मिर्गी के दौरे की धार्मिक चिकित्सा

अघोरी की तिजोरी से

मिर्गी का शर्तिया देशी इलाज
महा अवधूत सन्त कीनाराम जी द्वारा
अघोरियों के चमत्कार से साभार
जिस मरीज को बहुत समय से मिर्गी के दौरे
आते हों, उन्हें गुरुवार के दिन
11 जायफल और 11 छुआरे
एक-एक करके शिंवलिंग पर
!!ॐ शम्भूतेजसे नमः!!
जपते हुए एक-एक करके चढ़ाकर, इन दोनों की माला
बनाकर रोगी के गले में पहना दी जाए।
द्वारा अगले बुधवार को पुनः
यही क्रम दोहराएं
अगले मंगलवार को पुनः ऐसे ही करे
फिर सोमवार और रविवार को
भी यही क्रम दोहराएं।
ध्यान रखें-
रोगी को दूसरी माला पहनने के पहले पिछली वाली माला उसी दिन उतारना हैं। जब तक उसे पहने रखें।
5 बार के इस प्रयोग से बहुत ही चमत्कारी फायदा होता है। कभी द्वारा मिर्गी के दौरे नहीं पड़ते।
लाभ होने पर जायफल एवं छुआरा दोनों वस्तुओं के 11-11
नगों को जौकुट कर उबालकर काढ़ा निकालें।
ठंडा होने पर छानकर 1.5 लीटर  काढ़ा निकाले
इस काढ़े  से रुद्राभिषेक करावें।
शनिवार की रात्रि में 9 से 10.30
के बीच किसी एकांत में स्थित शिंवलिंग का रुद्राभिषेक करावें।
रुद्राभिषेक कराते समय
ॐ शम्भूतेजसे नमः का जाप करते रहें।
अंत में ब्राह्मण को दक्षिण देकर
आशीर्वाद लेवें।
दीपक अवश्य जलाएं
रुद्राभिषेक के समय 11 दीपक
अमृतम द्वारा निर्मित “राहुकी तेल
के पान के पत्ते पर रखकर जलावें।
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Comments

One response to “मिर्गी के दौरे की धार्मिक चिकित्सा”

  1. Ganesh Ahuja avatar
    Ganesh Ahuja

    आप का यह फार्मूला बहुत अच्छा ओर हानि रहित, है।

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