महाराष्ट्र के महापुरुषों – समर्थ गुरु रामदास , शिवाजी , ताराबाई आदि..
की जन्म-कर्म भूमि में पंचगंगा का बहुत योगदान है।
कोल्हापुर के नजदीक यह प्राकृतिक 5 नदियों का संगम अद्भुत है।
यहां के शिवालय भी दर्शनीय हैं।
पंचगंगा नदी के सामने ताजमहल भी इस के आगे कुछ नहीं है
आज तक कोई ये भी पता नहीं लगा पाया कि गौमुख से पानी कैसे आता है।
भारत की इस प्राचीन कला देखखर चोंक जाएंगे।
इस मंदिर में लगभग एक हजार साल पहले बनी पत्थर की पाइपों से..
पानी पत्थर के ही एक गौमुख से सदैव गिरता रहता है
यह पानी पाँच नदियों क्रमशः वेन्ना, गायत्री, सावित्री, कृष्णा, कोयना के..
संगम से आता है लेकिन इस पानी के आने का पथ अभी भी अज्ञात है..
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