ठंड के मौसम में दिल की परेशानी से बचाएगा अमृतम च्यवनप्राश !!

ये 11 बातें जानकारी दिल की सुरक्षा कर सकते हैं-

  • सर्दी में ह्रदयघात यानि हार्टअटैक का खतरा 25 से 30 फीसदी तक बढ़ जाता है। साथ ही बार बार सर्दी जुकाम से शरीर की नाड़ियां शिथिल होने से अनेक विकार पनपने लगते हैं।
  • कमजोर दिल, शीत प्रकृति वाले और हृदय रोगों से प्रभावित लोगों के लिए ठंड अत्यंत नुकसानदेह साबित हो सकती है। कारण, आयुर्वेदिक उपचार और बचाव जन लीजिए
  • ज्यादा ठंडक से कोरोनरी आर्टरी डिजीज यानी हार्ट की ब्लड वेसेल्स में थक्का जमने से दिल का दौरा पड़ने के मामले कहीं ज्यादा बढ़ जाते हैं। हार्ट व ब्लड प्रेशर के मरीज विशेष सावधानी बरतें।

माधव निदान में लिखे हैं ह्रदयघात के लक्षण

  1. ठंडी हवा के कारण सीने में दर्द जो दबाव, जकड़न जैसा महसूस होना।
  2. सांस लेने में कठिनाई, दर्द या बेचैनी जो कंधे, हाथ, पीठ, गर्दन, जबडे, दांत या कभी-कभी ऊपरी पेट तक फैल जाती है।
  3. ठंडा पसीना आना, थकान, गैस-अपच, चक्कर आना, जी मिचलाना आदि इसके लक्षण हो सकते हैं।
  4. ज्यादा सर्दी या ठंडक, शरीर के सिम्पथेटिक सिस्टम को उत्तेजित कर देता है जिससे हार्ट में रक्त संचार यानि ब्लड फ्लो धड़कन भी बढ़ जाती है जिससे हार्ट पर ज्यादा काम करने का दबाव पड़ता है।
  5. अत्यधिक ठंड से हृदय के अलावा मस्तिष्क और शरीर के अन्य अंगों की धमनियां सिकुड़ती हैं।
  6. कफ प्रकृति एवम ठंडी तासीर वाले वाले लोगों के रक्त प्रवाह में रुकावट आती और रक्त के थक्का बनने की आशंका अधिक हो जाती है।
  7. सर्दियों के खानपान में भी लोग चिकनाई युक्त खाद्य पदार्थ अधिक खाते हैं। जिसके कारण ब्लड प्रेशर तेजी से बढ़ता है। इससे भी हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ता है।
  8. इस मौसम में नमकीन-चटपटी चीजें खाने का ज्यादा मन करता है। अधिक नमक ब्लड प्रेशर बढ़ाता है। चाय भी ज्यादा पीते हैं। मादक पदार्थों का सेवन भी बढ़ जाता है।
  9. सर्दी में वायु प्रदूषण एक अहम कारण है। ठंडा मौसम, धुंध और प्रदूषक फेफड़ों में ऑक्सीजन की मात्रा प्रभावित करते हैं। हार्ट की पम्पिंग क्षमता को भी कम करते हैं।
  10. अमूमन लोग कम पानी पीते हैं, जिससे नसें सिकुड़ने लगती हैं। इसका नुकसान हृदय रोगियों को होता है। हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है।
  11. अक्सर लोग अत्यधिक सर्दियों के कारण रजाई या कंबल में आराम करने को प्राथमिकता देते हैं। इससे इनकी फिजिकल एक्टिविटीज बंद हो जाती हैं। सर्दियों में लोग देर से उठते हैं। इस दौरान लोग सुबह की सैर भी नहीं करते हैं।

