इस रसायन ओषधि का हृदय रोगों पर बहुत
अच्छा प्रभाव होता है।
घटक-द्रव्य…
हृदयार्णव रस आयुर्वेद की प्राचीन दवा है, जो
ह्रदय को मजबूत बनाने में सहायक है।
इसमें शुद्ध पारा, शुद्ध गन्धक,
ताम्र भस्म और अमृतम त्रिफला चूर्ण
इलैया जाता है। इसके निर्माण की प्रक्रिया
अत्यन्त जटिल है।
यह औषधि रस बाजार में अनेक कम्पनियों
का बिकता है।
उपयोग, फायदा…
ह्रदय की अधिक धड़कन को कम कर
ह्रदय की कमजोरी , दर्द आदि रोग ठीक हो
जाते हैं। किसी योग्य चिकित्सक की सलाह
लेकर इसे 5 से 7 महीने तक लेना हितकारी है।
यह ह्रदय को सबल, मजबूत बनाने में मदद
करती है।
अधिक परिश्रम करने वाले,
ज्यादा देर तक बैठ कर काम करने वाले,
जिनका हार्ट् कमजोर हो, मृत्यु का भय हो,
पित्त जनित रोगियों को अवश्य लेना
चाहिए। साथ में आंवला मुरब्बा,
अमृतम गुलकन्द भी लाभकारी है।
सावधानी- ह्र्दयगत विकारों से पीड़ित
लोगों को कड़ी मेहनत, धूप से बचकर
पर्याप्त आराम करने की सलाह आयुर्वेदिक
ग्रंथों में बताई है।
साभार पुस्तकें..
अर्कप्रकाश,
रसेन्द्र सार,
आयुर्वेदिक निघण्टु आदि
Leave a Reply