डेन्ट और आंत ये शरीर के मुख्य हिस्से है। इनको स्वस्थ्य कैसे रखें- जाने

अमृतमपत्रिका द्वारा 11 से अधिक आयुर्वेदिक ग्रन्थों से खोजे गए जाने 11/ग्यारह उपचार…

स्वस्थ्य तन- स्वच्छ वतन के लिए जाने जरूरी बातें

ब्रिटिश डेंटल जर्नल में प्रकाशित एक शोध में पाया कि दन्त समस्याओं से जूझ रहे लोगों में कोविड-19 के गम्भीर लक्षण अधिक पाए गए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिसर्च में पाया कि मुख में होने वाले स्त्राव, गन्दगी, बदबू के चलते फेफड़ों में संक्रमण होने लगता है,

जो बाद में बहुत से बीमारियों की वजह बनता है। मुख में बदबू बहुत दिनों तक बनी रहने से खून भी गन्दा अशुद्ध होने लगता है।

मुहँ की बदबू, मसूढों की सूजन दांतों में कीड़े पड़ना, पायरिया, खून आना, कमजोर बत्तीसी, बेढंगे दंत और अन्य बीमारियों की वजह क्या है?

मुहँ के बदबू की मुख्य वजह है लम्बे समय से पेट में कब्ज का बना रहना। कब्ज के कब्जे से सभी सब्जबाग फीके लगते हैं।

पहले तो पेट साफ करने के लिए एक महीने

¶~ अमृतम टेबलेट की एक से दो गोली रोज रात को साढ़े जल या दूध से लेवें।

यह उदर की जड़ से सफाई कर देती है। आंतों में जमी या फ़सी गन्दगी को मिटाकर तन-मन को हल्का बनाती है।

भूख खुलकर लगती है और पाचनतंत्र मजबूत होता है।

¶~ जब शरीर त्रिदोष रहित ह जाता है, तब रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होने लगती है।

¶~  इम्युनिटी बढ़ाने में अमृतम टेबलेट एक बेहतरीन उपचार है।

¶~ पेस्ट की जगह उंगलियों से 10 मिनट तक मंजन करें।

अमरूद का खाली पेट सेवन करें।

¶~ भोजन बहुत ही धीरे-धीरे, चबा चबाकर करें, जिससे यकृत यानि लिवर में शिथिलता न आने पाए!

¶~ दाँत भी हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। दाँत ही देह के अंग-प्रत्यंग को स्वस्थ्य व सुरक्षित रखते हैं।

¶~ आयुर्वेदिक ग्रन्थ आयुर्वेद सार संग्रह, अष्टाङ्ग ह्रदय, आयुर्वेद चंद्रोदय आदि किताबों में दांत-मसूड़ों को मजबूत बनाने के कुछ घरेलू उपाय बताएं हैं- जिन्हें आजमाकर देख सकते हैं।

ये 11 उपाय आपके दांतों हेतु कारगर हो सकते हैं…

【1】सुबह उठते ही खाली पेट 2 से 3 ग्लास सादा पानी पीकर मल त्याग करें।

【2】आयुर्वेदिक ओषधि युक्त डेन्ट की मंजन amrutam Dentkey manjan तनिष्का (अग्नितत्व) उंगली से करके 10 मिनिट बाद कुल्ला करें।

【3】1 या 2 लौंग रात को दांतों के नीचे दवाकर सोएं।

【4】गर्म चीज के तुरन्त बाद ठंडा न लेवें।

【5】सुबह फ्रेश होते समय अपने दांतों को अच्छी तरह भींच लेवें।

【6】मूत्र विसर्जन के समय मुख बन्द रखें।

【7】मुख से श्वांस न लेवें।

【8】वादी की चीजें न खाएं।

【10】वात-पित्त-कफ को संतुलित रखें।

【11】दाँत भींच कर गहरी श्वांस लेवें और नाभि तक ले जाकर रोकें। फिर छोड़े।

यह प्रयोग प्रतिदिन 100 बार करें।

■ दांत-मसूढ़े में दर्द का कारण…दांतो में दर्द होने के के कई कारण हो सकते हैं।

कभी दांतों में कीड़े लग जाने की वजह से दर्द उठता है, तो कभी मसूढ़ों में किसी तकलीफ की वजह से दांत दर्द करने लगते हैं।

■ कभी-कभी दांतो की जड़ें काफी ढीली हो जाती हैं। इस वजह से भी दांतों में असहनीय पीड़ा होती है।

ऐसी स्थिति में सही से ब्रश कर पाना काफी मुश्किल होता है और सांसों से बदबू आना भी शुरू हो जाता है।

