क्या आप ८८ प्रकार के वातरोग, थायराइड आदि तकलीफों को दूर करना चाहते हैं, तो 5000 वर्ष पुरानी किताबों का ये ज्ञान आपकी मदद करेगा।

  • वात को मारो लात

आयुर्वेद में दशमूल, महायोगराज गुगल, शतावरी, अश्वगंधा, सलाई गुगल, सहजन, त्रिकटु, रास्ना, हरितक, त्रिफला, हरड़ मुरब्बा आंवला मुरब्बा, एकांगवीर रस,         महावात  विध्वंसन रस और स्वर्ण योग आदि ८८ से अधिक जड़ीबूटियां, रस, भस्म आदि दवाएं ऐसी हैं जिनकी मदद से वात विकार हाहाकर कर भाग जाते हैं।

 

  • आयुर्वेद की वात नाशक स्वर्णभस्म से निर्मित ओषधियां
    • जैसे स्वर्ण भस्म, वृहत वात चिंतामणि (स्वर्ण युक्त), चतुर्मुख चिंतामणि रस, रसराज रस, योगेंद्र रस, लक्ष्मी विलास रस ये सभी स्वर्ण युक्त हैं। ये अत्याधिक महंगी होने के कारण इसका उपयोग हर कोई नहीं कर पाता।
    • उपरोक्त भास्मों के फार्मूले और गुण लाभ की चर्चा लेख के अंत में पढ़ सकते हैं। बाबा वैद्यनाथ की प्रेरणा से सम्पूर्ण तथ्यपरक जानकारी देने के कारण हमारे लेख बहुत विस्तारित हो जाते हैं। लेकिन भविष्य में जब लोग भयानक बीमारियों से दुःखी हो जायेंगे, तो यह ज्ञान सबकी सहायता करेगा।
  • वात रोग दूर करने की गोली केवल एलोपैथिक में ही मिलती हैं, जिन्हे खाते रहो और चलते रहो। जिस दिन शरीर का रस और रक्त सूख जायेगा, तो हड्डियां कमजोर, पोली हो जाएंगी।
  • फिर, हमेशा के लिए घर में बैठे रहो। अंत में वात रोगी और बीमार आदमी को कोई एक ग्लास पानी की भी नहीं पूछता। आयुर्वेद के बल पर आप चलते फिरते इस दुनिया को हर हर हर महादेव कहकर जा सकते हो।

जो स्वस्थ्य नहीं वातरोग से बीमार है,

उसकी हरेक जीत बस हार ही हार है।

  • चरक संहिता, माधव निदान में ८८ प्रकार की वात व्याधियों को ठीक करने वाली ८८ प्रकार की औषधियों का वर्णन किया है। (यह जानकारी पिछले लेख में पढ़ें)

वातविकार! हाहाकार कर उठेगा

  • आयुर्वेद में विभिन्न वात रोगों के लिए विभिन्न चिकित्सा बताई है। इतना गहन ज्ञान अन्य पेथी में उपलब्ध नहीं है। जब तक रक्त नाड़ियां वायु रहित रहेंगी या इनमें जब तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचेंगी तब तक नाड़ियां मुलायम नहीं होंगी। यह देशी इलाज से ही संभव है।
  • आयुर्वेद में हर विकार को बहुत गहराई से समझाया गया है, ताकि कोई भी बीमारी सदैव के लिए जड़ से दूर होकर पुनः न पनपे।
  • आयुर्वेद के महान महर्षियों ने यहां तक अध्ययन किया कि शुक्र यानि वीर्य के रुकने से शुक्रगत विकार उत्पन्न होता है। एक हजारों साल पुरानी हस्तलिखित पांडुलिपि का यह श्लोक पढ़कर दंग रह जाओगे।

