मेथीदाना- कामशक्ति बढ़ाये, खून साफ करी तथा स्तनों को सुडौल बनाता है। फायदे जानकर आप भी खएँगे…

मेथीदाना एक गर्म ओषधि है, इसे केवल सर्दी के मौसम में सेवन करना हितकारी है। गर्मी में मेथीदाना खाने से कब्ज की शिकायत हो सकती है। कामशक्ति वृद्धिकारक भी होती है मेथी।

हजारों वर्ष प्राचीन एक ग्रन्थ में मैथी का संस्कृत में एक श्लोक लिखा है-

मेथिकामेथिनी मेथी दीपनी बहुपत्रिका।

बोधिनी बहुबीजा च ज्योतिर्गन्धफला तथा।।

वल्लरी चंद्रिका मन्था मिश्रपुष्पा च कैरवी।

कुञ्चिका बहुपर्णी च पीतबीजा मुनिच्छदा।।

मेथिका वात शमनी श्लेष्मध्नी ज्वरनाशिनी।

ततः स्वल्पगुणावन्या वाजिनां सा तु पूजिता।।

अर्थात-मेथी को मेथिनी, मेथिका, दीपनी, बहु पत्रिका, बोधिनी या दिमाग तेज करने वाली, चंद्रिका, मन्था, मिश्रपुष्पा आदि कहते कहते हैं।

मेथी उदर की वायु का तुरन्त शमन करती है। कफ तथा ज्वर को दूर करने में चमत्कारी है।

ज्योतिष चिंतामणि में लिखा है कि राहु-केतु या शनि के नक्षत्रों में ज में जातक अगर घोड़ों को रोज मेथी खिलाएं तो रुकावट दूर होती है। रोग-दोष, पाप क्षीण होने लगते हैं।

मेथी में प्रोटीन 16 फीसदी, गंधक 8 फीसदी, लेसिथिन 3 फीसदी, फाइबर, विटामिन एA, विटामिन बी६-B 6, विटामिन सीC, नियासिन, पोटेशियम, लौहतत्व यानि आयरन, और एल्कलॉयड आदि शमिल है|

मेथीदाने में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाईड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस तथा लोहा भरपूर मात्रा में पाया जाता है। ये सब शरीर के लिए बहुत जरूरी है।

मेथीदान 24 घण्टे तक सादे जल में भिगोकर अंकुरित करके सुबह खाली पेट खाना लाभकारी रहता है।

मेथी के परांठे, सब्जी बनाकर या भी खा सकते हैं।

मेथीदाने के 12 बेहतरीन फायदे

    1. मेथीदाना शरीर की सूक्ष्मतम नाड़ियों की शुद्धिकरण करने तथा एंटीआक्सीडेंट गुणों के कारण मेथी हृदय रोग के लिए लाभकारी है।
    2. स्तनों को सुडौल बनाये मेथी…मेथी या मेथीदाना भीगा हुआ 5 से 7 दाने रोज खाली पेट चबाचबा कर खाने से छोटे स्तन के बड़ा कर सुडौल बनाता है। मैथी में एस्ट्रोजेन हार्मोन स्तन के आकार को बढ़ाने में सहायक होता है।
    3. मेथीदाना रक्त-संचार को सही रखता है।
    4. मेथीदाने को रोज कम मात्रा में यानी 5 से 8 दाने गलाकर खाने से बिगड़ा हुआ, अनियमित कोलेस्ट्रॉल ठीक होने लगता है।
    5. गर्भवती महिलाएं भूलकर भी मेथीदाने का सेवन न करें।
    6. मेथीदाना देह के सभी विषैले दुष्प्रभाव को दूर कर खूबसूरती बढ़ाता है।
    7. मेथीदाना अम्लपित्त, एसिडिटी, सीने की जलन कादि समस्याओं से राहत देता है।
    8. मेथी दाना हमारे शरीर के एसिड एलक्लाइन बैलेंस को संतुलन बनाये रखता है। करता है।
    9. मेथीदाना मोटापा, चर्बी और वजन कम करने में श्रेष्ठ कारगर ओषधि है। लेकिन एक दिन में 2 ग्राम से ज्यादा न लेवें।
    10. किसी किसी को मेथीदाना नुकसान देता है। खासकर जिनकी तासीर गर्म प्रवृति की होती है।
    11. मेथी खाने से पेट संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे- पेट में जलन होना, गैस बनना, कब्ज होना, भूख कम लगना, खट्टी डकार आना एवं पाचनशक्ति कमजोर होना आदि। इससे बचने के लिए इसकी मात्रा का विशेष ध्यान रखें और यदि मेथीदाना हितकारी न हो, तो इसका उपयोग कदापि न करें।
    12. हरी मेथी के पत्तो का एक से 2 चम्मच रस सुबह शाम पीने से मधुमेह यानि डाइबिटीज सन्तुलित रहती है।
    13. मेथीदाना अधिक खाने से त्वचा संबंधी या स्किन प्रॉब्लम समस्याएं भी हो सकती हैं। त्वचा पर सूजन या दर्द जैसी समस्या भी इसका सेवन करने से हो सकती हैं। चेहरे पर दाने, काले निशान भी आ सकते हैं।

मेथीदाने के लड्डू हैं चमत्कारी

मेथीदाना का लड्डू बनाकर रोज एक दूध के साथ खा सकते हैं। शरीर को स्वस्थ्य,तंदरुस्त, शक्ति-सम्पन्न एवं सुन्दर बनाने वाला 200 वर्ष पुराना एक हर्बल “अमृतम फार्मूला“ घर बैठे करें इलाज- केवल “7” दिनों में आराम

