लहसुन अदरक को कभी एक साथ न खाएं।

  • आपका आयुर्वेद पर भरोसा है और उसे निरन्तर अपनाने का मन है, तो आयुर्वेद की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक भावप्रकाश निघण्टु, अष्टाङ्ग ह्रदय, द्र्वगुण विज्ञान यह किताबें घर में मंगाकर अध्ययन करें। आप फालतू के भ्रम से बचे रहेंगे।

लहसुन के लक्षण ओर खाने का तरीका

  • लहसुन की एक छोटी पोथी केवल रात को भोजन से एक घण्टे पहले सादे जल से लेना हितकारी है। यदि बीपी हाइ की शिकायत हो, क्रोधी स्वभाव हो, धूप में काम करते हों, दूध एवं गुड़ खाने वालों को तो लहसुन कभी नहीं लेना चाहिए। लहसुन को केवल दाल-सब्जी में डालकर लेना ही उचित है।
  • भावप्रकाश निघण्टु ग्रन्थ के अनुसार लहसुन को रसोन भी कहते हैं।
  • आयुर्वेद की बहुत सी कम्पनियां रसोन वटी लहसुन से ही बनाती हैं। ये पेट की बीमारियों को जड़ से दूर करती है।

अदरक की आदत

  • अदरक को एक विशेष तरीके से सुखाने बाद इसे सौंठ बनाते है। अदरक को संस्कृत में आद्रक भी कहते हैं।
  • अदरक, लहसुन बहुत गर्म होता है। ज्यादा लेने से यह कफ को सुखाता है।
  • फेफड़ों में कफ सूखने से श्वांस नली सिकुड़ने लगती है, जिससे फेफड़ों में संक्रमण होकर, श्वांस, दमा, अस्थमा आदि विकार उत्पन्न होंते है। अतः लहसुन अदरक दोनों एक साथ भूलकर भी उपयोग न करें।
  • आयुर्वेद में हर ओषधि,मसाले, जड़ीबूटियों के अनुपान की मात्रा निश्चित है। अष्टाङ्ग ह्रदय ग्रन्थ में उल्लेख है कि कोई कच्ची ओषधि 3 से 5 ग्राम से अधिक न लेवें।
  • यह भी ध्यान रखें कि कब क्या और कैसे लेना है।
  • अदरक केवल चाय में डालकर लेना ही हितकारी है अन्यथा आँतों में सूजन पैदा करता है।
  • अदरक को हमेशा एक मिट्टी के पात्र में रेत या बजरी भरकर उसके अंदर रखें, तो इसके गुण बने रहते हैं।
  • अदरक का उपयोग गर्मी के दिनों में करना अहितकर रहता है। यह सर्दी के दिनों ही उपयोगी है। अन्यथा यूरिक एसिड बढ़ाने लगता है।

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