मनुष्य का हर चरण… पर्यावरण बचाने उठे, ऐसी भावना सभी में जागृत हो..…

05 जून “पर्यावरण दिवस” की अन्तर्मन से शुभकामनाएं —

स्वस्थ्य रहने के लिए आचरण और पर्यावरण की शुद्धि-पवित्रता जरूरी है।

अतः प्रकृति/पृथ्वी/धरती माँ को प्रदूषण के आक्रमण से बचाना हम सबकी जबाबदारी है….

इंसान का निर्माण कैसे हुआ?….
¶ आकाश से आशा-विश्वास-भरोसा,
¶ सूर्य से अग्नि-रोशनी-ऊर्जा,
 
¶ वायु से आयु-जीवन !
¶ नदियों से जल-पानी, जो जवानी बनाये रखे।
¶ पर्वतों से स्थिरता, संकल्प शक्ति !
¶ धरती माँ से माटी-मिट्टी !
¶ चन्द्रमा से मन एवं रक्त, स्त्री रज,
¶ मङ्गल से मनोबल, बल, सुख-शांति !
¶ बुध से बुद्धि, विवेक, नेक-नियति,
¶ गुरु से ज्ञान, विनम्रता, सरलता !
¶ शुक्र से वैभव, सांसारिक क्रिया, वीर्य !
¶ शनि से न्याय, दया भाव,
¶ राहु से अथाह सम्पदा, पुरुषार्थ,
¶ केतु से धर्म, मुक्ति-मोक्ष !
आदि से row मटेरियल एकत्रित कर महादेव ने स्त्री-पुरुषों को बनाया।
इंसान का जीवन पर्यावरण के सांचे में ढलकर सँवरा है। 
यह सच है कि- वृक्ष ही पर्यावरण की !
रक्षा करते हैं।
प्रकृति,पवित्र है, तो हम हैं।

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