शुक्रगत वात चिकित्सा

हर्षोऽन्नपानं शुक्रस्थे बलशुक्रकरं हितम् ।

विबद्धमार्ग शुक्रन्तु दृष्ट्वा दद्याद्विरेचनम्॥

  • अर्थात शुक्रगत वातविकार में सुन्दर स्त्रियों के साथ वार्तालाप तथा रमण करना चाहिए। शारीरिक बल और शुक्र बढ़ाने वाला हितकर अन्न-पान का प्रयोग करना चाहिए। अधिक कामुक विचारों के कारण यही शुक्रमार्ग अवरुद्ध हो गया हो तो शुक्र विरेचन देना चाहिए यानि वैश्या वृत्ति करने में दोष नहीं मानना चाहिए।

गर्भगत वातचिकित्सा

  • चिकित्साचंद्रोदय ग्रंथानुसार यदि किसी गर्भवती महिला को वात व्याधि है, तो संतान अंग भंग से युक्त पैदा होगी। संस्कृत का यह श्लोक दृष्टिपात करने योग्य है।

गर्भे शुष्के तु वातेन बालानाञ्चापि शुष्यताम् ।

सितामधुककाश्मर्यैर्हितमुत्थापने पयः।

  • अर्थात वातप्रकोप के कारण गर्भ और बालक के सूखने पर मुलेठी एवं गम्भारीछाल द्वारा सिद्ध दूध-मिश्री मिलाकर प्रातः सायं पिलाना चाहिए।

आयुर्वेद में अर्दित रोग यानि फैशियल पैरालाइसिस आजकल विकराल समस्या है। यह अचानक कभी भी हो सकता है।5000 वर्ष पुराने शास्त्रों में इसकी चिकित्सा का उल्लेख मिलता है।

क्या होता है अर्दित या फेशियल पेरेलिसिस

  • केवल मुख मण्डल या चेहरे का टेड़ा हो जाना, बोल नहीं पाना आदि को मुंह का लकवा बोलते हैं। चेहरे पर लकवे का असर होना अर्दित यानी फेशियल पेरेलिसिस कहलाता है।
  • अर्दित विकार में सिर, नाक, होंठ, ढोड़ी, माथा, आंखें तथा मुख प्रभावित होता है। एकांगघात या एकांगवात में मस्तिष्क के बाहरी भाग में समस्या होने से एक हाथ या एक पैर कड़क हो जाता है और उसमें लकवा हो जाता है। इस रोग को मोनोप्लेजिया कहते हैं।
  • वर्तमान का सबसे खतरनाक रोग थायराइड को आयुर्वेदाचार्यों ने ग्रीवास्तंभ/ग्रंथिशोथ बताया है और इसकी चिकित्सा भी घरेलू है।
  • अर्थात थायराइड में ग्रीवाप्रदेश में शुद्ध सरसों के तेल की सुबह की धूप में मालिश करें और अश्वगंध नागोरी चूर्ण को जल में पीसकर गले के चारों तरफ लगाकर धूप में बैठें। सुबह शाम 2 से ग्राम गर्म दूध से अश्वगंधा चूर्ण लेवें।
  • अश्वगंधा चूर्ण एक लाजवाब एनर्जी बूस्टर ओषधि है। यह देह के कमजोर अंगों को ताकत देकर शक्तिशाली बनाता है।इसे तीन महीने नियमित लेना हितकारक रहता है।

100% Ayurvedic Energy Booster

  • Amrutam’s Ashwagandha Churna is a 100% natural Ayurvedic churna that boosts sexual stamina. ‘Ashwa’ in Ashwagandha means ‘horse’ and as per the book, Bhav Prakash Nighantu, which contains the age-old Ayurvedic formulations, the churna gives ‘stamina of that of a horse.’ The churna for sexual health is a rejuvenating herb that boosts vigor, vitality and endurance. The single herb churna has immunostimulatory and anti-stress properties, contributing to great sleep and rejuvenation. Consuming Amrutam’s Ayurvedic Churna cures cold and cough, ulcers, diabetes, epilepsy, insomnia, leprosy, neurological disorders and asthma.

पक्षाघात यानि लकवा, पैरालिसिस जैसे असाध्य वात विकारों की आयुर्वेद में बहुत सरल इलाज लिखें हैं।

  • भैषज्य रत्नावली अध्याय के वातरोग खण्ड में वातरोग में विशेष लाभकारी चिकित्सा लिखी है।

८८ प्रकार के वातरोग की एक दवा

  • रास्नादशमूलादि क्वाथ (वं.से.)

