त का
डटकर मुकाबला करें।
इस नश्वर सन्सार की नैया,
अखिलेश्वर खिवैया के हाथों में है।
महाअघोरी ‘बाबा कीनाराम’ कहते थे-
तू शिव को अगर बिसरा देगा,
तो शक्ति कैसे पायेगा।
शिव नाम का अमृत पाए बिना,
तू मुक्ति कैसे पायेगा।
भगवान भोलेनाथ के रहस्य
जानने के लिए अमृतमपत्रिका पढ़ें
इस लिंक को क्लिक करें।
अथर्ववेद की एक ऋचा के अनुसार
मनुष्य को मात्र अपने शरीर को
संभालना है, शेष सब शिव साध लेते हैं।
व्यर्थ में भागादौड़ी करके देह को दाह
में न झोंको। धैर्य धारण सर्वश्रेष्ठ धर्म है।
बाबा विश्वनाथ यति जी महाराज,
हथियाराम मठाधीश,
कर्ण घण्टा, बनारस के विचार थे कि-
शिव तो जाने को भी दे,
अनजाने को भी दे,
सारे जहाँ को दे,
वो तोंको भी देगा।
बाबा विश्वनाथ पर यह विश्वास अपनी
श्वांस-श्वांस पर बना लो, तो विश्व का
हर व्यक्ति विकार रहित हो जाएगा।
जिओ और जीने दो वाली जंगरहित
विचारधारा आपके जीवन की धारा बदल
देगी। इस कोरोना वायरस से लड़ने
कुछ नये-पुराने इन 40 नियमों को
अपनाकर सदैव स्वस्थ्य रह सकते हैं-
क्या है कोरोना का इलाज…
फिलहाल तो इस शिव विषरूपी
वायरस (CoV) की कोई दवा या
वैक्सीन नहीं बनी है, बस दुआ और
ईश्वर की दया पर जीवन निर्भर है।
कोविड-19 से बचने का यही
तरीका है कि ऐहतियात बरतें।
किसी बीमार, जुकाम, खांसी,
निमोनिया से ग्रसित व्यक्ति के
संपर्क में आने से बचें।
अपनी आंखों, नाक और मुंह
को न छुएं।
बचने के उपाय
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने
अथवा उसे कम करने के लिए कुछ एहतियात बरतने को कहा है,
जिसे संयुक्त राष्ट्र ने भी ट्वीट किया
है। कोरोना वायरस के संक्रमण के
खतरे को कम करने के लिए निम्न
40 उपाए किए जा सकते हैं।
【१】खांसते या छींकते वक्त अपनी
नाक और मुंह को टिश्यू या मुड़ी हुई
कोहनी से ढककर रखें।
इन पशुओं का दर्द भी देखें
【२】जिन्हें सर्दी या फ्लू जैसे लक्षण हों, उनके साथ करीबी संपर्क बनाने से बचें।
【३】मीट और अंडों को अच्छे से पकाएं।
【४】जंगल और खेतों में रहने वाले जानवरों के साथ असुरक्षित संपर्क न बनाएं।
【५】देह को दारू भी दवा की तरह जरूरी है लेकिन धीरे-धीरे पिया करें।
【६】इम्युन सिस्टम बनाये ताकतवर बनाएं
【७】आयुष सेतु एप्प डाउनलोड करें
【८】WHO निर्धारित अथवा सरकारी कोरोना नियमों का पालन करें
【९】साफ-सफाई का ध्यान रखें
【१०】सोशल डिस्टेंस बनाए रखें
【११】अमृतम बटर शोप से हाथ धोवें
【१२】सुबह उठते ही पानी पियें
【१३】क्रोध-तनाव, चिन्ता न पालें
【१४】द्वेष-दुर्भावना, बुराई-भलाई त्यागें
【१५】घर का बना सात्विक भोजन लेवें
【१६】शुद्ध आयुर्वेदिक सप्लीमेंट
अमृतम गोल्ड माल्ट अपने भोजन में जोड़े
【१७】धर्मग्रंथों का अध्ययन करें
【१८】जड़ीबूटियों, अध्यात्म और
आयुर्वेद का आसरा लें
【१९】अमृतम पत्रिका के लेख पढ़ें
【२०】आयुर्वेद का ज्ञान बढ़ाएं
【२१】बुजुर्गों, अपनी दादी-नानी से
घरेलू इलाजों के बारे में जानें
【२२】मानसिक मजबूती बनाये रखें
【२३】अमृतम हर्बल सेनेटाइजर का उपयोग नियमित करें
【२४】घर से मास्क लगाकर ही निकलें
【२५】सुबह-शाम 100 या 200 बार गहरी-गहरी सांसे लेवें
【२६】कसरत, ध्यान-योग-प्राणायाम एवं अभ्यंग अवश्य करें
【२७】बिना स्नान के अन्न, बिस्कुट, ब्रेड, परांठा आदि न लेवें।
【२८】प्रतिदिन अपने पूर्वज-पितरों का स्मरण करते हुए शिंवलिंग पर जल, पुप्ष अ२९】घर के सभी सदस्य एक-एक
दीपक रोज शाम को जलावें।
【३०】पुरानी स्मृतियों को संजोए
【३१】रोज धुले हुए वस्त्र पहिने
【३२】आयुर्वेदिक-आध्यात्मिक पुस्तकों को पढ़ें
【३३】अपना काम खुद करें
【३४】समय पर स्नान-ध्यान, आराम करें
【३५】माह की दोनो एकादशी का व्रत रखें
【३६】सदैव सकारात्मक सोचें
【३७】बहुत अधिक तनाव न लें
【३८】मनोबल गिराने वाली भ्रामक बातों
तथा सोशल मीडिया से दूर रहें।
【३९】अमृतम आयुष की क्वाथ और
टेबलेट सुबह खाली पेट लेवें।
【४०】ॐ या नमःशिवाय च शिवाय नमः का जाप करते रहें।
ॐ महाशक्ति है। जाने क्लिक करके
निम्न 28 स्वास्थ्य सूत्र भी कारगर हैं
वैज्ञानिकों की बुद्धिमानी….