■ जब हम कुछ खाते हैं तो कुछ हिस्सा दांतों पर ही रह जाता है. जैसे सब्जी का दांतों में फंस जाना आदि।

■ गर्म के बाद ठंडे खाना या पीना।अधिक तम्बाकू का उपयोग।

जल्दबाजी में खाना, खाना अर्थात भोजन खूब चबा चबाकर नहीं करना।

■ यह चीजें दांतों में सड़न पैदा करती हैं। जिससे दांत धीरे-धीरे कमजोर होते जाते हैं।

■ खाना खाने के बाद हम कुल्ला नहीं करते जिसकी वजह से दांत ठीक से सांफ नहीं हो पाते हैं।

■ आज दुनिया में 72 फीसदी बच्चे दांतों में सड़न, मुहँ में बदबू और बड़ी उम्र के स्त्री-पुरुष मसूढ़ों, दाढ़ों की की समस्या से पीड़ित है।

■ हमारे खानदान की खानपान में लापरवाही और बदलाव ने ओरल कैंसर (दन्त कर्क व्याधि) दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है।

■ दांतों का आयुर्वेदिक चिकित्सा, देशी मंजन द्वारा आप दांतों की बीमारियों को रोक सकते हैं।

■ दिल के खतरे से बचाएगा-

DentKey Malt और मंजन….

■ दांतों के खराब होने से हम ठीक से भोजन चबा नहीं पाते, जिससे मोटापा तेजी से बढ़ता है।

■ दांतों की गंदगी का संक्रमण रक्त दूषित एवं ह्रदय रोग उत्पन्न करता है।

■ दांतों के टूटने का सम्बंध दिल की रक्त धमनियों से है।

■ अंतरराष्ट्रीय डायबिटीज फेडरेशन के मुताबिक खराब मसूढ़े एक समय के बाद ब्लड ग्लूकोज लेबल को प्रभावित करना शुरू कर देते हैं

■ दांतों की खराबी से ही मधुमेह, प्रमेह या डायबिटीज में तेजी से वृद्धि होती है।

■ बार-बार ब्रश न करें। विशेषकर खट्टा काने के बाद एक घण्टे बाद करें।

■ गर्म के बाद तुरन्त ठंडा न लेवें।

■ सुबह खाली पेट भूंजे चने खाकर पानी न पिएं।

■ ज्यादा कड़क, थोड़ चीजे न खाएं।

■ अमरूद का उपयोग ज्यादा करें।

■ जनक फ़ूड, सोड़ा सुगर युक्त के सेवन से बचें।

■ केचअप, टोमैटो सूप बहुत कम लेवें।

अमृतम डेन्ट की मंजन Dentkey manjan दो बार अवश्य करें।

इसमें दंतरोग नाशक जड़ीबूटियों का मिश्रण है।

■ रात को सोते समय अमृतम टेबलेट की एक गोली सादे जल से लेवें।

मुहँ की बदबू, मसूढों की सूजन दांतों में कीड़े पड़ना, पायरिया, खून आना, कमजोर बत्तीसी, बेढंगे दंत और अन्य बीमारियों की वजह क्या है?

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स्वस्थ्य तन- स्वच्छ वतन के लिए जाने जरूरी बातें….
आयुर्वेद के नियमानुसार बाल, गाल, खाल या चाल में खराबी की वजह वात-पित्त-कफ का असंतुलन है।

देह में त्रिदोष के प्रकोपित होने से अनेक रोग पनपने लगते हैं। जिसमें बालों के झड़ने की समस्या पहले होती है।

अतः बालों को बचाने के लिए त्रिदोष की चिकित्सा जरूरी है।

अमृतम ने आयुर्वेद के योग्य, विद्वान और वरिष्ठ वेद-चिकित्सकों द्वारा एक बेहतरीन पुस्तक प्रकाशित की है। इस किताब का नाम

Ayurveda Life Style है, जो कि ओनली ऑनलाईन ही उपलब्ध है।

असन्तुलित वात-पित्त-कफ अर्थात त्रिदोषों की जांच स्वयं अपने से करने के लिए अंग्रेजी की किताब आयुर्वेदा लाइफ स्टाइल आपकी सहायता करेगी।

आपकी दिचर्या कैसी, हो, कब-क्या खाएं?.. आदि स्वस्थ्य जीवन के इसमें उपाय भी बताएं हैं।

अपनी लाइफ स्टाइल को इस बुक का अध्ययन तथा अमल कर सदैव तन्दरुस्त रह सकते हैं।

अमृतम ग्लोबल Amrutam.globle

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