रास्नाविश्वविडङ्गानि रुबूकस्त्रिफला तथा।

दशमूलं पृथक् श्यामाक्वाथो वातमयापहः।।

अर्धावभेदके चाढ्ये चार्दिते वातखञ्जके।

नेत्ररोगे शिरःशूले ज्वरापस्मारयोस्तथा॥

मनोभ्रंशे च विविधे कथितञ्च सुखप्रदम्॥

  • अर्थात १. रास्ना, २. सोंठ, ३. वायविडङ्ग,
  • ४. एरण्डमूलत्वक्, ५. आमला, ६. हरीतकी,
  • ७. बहेड़ा, ८. बेलछाल, ९. अरणीछाल,
  • १०. सोनापाठाछाल, ११. पाढलछाल,
  • १२. गम्भारछाल, १३. शालपर्णी, १४. पृश्निपर्णी,
  • १५. बृहती, १६. कण्टकारी, १७. गोक्षुर और
  • १८. निशोथ – ये १८ द्रव्य प्रत्येक १०० ग्राम लें। इन्हें किसी आयुर्वेदिक स्टोर से खरीद कर साफ करें फिर यवकुट कर संग्रहीत करें। इसमें से प्रतिदिन १० से १२ ग्राम यवकुट क्वाथ लेकर ८ प्रहर पूर्व (२४ घंटे पहले) १६ गुना (४०० मि.ली.) जल में गलाकर दूसरे दिन मन्द अग्नि में उबालकर काढ़ा बनाएं और चौथाई शेष रहने पर छान लें।
  • इस छने हुए काढ़े में एक चम्मच शुद्ध शहद या मधु पंचामृत मिलाकर तीन महीने पीने से सम्पूर्ण वातरोगों, लकवा, जोड़ों में सूजन, सभी तरह के दर्द, थायराइड नाश हो जाते हैं।
  • विशेषकर अर्धावभेदक, आढ्यवात (वातरक्त), अर्दित (चेहरे का लकवा), वातखञ्ज, आंखों का दर्द, नेत्ररोग, शिरःशूल, ज्वर, अपस्मार और अनेक प्रकार के मनोविकार जैसे चिंता, भय, तनाव, डिप्रेशन में यह क्वाथ अत्यंत उपयोगी है।
  • रास्नादशमूलादि क्वाथ अगर स्वयं न बना सकें, तो वात की हर्ब्स खरीद कर उपयोग करें
    • Vata Key Herbs
  • Vata dominant individuals are creative and quick, and they tend to become stressed and frustrated. This physically manifests in the form of stomach-related problems, dry skin, dehydration, pain etc. Vata Key Herbs helps recover from Vata imbalances by cleansing vayu-vikaar & softening naadis, which results in letting out trapped air inside your body. Kayakey Oil and Orthokey Gold Malt/Capsule are great for Vata dosha.

How to use

  • Mix one tsp of Amrutam’s Vata Key Herbs with room temperature water and consume once or twice a day on an empty stomach.
  • Should be taken as directed by your physician.
  • For best bone and muscle health, consume Orthokey Gold Malt regularly.

Benefits

  • People with a dominant Vata constitution are found to be creative and quick, traits that are associated with the ever-flowing winds. In an imbalanced state, Vata dominant individuals tend to become stressed and frustrated.
  • The Vata dosha also physically manifests as stomach-problems, dry skin, dehydration, pain etc, which this herbal blend helps with.
  • Vata Key Herbs helps recover from Vata imbalances by cleansing vayu-vikaar & softening naadis, which results in letting out trapped air inside your body.

