क्लास फेलो 【CLASS FELLOW】और गिलास फेलो 【GLASS FELLOW】ये दोनों ही जीवन में सच्चे मित्र होते हैं। जिनका प्यार, लगाव, अपनापन कभी कम या खत्म नहीं होता। बाकी सब नये आने-जाने वाले फ्रेंड से रिलेशन जल्दी END हो जाते हैं।
फ्रेंडशिप डे (मित्र-दिवस) पर नमन
हर वर्ष अगस्त माह का
“पहला रविवार”
दुनिया में “दोस्तों का दिन”
के नाम से विख्यात है ।
“फ्रेंडशिप डे” (मित्र दिवस) पर
“अमृतम परिवार” की तरफ से
सभी इष्ट-मित्रों को
हृदय के अंतर्मन से हार्दिक शुभकामनाएं ।
बचपन के यार को प्यार,
जवानी के दोस्तों को नमन,
बुढ़ापे के साथी, मित्रों को प्रणाम ।
और उन फ्रेंड् को नमस्कार जिन्होनें
कभी दोस्ती का ट्रेंड नहीं बदला ।
हिन्दी साहित्य में यारी (फ्रेंड) –
हिंदी साहित्य के सबसे प्राचीन ग्रंथ
भाषा शब्दकोश में “मित्र” को
सखा,साथी,सहायक, संगी,
दोस्त,शुभचिंतक कहा है ।
12 आदित्यों में से एक “मित्र” भी है ।
सूर्य नमस्कार के समय
।।ॐ मित्राय नमः।।
कहकर सूर्य को मित्र मानकर
प्रणाम किया जाता है ।
49 मरुद् गणों में प्रथम मरूद यानि वायु को
भी “मित्र” कहते हैं ।
आर्यों के प्राचीन देवता
“मित्र“नाम से विख्यात हैं ।
श्री रामचरितमानस में कवि तुलसीदास ने मित्रों के लिए लिखा है कि-
धीरज,धर्म,मित्र अरु नारी ।
आपत काल परखिये चारी
इन्हें बुरे समय में परखना चाहिए ।
अनेक दोस्तों हेतु कहा-
“कोटि मित्र शूल समचारी”
हिंदी साहित्य की एक पुरानी पुस्तक
“यारों के यार” में लिखा –
“यार वही,दिलदार वही,
जो करार करै औ करार न चूके।
अर्थात मित्रों के मध्य विश्वास होना जरूरी है।
“यारी” के लिए लिख गये-
को न हरि-यारी करै,
ऐसी हरियारी में ।।
अर्थात सावन मास की इस हरियाली में
कौन प्रेम करना नहीं चाहेगा।
रूखे-कड़क स्वभाव वाले संगी साथी के बारे किसी ने लिखा है कि…..
अजब संगदिल है,
करूँ क्या खुदा ।।
पत्थर दिल महिला मित्रों के लिए,तो इतना तक लिख दिया कि……
संग दिल को संग लेकर,
संग दिल के संग गए।
जिनका दिल था संगमरमर,
उनके “संग,मर-मर” गए।।
दोस्ती,यारी प्रेम,इश्क,मोहब्बत
जीवन में बहुत जरूरी हैं
पर पूरी नहीं, अधूरी ठीक है ।
इसमें कहीं न कहीं खटास
आ ही जाती है ।
शायद इसका कारण ये भी
हो सकता है कि-
“प्यार” का पहला अक्षर,
“इश्क” में दूसरा अक्षर
और
“मोहब्बत” में तीसरा अक्षर अधूरा है ।
कुछ दोस्त, दोस्ती यारी में भिखारी होकर लिखते हैं-
तुम्हारी गली से गुजरते,तो कैसे
तगड़ी उधारी है, तुम्हारी गली में।
मोहब्बत की कैपिटल लुटाते-लुटाते,
हो गए भिखारी, तुम्हारी गली में।।
फिर… ज्ञानियों के लिए कहा-
ढाई अक्षर प्रेम का,
पढ़े सो पंडित होये।
आजकल की फ्रेंडशिप, प्यार-प्रेम चाइनीज
सामान की तरह हो गया है
आधुनिक यारी का ये हाल है कि-
चले, तो चाँद तक
न चले, तो शाम तक।
धयान रखो….
प्यार में ब्रेकअप हो जाने से, धोखा खाने से
थोड़ा सा परिवर्तन होता है, जो जरूरी है।
परिवर्तन सन्सार का नियम भी है
तेरे जाने से ,कुछ नहीँ बदला
बस पहले जहाँ दिल रहता था,
अब वहाँ दर्द रहता है ….!!!
मरो मत-कुछ करो क्योंकि …..