प्राकृतिक बचाव, आयुर्वेदिक उपचार, उपाय

  • हार्ट के रोगी हैं तो सुबह की सैर और व्यायाम के दौरान खास ख्याल रखने की जरूरत है।
  • सर्दी के मोम में स्वयं को ढककर, गर्म वस्त्र धारण कर सुबह घुमाने सैर करने अवश्य जाएं।
  • हाई ब्लड प्रेशर को संतुलित रखने के लिए सीधी नाक से धीरे धीरे श्वास लेकर सीधी नाक से ही छोड़े।
  • रक्त को पतला करने वाली दवाएं यानि ब्लड थिनर अंग्रेजी मेडिसिन अधिक न लेवें।
  • तनाव, भय, भ्रम, चिंता और श्रीरिक परेशानी को दिमाग पर हावी न होने देवें।
  • योगासन, प्राणायाम, धूप में अभ्यंग, कसरत, गर्म पानी से स्नान वरदान साबित हो सकता है।
  • सर्दी के मौसम में इन सबका इलाज है शुद्ध प्राचीन पद्धति से निर्मित च्यवनप्राश, जो देह में रक्त का संचार सुचारू रखने में मदद करता है।
  • पाचन ठीक रखता है। कब्ज से बचाता है। लेकिन च्यवनप्राश हमेशा कांच की बोतल में ही खरीदें, क्योंकि इसमें आमला होने से प्लास्टिक पैकिंग में केमिकल रिएक्शन करता है, जिससे पेट में एसिड बनने से उदर विकार होने लगता है।
  • प्राचीन काल में वैद्य लोग कांच के मर्तवान में च्यवनप्राश या अन्य अगले (माल्ट) को रखते थे।
  • आज आधुनिक युग ने प्रतिस्पर्धा के चलते आयुर्वेद की परंपरा बर्बाद कर दिया। लोगों को बहुत स्वादिष्ट और विज्ञापन वाले च्यवनप्राश लेने में रुचि है। इसके आगे कोई कुछ जानने की कोशिश नहीं करता।
  • एक बात याद रखें असली च्यवनप्राश की कीमत 3000/ रुपए किलो लागत आती है। इतना भी ध्यान रखें। क्योंकि
  • असली च्यवनप्राश में आंवले के अतिरिक्त लौंग, इलायची, केशर, नागकेशर, बालहरितकी, त्रिकटु, चतुर्जात, अभ्रक भस्म, शतपुति, प्रवाल, बंग आदि 56 दर्द घटकों का मिश्रण होता है और ये सब महंगे होने के कारण इसका मूल्य बढ़ जाता है।
  • एक श्लोक के मुताबिक शुद्ध च्यवनप्राश खाने से बाल भी काले होने लगते हैं।

अजामुत्रेच्यवना भृङ्गराजं नीलीपत्रमयोजः।

पिष्ट्वा सम्यक् प्रलिम्पेद् केशाः स्युभ्रं मरोपमाः।।

  • कफ से संबन्धित सभी बीमारी जैसे सर्दी, खांसी, जुकाम, निमोनिया, अस्थमा, सांस फूलना, फेफड़ों की कमजोरी और संक्रमण, चलने में थकान होना आदि समस्यायों का समाधान च्यवनप्राश दूध के साथ लेने से हो जाता है।

वायु प्रदूषण, जहरीली हवा से बचाता है च्यवनप्राश

  • वातावरण में प्रदूषण ज्यादा होने से सांस लेने में दिक्कत और इंफेक्शन का खतरा भी ज्यादा हो रहा है। जिससे बच्चे हो या बुजुर्ग अधिक लोगों में राइनाइटिस, खांसी-जुकाम की समस्या देखने को मिल रही है। बचाव के लिए च्यवनप्राश एक बेहतरीन विकल्प है।
  • सांस नली को संक्रमण से बचाने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए दूध के च्यवनप्राश का भी सेवन कर सकते हैं।
  • वात रोग से पीड़ित लोगों के लिए च्यवनप्राश अमृत है। ये वात विकार को संतुलित करने में कारगर है।
  • च्यवनप्राश में प्राकृतिक रूप से सभी विटामिन, कैल्शियम, प्रोटीन का समावेश होता है।
  • आयुर्वेद में कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए सितोपलादी चूर्ण, गोदंती भस्म को काफी उपयोगी माना गया है। इससे आपकी भूख बढ़ेगी और त्रिदोष संतुलित होगा।
  • पित्त प्रकृति या जिनकी तासीर ज्यादा गर्म हो, उन्हे च्यवनप्राश का उपयोग नहीं करना चाहिए या कम मात्रा में लेवें।
  • आयुर्वेद की 5000 साल प्राचीन पद्धति के अनुरूप निर्मित एक च्यवनप्राश का चित्र दे रहे हैं। ये कांच की बोतल में है और आंवला अवलेह, मुनक्का आदि 30 जड़ी बूटी और रसादि ओषधियां से बना है।

चित्र गुगल से साभार

  • यह बहुत कीमती है। 400 ग्राम की कीमत 1899/- है। स्वाद भी दवाई जैसा है। बहुत स्वादिष्ट नहीं है और सबसे खास बात यह है कि अमृतम च्यवनप्राश में किसी तरह का एक्सट्रेक्ट, प्रिजर्ववेटिव नहीं मिलाया गया है। हर तरह से महफूज और मुफीद है।

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