बृहद् वातचिन्तामणिरस स्वर्ण भस्म युक्त के घटक द्रव्य

भागत्रयं स्वर्णभस्म द्विभागं रौप्यमभ्रकम्।

लौहात् पञ्च प्रवालञ्च मौक्तिकं त्रयसम्मितम् ।।

भस्मसूतं सप्तकञ्च कन्यारसविमर्दितम्।

वल्लमात्रा वटी कार्या भिषग्भिः परियत्नतः॥

यथाव्याध्यनुपानेन नाशयेद्रोगसङ्कलम्।

वातरोगं पित्तकृतं निहन्ति नात्र चिन्तनम्॥

वृद्धोऽपि तरुणस्पर्द्धा कन्दर्पसमविक्रमः।

दृष्टः सिद्धफलश्चायं वातचिन्तामणिस्त्विह॥

  • अर्थात सुवर्णभस्म ३५ ग्राम, रजतभस्म २३ ग्राम, अभ्रकभस्म २३ ग्राम, लौहभस्म ५८ ग्राम, प्रवालभस्म ३५ ग्राम, मोतीभस्म ३५ ग्राम और रससिन्दूर ८१ ग्राम लें।
  • सर्वप्रथम रससिन्दूर को खरल में अच्छी तरह मर्दन करें और शेष भस्मों को उसमें मिलाकर घृतकुमारीस्वरस की भावना देकर २-२ रत्ती की वटी बनाकर छाया में सुखा लें और कांचपात्र में संग्रह करें।
  • यह ‘बृहद् वातचिन्तामणि रस’ यथाव्याधि के अनुपान से सेवन करने पर वात विकारों के अतिरिक्त समस्त रोग समुदाय को नष्ट करता है। विशेषकर यह वात रोग एवं पित्तरोगों को तो ये देशी दवा निःसन्देह दूर करती है। इसके सेवन से वृद्ध, बूढ़ा व्यक्ति भी जीवन से स्पर्धा करने लगता है। कामदेव के समान पराक्रम मैथुन शक्ति से संपन्न हो जाता है।

मात्रा, सेवन विधि

  • 100 mg से 200 mg तक शहद में पान का रस, तुलसी रस मिलाकर या मधु पंचामृत अथवा गर्म दूध के साथ सुबह खाली पेट और रात भोजन पूर्व लेवें।

आयुर्वेद की सर्वश्रेष्ठ थायराइड नाशक चिकित्सा

  • स्वर्ण भस्म से निर्मित योग योगेंद्र रस आयुर्वेद की एक चमत्कारी ओषधि है, जो विभिन्न तरह के विविध रोगों को दूर करने की क्षमता रखती है। हजारों वर्ष पूर्व संस्कृत श्लोकों में लिखे गए ये फार्मूले बीते काल की बात हो जायेगी। इसलिए इनकी सुरक्षा के लिए इन्हें लिखना जरूरी है।

योगेंद्र रस का प्राचीन फार्मूला

विशुद्धं रससिन्दूरं तदर्द्धं शुद्धहाटकम्।

तत्समं कान्तलौहञ्च तत्समं चाभ्रमेव च॥

विशुद्धं मौक्तिकं चैव वङ्गञ्च तत्समं मतम्।

कुमारिकारसैर्भाव्यं धान्यराशौ दिनत्रयम्॥

ततो रक्तिद्वयमितां वटीं कुर्याद्विचक्षणः।

योगवाही रसो ह्येष सर्वरोगकुलान्तकृत्।।

वातपित्तभवान् रोगान् प्रमेहान् बहुमूत्रताम्।

मूत्राघातमपस्मारं भगन्दरगुदामयान्॥

मूर्च्छान्मादञ्च यक्ष्माणं पक्षाघातं हतेन्द्रियम्।

शूलाम्लपित्तकं हन्ति भास्करस्तिमिरं यथा॥

त्रिफलारसयोगेन शुभया सितयाऽपि वा।

भक्षयित्वा भवेद्रोगी कामरूपी सुदर्शनः।।

रात्रौ सेव्यं गवां क्षीरं कृशानाञ्च विशेषतः।

योगेन्द्राख्यो रसो नाम्ना कृष्णात्रेयेण भाषितः॥

(रस सार संग्रह)