मेथीदाने के लड्डू बनाने की आयुर्वेदिक विधि-…

200 ग्राम मेथीदाना 1 लीटर चूने के पानी में 24 से 36 घण्टे भिगोकर रखें। फिर सुखाकर दरदरा पॉवडर बनाएं।

सभी तरह की मेवा 50–50 ग्राम,

गुग्गल 20 ग्राम

देशी घी में सेंके और बचे हुए घी में पिसा हुआ मेथीदाना भुजंकर 500 ग्राम शक्कर, 200 ग्राम गुड़ की चाशनी बनायेन तथा गर्म एवं मिक्स करके इसमें सभी तरह के गर्म मसाले जैसे- लौंग, इलायची, तेजपत्र, नागकेशर, जावित्री, कालीमिर्च, जायफल, दालचीनी आदि 2–2 ग्राम सबका पावडर सबको मिलाकर 30 से 540 ग्राम का लड्डू बनाकर रखें।

मेथीदाना वातविकार, ग्रन्थिशोथ, थाइराइड, आलस्य, हड्डियों की कमजोरी, जोड़ों के दर्द, आदि बीमारियों को ठीक करने में उपयोगी है।

रोग मिटाये-अमृतम उपाय-

आपकी थोड़ी सी मेहनत, रोगों को नतमस्तक कर, जड़ से बाहर निकालने में सहायक है ।

ये 21 तरह के मेवा-मसाले 21 तरह के उदर विकारों का नाश कर देता है ।

एक बार अवश्य आजमायें-

पुराने से पुराने पूरी तरह से खराब “पाचन तन्त्र” (मेटाबोलिज्म) को ठीक करने वाली शर्तिया नेचुरल “अमृतम चिकित्सा” है।

आलस्य व सुस्ती के कारण अथवा जो लोग

कारों में चलकर,विकारों से घिर चुके हैं उनके लिए बहुत ही लाभकारी प्रयोग है।

किसी हर्बल ओषधि विक्रेता,किराने की दुकान या पंसारी से निम्नलिखित समान केवल 7 दिन हेतु एकत्रित कर खरीद कर लायें।

8 मेथीदाने, 5 मुन्नके (द्राक्षा) 2 ग्राम हरड़ छोटी खड़ी, 2 ग्राम आवला, मुलेठी, 2 -2 ग्राम, 3 काली मिर्च, लहसुन पोथी, लोंग, इलायची, अंजीर एक एक नग, 2 पिंड खजूर गुलाब फूल जीरा, अजवायन, सौफ, सौंठ, खड़ा धनिया, हल्दी, नमक ये सभी 1 -1ग्राम सभी को मिट्टी के पात्र में 200 से 300 ml पानी में शाम को गलाने रख दें।

ओषधि कल्क बनाने का तरीका ….

सुबह सबको अच्छी तरह मसलकर रस निकाल कर 5 से 10 ग्राम अमृतम गुलकन्द एवं 5 ग्राम गुड़ मिलाकर रखें।

स3वन विधि…उपरोक्त रस 100 ग्राम सादा जल मिलाकर सुबह खाली पेट केवल एक बार लेवे। यह एक दिन की खुराक है। करीब 7 दिन लगातार लेकर देखें । चमत्कारी लाभ हो,तो इसे अपनी दिनचर्या में जोड़कर जीवन भर ले सकते हैं।

खून बढ़ाये और तन हो तरोताज़ा…

दिन में खाने के समय 2 से 3 चम्मच

“अमृतम गोल्ड माल्ट”

रोटी,पराँठे या ब्रेड पर लगाकर खावें। 2 से 3 महीने का यह प्रयोग जीवन भर तरो-ताज़ा रख सकता है। एक बार आजमाकर देखें।

रोगाधिकार

1- बिगड़े हुए पाचन तन्त्र का यह शर्तिया इलाज है।

2-बहुत पुरानी एसिडिटी को यह 7 दिन में ही दूर करता है।

3- पेट की खराबी,कब्जियत, गैस का बनना आदि रोगों की यह प्राकृतिक चिकित्सा है।

दिमाग की आग को ठण्डा करने हेतु

ब्रेन की गोल्ड माल्ट

आयुर्वेद के अनुसार सभी रोगों का कारण मन की खराबी है। मन से ही मस्तिष्क रोग उत्पन्न होते हैं जिस कारण तनाव, सिरदर्द, बेचेनी, भय,भ्रम,चिन्ता तथा अनेक मनोविकारों को दूर करने के लिए

“ब्रैन की गोल्ड माल्ट”

रात सोने से एक घण्टे पहले एक से दो चम्मच गुनगुने दूध के साथ 3 माह तक लगातार लेना चाहिए।

यह याददास्त तेज करने हेतु असरकारक हर्बल दवा है । मनोबल,बुद्धि,विवेक वृद्धिकारक है।

“ब्रैन की गोल्ड माल्ट”

रात में दूध या पानी के साथ खाने से

1- दिमाग तनाव मुक्त हो जाता है।

2- नींद बहुत अच्छी व गहरी आती है।

3- सुबह उठने पर मन हल्का रहता है।

4- एक बार में ही पेट साफ हो जाता है।

क्योंकि इसमें कई तरह मुरब्बे, गुलकन्द ब्राह्मी,शंखपुष्पी,जटामांसी, का समावेश है।

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