जान है, तो जहान है……
कुछ, तो दिल लगाकर
प्रेम के कारण “फ्रेम” में नजर आते हैं ।
इतना भी किसी प्यारी से यारी
मत करो कि मरना पड़े।
ये तकनीक का जमाना है ।
पहले प्यार में तनिक लीक
होते ही पिटना पड़ता था ।
ऐसी मार पड़ती थी कि
बुखार आ जाता था ।
हीर-राँझा,
लैला-मजनू
जैसी यारी मत करो,
तब मार लैला को पड़ती, तो
दर्द मजनू को होता था।
फिर वैसा प्रेम-प्यार आज की युवा पीढ़ी
कर भी नहीं सकती, क्योकि
मोहब्बत का आनंद, तो प्रेमी की भक्ति तथा
परिवार,समाज
की सख्ती में है।
आजकल टेक्नोलॉजी वाली
मोहब्बत कुछ इस तरह की हो गई है-
कि कल रात मेरा
सोना हराम हो गया,
पानी में वो भीगी,
मुझे जुकाम हो गया !
मेरे प्यार का कैसे
इजहार हो गया,
मच्छर ने उसको काटा,
मै बीमार हो गया !
कैसे हुई दशमलव की खोज….
प्यार करो, सौ बार करो! हो सकता है दशमलव की खोज किसी ने दंसवी बार
प्यार यानि किसी प्रेमी का यह “दशम लव” हो,
इसके कारण ही गणित का दशम+लव का अविष्कार हुआ हो।
यारी हो जाए, तो कुछ मसखरे कहते हैं……
मोहब्बत’ के ‘पटवारी’
को जानते हो क्या
मुझे मेरा ‘महबूब’
अपने ‘नाम’ करवाना है!
अभी बहुत कुछ है लिखने को
पढ़ने के लिए
अमृतम की वेबसाइट को लॉगिन करें।
हिंदुस्तान की हिन्दी,
भारत की मातृभाषा
बहुत ही अद्भुत,आत्मीय भाषा है।
इसका सम्मान करें ।
हिन्दी को प्रणाम करें ।
हिन्दी प्यार औऱ यार की भाषा है ।
व्यापार की नहीं ।
हिन्दी साहित्य के परम् विद्वान,
आलोचक श्री रामचन्द्र शुक्ल
मित्रों के चुनाव को सचेत कर्म
बताते हुए लिखते हैं कि –
हमें ऐसे ही मित्रों की खोज में
रहना चाहिए,
जिनमें हमसे अधिक आत्मबल हो।
सबसे अधिक ज्ञानी हो,विद्वान हो!
हमें उनका पल्ला उसी तरह पकड़ना
चाहिए जिस तरह
“सुदामा ने श्रीकृष्ण”
का पकड़ा था।
मित्र हों तो प्रतिष्ठित,
शिष्ट और सत्यनिष्ठ हों,
एवं शुद्ध ह्रदय के हों।
मृदुल और पुरूषार्थी हों !
जिससे हम अपने को,
परिवार को उनके
भरोसे पर छोड़ सकें और
यह विश्वास कर सके कि
उनसे किसी प्रकार का धोखा न होगा।”
दोस्त का मतलब-
दोस्त का एक दूसरे में अस्त होना
ही सच्ची दोस्ती है । जब दो लोग
आपस में मस्त व अस्त होने लगे,तो
समझो ये पक्के दोस्त हैं ।
क्या कहता है अमृतम आयुर्वेद…..
आयुर्वेद की दृष्टि से स्वास्थ्य है,तो
सौ हाथ हैं । बुजुर्ग कहते थे कि
हमारे दोनो हाथ सबसे बड़े मित्र हैं
जिन्हें, जब चाहो मिला लो ..
और फिर ….
“अपना हाथ-जगन्नाथ”
इतना, तो सुना ही होगा ।
स्वास्थ्य हमारा सबसे बड़ा मित्र है, दोस्त है ।
स्वस्थ्य व्यक्ति के सौ साथी होते हैं ।
स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवन से बढ़कर
दुनिया में कुछ भी नहीं है ।
आयुर्वेद की प्रसिद्ध कृतियाँ
1- चरक,सुश्रुत,वाग्भट्ट,
2- द्रव्यगुण विज्ञान,
3- आयुर्वेद से अमरता
4- आयुर्वेद ही अमृत है
5- स्वास्थ्य के सूत्र
6- अमृतम आयुर्वेद
आदि अनन्त ग्रंथों में
“स्वस्थ्य तन,प्रसन्न मन“
को प्रधानता दी गई हैं ।
संस्कृत की सूक्तियों, श्लोकों
का हिंदी अर्थ कुछ इस तरह समझाया है –
“पहला सुख निरोगी काया,
दूजा सुख पास हो माया” !!
दोस्ती का मतलब है…..
शरारत का, मुस्कुराहट का,
उम्रभर की चाहत का।
अमृतम के सभी पाठकों,
मित्रगणों,सहयोगियों को
“मित्र दिवस” की शुभकामनाएं…..
इस भावना के साथ कि-
मित्र का चित्र-चरित्र, इत्र
की तरह महकता रहे!
अमृतम के प्रभावशाली,
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