  • अर्थात रससिन्दूर ४० ग्राम, स्वर्णभस्म २० ग्राम, कान्तलौहभस्म २० ग्राम, अभ्रक भस्म २० ग्राम, मुक्ताभस्म २० ग्राम तथा वङ्गभस्म २० ग्राम लें।

योगेंद्र रस निर्माण की विधि

  • सर्वप्रथम रससिन्दूर को एक खरल में खूब अच्छी तरह से मर्दन करें। उसमें धीरे-धीरे सभी भस्मों को मिलाकर मर्दन करें।
  • पुनः कुमारी स्वरस (एलोवेरा) की भावना देकर एक पिण्ड बना लें और एरण्डपत्र में लपेटकर धान की ढेर में तीन दिनों के लिए छुपा दें।
  • चौथे दिन निकालकर पुनः कुमारीस्वरस की भावना दें और २-२ रत्ती (२५० मि.ग्रा.) की वटी बनाकर छाया में सुखा लें और कांच केपात्र में संग्रह करें। यह ‘योगेन्द्ररस’ योगवाही है। यह सर्वरोगसमूह को नष्ट करता है।

योगेंद्र रस के लजबाब कार्य और लाभ

  • योगेंद्र रस के सेवन से वात-पित्त से होने वाले रोग, प्रमेह, बहुमूत्रता, मूत्राघात, अपस्मार, भगन्दर, अर्शादि गुदज रोग (अर्श, बवासीर, पाइल्स, फिशर, फिस्टुला) आदि विकार जड़ से अलविदा हो जाते हैं।
  • योगेंद्र रस मूर्च्छा, उन्माद, यक्ष्मा, पक्षाघात, इन्द्रियज्ञान का नाश, शूल, अम्लपित्त आदि रोगों को उसी प्रकार नष्ट करता है जैसे सूर्योदय से अन्धकार नष्ट हो जाता है।
  • योगेंद्र रस की १-१ गोली या वटी वंशलोचनचूर्ण, चीनी और त्रिफलाक्वाथ से मिलाकर प्रयोग करना चाहिए।
  • योगेंद्र रस के सेवन से रोगी कामदेव जैसा स्वस्थ एवं सुन्दर हो जाता है। दुबला, पतला, हीन, कृश कमजोर व्यक्ति इसका सेवन रात्रि में दूध के साथ में करें। इस योगेन्द्ररस को सबसे पहले आचार्य कृष्णात्रेय ने बनाया था।
  • योगेंद्र रस स्वर्ण युक्त के और अधिक फायदे जानने के लिए आयुर्वेद सार संग्रह, रसतंत्र सार, भैषज्य र्तनाकार आदि ग्रंथों का अध्ययन करें।

मात्रा और सेवन विधि

  • १०० से २५० मि.ग्रा. – त्रिफलाक्वाथ, चीनी एवं वंशलोचन से। योगेंद्र रस की गन्ध- रसायनगन्धी। वर्ण– रक्ताभ। स्वाद – तिक्त। उपयोग – समस्त वातविकार, दौर्बल्य, यक्ष्मा, योगवाही, प्रमेहादि में।