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की रिसर्च में बताया कि सभी को निरोग रहने के लिए सूर्य प्रणाम, नमस्कार और सूर्य का ध्यान नियमित करना चाहिए क्यों की सूर्य की रोशनी शरीर के बैक्टीरिया एवं वायरस खत्म करने में सक्षम है।
यह उपाय भी कोरोना से बचने हेतु अत्यन्त कारगर साबित होगा।
द इकोनॉमिस्ट अखवार ने
कोरोना तेरे रूप अनेक शीर्षक
से छापा कि
कोरोना के लक्षण इतने परिवर्तन शील हैं।
इसने अनेकों के दीमक की सील खोल दी है। कोरोना के साथ जीने की जरूरत पर
सब बल दे रहे हैं।
दुनिया के चिकित्सक भी हो रहे हैं भ्रमित..
क्यों कि अब कोरोना शरीर के दूसरे अंगों
में कैसे पहुंच रहा है।
लक्षणों में इतना फर्क क्यों है।
कोरोना के उपाय की खोज और वैक्सीन बनाने की खोज में दुनिया के जाने माने चिकिसक शोधार्थियों का भेजा हिला दिया है।
अब विश्व के वैज्ञानिक मानने लगे हैं कि
कोरोना बहरूपिया हो चुका है….
नेशनल हेल्थ सर्विस इंग्लैंड की एक
रिपोर्ट के आधार पर कोरोना के लक्षण किसी को तेज बुखार कफ खांसी होना अकेला नहीं हैं। यह अब कई प्रकार से फैल रहा है।
यूनिवर्सिटी ऑफ आयोवा के इम्यूनोलॉजिस्ट
प्रतिरक्षा प्रणाली विशेषज्ञ डॉ स्टेनली पर्लमैन ने बताया कि यह एक दम नई प्रकार की बीमारी है। उदाहरण के लिए ठंड का एहसास ओर पेट में होने वाला हल्का से दर्द के साथ इंफेक्शन।
ऑक्सफ़ोर्ट यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजिस्ट
विलियम्स जेम्स कहते हैं कि
कोरोना सांस लेते स्काई ऊपरी श्वांस नलिकाओं के बन्द होने से शुरू होता है।
यदि फेफड़ों का सांस का आवागमन ठीक नहीं है, तो कोरोना भी हो सकता है।
शरीर में प्रॉपर सांस न पहुँचपाने के कारण यह फेफड़ों में जाक़र बैठ जाता है।
फेफड़ों के द्वारा ही शरीर से सांस अंदर
बाहर होती है इसलिए इसी माध्यम से कोरोना वायरस को भी देह की अन्य कोशिकाओं या दूसरों हिस्सों में जाने
की सहायता मिलती है।
शरीर चिकित्सक कहते हैं-
शरीर के के अंगों में एक प्रकार का
एंजाइम ऐस-२ (एसीइ2) पाया जाता है।
ऐस2 वह सेल-सर्फेन्स प्रोटीन भी है,
जिससे कोरोना जकड़ता या चिपकता
भी है।
यह फेफड़ों के साथ-साथ यह पेट,
गुर्दा, और ह्रदय में भी होता है।
इसी वजह से कोरोना
तन के इन भागों में जाकर टिक जाता है।
बस यहीं से कोरोना का श्रीगणेश होता है
यह सांस लेने में अवरोध उत्पन्न करने लगता है। जिससे खांसी और फेफड़ों से जुड़े विकार तथा कोरोना के लक्षण यानि सिम्टम्स प्रकट होने लगते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कोविड-19 के जो सबसे आम लक्षण हैं,
वे हैं बुखार, थकान और सूखी खांसी. कुछ मरीजों को बदन दर्द, गले में खराश, बंद नाक या फिर नाक बहने की शिकायत भी हो सकती है और इसके साथ डायरिया की भी।
सांस की शिकायत से पीड़ित मरीज अब हार्ट अटैक, किडनी इन्फेक्शन, मेनिनजाइटिस के भी लक्षण देखे जा रहे हैं।
इनमें जो लक्षण सबसे परेशान करते हैं
वे हैं बुखार और बदन दर्द।
आयुर्वेद में है इसका स्थाई उपचार–
¥ अमृतम आयुष की क्वाथ & टेबलेट
(Ayush key kwath)
¥ फ्लूकी माल्ट
¥ अमृतम च्यवनप्राश
च्यवनप्राश त्रिदोषनाशक होता है।
यह शरीर के सिस्टम को पूरी तरह
ठीक कर “रोगप्रतिरोधक क्षमता”
में वृद्धि करता है। बशर्ते इसे कम
से कम 3 माह तक सेवन करें।
¥ अमृतम गोल्ड माल्ट
¥ लोजेन्ज माल्ट
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