वातरोग को दूर करने के लिए आयुर्वेद ही अंतिम सहारा

  • आयुर्वेद में दशमूल, महायोगराज गुगल, सलाई गुगल, सहजन, त्रिकटु, रास्ना, हरितक, त्रिफला, हरड़ मुरब्बा आंवला मुरब्बा, एकांगवीर रस, महावात विध्वंसनरस, स्वर्ण भस्म, वृहत वात चिंतामणि (स्वर्ण युक्त), चतुर्मुख चिंतामणि रस, रसराज रस, योगेंद्र रस, लक्ष्मी विलास रस सभी स्वर्ण युक्त हैं।
  • उपरोक्त सभी द्रव्यों का सही अनुपात में ५०००साल प्राचीन पद्धति के मुताबिक निर्माण कर एक बेहतरीन ओषधि भी ले सकते हो। यह आर्थो की गोल्ड कैप्सूल और आर्थो की गोल्ड माल्ट के नाम से मिल जायेगी।
  • Orthokey की खासियत यह है की यह वर्षों से कठोर हो चुकीं रक्त नाड़ियों को मुलायम कर वात रोग को मल विसर्जन द्वारा बाहर निकाल फेंकता है। पेट को पूरी तह कब्ज रहित और साफ कर उदर कोशिकाओं में खून का संचार नियमित करता है।
  • एक बार एक महीने इस उत्पाद का सेवन कर 30 से 40 फीसदी राहत पा सकते हैं। सुनिश्चित परिणाम के लिए इसे कम से कम तीन माह तक लेना हितकारी है।
  • आर्थो की ८८ तरह के वात विकारों को जड़ से मिटाकर शरीर को हल्का बनाने की क्षमता रखता है। ऐसी बेजोड़ ओषधि बाजार में दूसरी उपलब्ध नहीं है। एक बार भरोसा करके देख सकते हैं। साथ में मालिश हेतु तेल, बाम भी उपयोगी हैं

Orthokey Pain Oil, Balm & Gold Capsules Combo

  • This combo contains Orthokey Gold Capsules, Orthokey Pain Oil and Orthokey Pain Balm.
  • Amrutam’s Orthokey Gold Capsules are a rich source of calcium and other minerals that treat orthopedic disorders. These Ayurvedic capsules for muscle and joint pain contain Swarn Bhasm, Yogendra Ras and Vraht Vat Chintamani Ras. Ayurvedic Orthokey Gold Capsules are effective in treating arthritis, fibrositis, lumbar spinal stenosis and frozen shoulder. It also aids in the treatment of the thyroid because of its Vata balancing properties.
  • Amrutam’s Orthokey Pain Oil is effective in providing instant relief from any type of bodily discomfort. This Ayurvedic oil for muscle health contains Gandhpura, Ajwain Sat, Kapoor, Pudina Sat and Lahsun. These Ayurvedic ingredients have the ability to treat joint pain or muscle pain associated with arthritis, lumbago, sciatica, backache, muscle sprain and spasm. Massaging regularly using Ayurvedic oil for body pain by Amrutam can help relieve pain. All of your orthopedic needs may be met by buying traditional ayurvedic oil for therapy.
  • Amrutam’s Orthokey Pain Balm is an instant pain-relief Ayurvedic balm for all types of body pain. This Ayurvedic pain relief balm contains Gandhpura (Wintergreen), Ajawain Sat (Trachsypermum ammi), Pudina Sat (Mentha piperata), Zinger Oil (Zingiber ocinale), Dachini Oil (Cinnamomum zeylanicum), Nilgiri (Eucalyptus globules) and Vaseline Balm Base. This Ayurvedic joint or muscle pain balm shows the best result when used with Orthokey Gold Capsules and Orthokey Gold Malt.

Key factor in Orthopedic Management

MRP ₹ 999 (Inclusive of all taxes)

Quantity: 30 Capsules

  • Amrutam’s Orthokey Gold Capsules are rich in calcium and other minerals and thus, aid in treating orthopedic disorders. These Ayurvedic capsules for muscle health contain Swarn Bhasm, Yogendra Ras and Vraht Vat Chintamani Ras. They are effective in treating joint pain, arthritis, fibrositis, lumbar spinal stenosis and frozen shoulder. It also aids in the treatment of thyroid because of its Vata balancing properties.

How To Use

Orthokey Gold Capsules

Benefits

  • Amrutam’s Orthokey Gold Capsules are effective in treating muscle and joint pain and provide relief from cervical pain, joint pain, body pain and muscular pain.
  • The medicinal ingredients present in the capsules treats arthritis, fibrositis, lumbar spinal stenosis and frozen shoulder.
  • Amrutam’s capsules for muscle health can also treat thyroid because of their ability to balance Vata.
  • Orthokey Gold Malt is a herbal jam containing Harshringar, Shudh Guggul, Swarn Bhasm, Yogendra Ras and Brahtvat Chintamani Ras. This is the best herbal malt in India for boosting bone health. If you suffer from joint pain, osteoporosis, muscle weakness/pain, chronic backaches and gout inflammation, It is also valuable for treating thyroid-related issues because of its ability to balance the Vatta.

Benefits

  • Amrutam’s Orthokey Gold Malt is useful in healing joint pain and swelling.
  • Helps in treating tingling and pain in the muscles.
  • Ayurvedic Orthokey Gold Malt reduces muscle weakness in the joints.
  • Very useful in curing severe joint pain in osteoarthritis and osteoporosis, as well as in treating gout and chronic backaches.
  • Used for treating Thyroid because of its Vatta-balancing properties.

आर्थो की पैन ऑयल

Orthokey Oil- Useful in all types of body pain

  • Amrutam’s Orthokey Pain Oil is an authentic Ayurvedic formulation containing Gandhpura, Ajawain sat, Kapoor, Pudina sat and Lahsun. It is effective in treating any sort of body pain including joint pain, pain associated with sciatica, arthitis, lumbago, stiff neck, backaches, muscular sprains and spasms and more.

How to Use

  • Take a few drop of oil on your palm and massage in the affected area.

Notes

  • Store in a cool and dry place.
  • For external use only.

 

Benefits

Amrutam’s Orthokey Pain Oil is a traditional recipe for treating orthopedic concerns.

  • It is effective in treating any sort of body pain including joint pain, pain associated with sciatica, arthitis, lumbago, stiff neck, backaches, muscular sprains and spasms and more.

आर्थो की बाम

  • Orthokey Pain Balm is an instant pain-relief ayurvedic balm for all types of body pain.

    Best results when used with Orthokey Gold Capsules and Orthokey Gold Malt.

How to use:

  • To use Orthokey Balm, apply the product to the part of your body where you’re experiencing pain.
    • प्राचीन किताब योग रत्नाकर में एक विशेष वातरोग नाशक ओषधि रास्नायो गुग्गुलुः का वर्णन है।

रास्ना मृतैरड सुराह्नविश्वं तुल्येन गाढं च पुरेण मर्धम्। खादेत्समीरी सशिरोगदी च नाडीव्रणी चापि भगन्दरी न।।

अर्थात रास्नादि गुग्गुलु –रास्ना, गुरुचि, एरण्डमूल, देवदारु, सोंठि, सबको समान भाग लेकर चूर्णकर समष्टि के बराबर शुद्ध गुग्गुलु मिलाकर मर्दन कर सेवन करने से वातरोग, शिरोरोग, नाडीव्रण और भगन्दर ये सब रोग नष्ट होते हैं।

वैद्यों की वैदिक वाणी

आयुर्वित्तं गृहच्छिद्रं मन्त्रमैथुनभेषजम्।

दानमानापमानं च नबैतानि सुगोषयेत् ।।

  • अर्थात हर व्यक्ति को अपना स्वास्थ्य, अपनी आयु, गृह के दोष, परिवारिक विवाद, स्त्री मिलन, मैथुन, मन्त्र, धन, दान, औषधि, मान-सम्मान, अपने अपमान, और अपनी योग्यता को हमेशा सभी से छुपाकर ही रखना चाहिए अन्यथा कभी भी नुकसान झेलना पड़ सकता है।

जब ईश्वर ने वरदान मांगने को कहा

  • भगवान ने एक बुढे से पूछा अब तुम्हारा बुढ़ापा आ गया है। कर्म के हिसाब से मुझे तुमको बीमारी देनी होगी। तुम्हारी भक्ति की वजह से दो में से एक बीमारी चुनने का मौका देता हूँ। या तो याददाश्त खो जाएगी या हाथ पैर काँपेंगे।
  • बुजुर्ग आदमी ने भगवान से अपने मित्र से पूछने की इजाजत लेकर मित्र से पूछा? मित्र ने कहा कि हाथ पाँव काँपने की बीमारी माँगना। क्योंकि गिलास में से एकाध पेग छलक जाए, तो कोई बात नहीं। पर बोतल रखी कहाँ हैं ये ही भूल जाओ तो भारी नुकसान हो जायेगा।

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