सफलता कैसे मिलती है, इसके मापदंड क्या हैं।

सफलता के मानदंड/मापदंड आपके सपने, सोच, विचारधारा तथा संदर्भ पर निर्भर करते हैं।

एक व्यक्ति एक सफलता पर विचार कर पैदा कर ऊर्जा से सराबोर हो सकता है

जिसे दूसरा व्यक्ति विफलता मानता है।

सफलता अपेक्षाओं या सपनो की एक निर्धारित सीमा को पूरा करने की अवस्था है।

सफलता को विफलता के विपरीत के रूप में देखा जा सकता है।

सफलता के लिए सर्वप्रथम स्वस्थ्य रहना आवश्यक है।

स्वस्थ्य काया भी सबसे बड़ी माया है। यही मूल धन है।

स्वस्थ्य रहने के लिए दिनचर्या, नियम, जीवनशैली बदलना महत्वपूर्ण सूत्र है।

हेल्दी व्यक्ति का मस्तिष्क सोचने – समझने की क्षमता तथा कार्य के प्रति निष्ठा सही होती है

और तभी वह मनुष्य किसी भी कार्य को करने में सफलता प्राप्त कर पाता है।

आजकल एक चलन चला है-समय प्रबंधन यानि टाइम मैनेजमेंट।

यह कर्मशील लोगों के लिए व्यर्थ की बाते हैं।

काम करने अपना एक मूड, मन और दिमाग होता है।

अतः इन सब बातों में मस्तिष्क खराब न करके एक बार में काम निपटाकर ही उठें।

छूटा हुआ कार्य पुनः ठीक ढंग से नहीं होता।

जब कभी नींद न आये, तो कुछ भी पढ़ने बैठ जाएं।

दुनिया में सफल होने वाले लोगों का जीवन बहुत अस्त-व्यस्त एवं अव्यवस्थित ही रहा है।

अतः जब जो मन में आये या जिस काम को उस वक्त तरीके से कर सकें वही सर्वश्रेष्ठ बात है।

फालतू की उलझनों, सीमाओं, संकल्पों में न उलझे।

कसम, प्रतिज्ञा तथा संकल्प के कारण ही महाभारत का युद्ध हुआ था।

मूल चीज है काम-कर्म, प्रयास और व्यस्तता।

यही आपको तनाव, चिंतारहित रखकर आगे बढ़ा सकता है।

अपनी कमाई का कुछ हिस्सा दान-पुण्य में जरूर खर्च करें।

वो भी केवल बिना झोली के फकीर को खिलाएं।

मात्र पशु-पक्षियों को ही अन्न आदि खिलाएं।

मन्दिर आदि में दान न करें। वहां सब पाखंड फैला रखा है।

हो सके, तो हर महीने की मास शिवरात्रि, जो कि अमावस्या के एक दिन पहले चतुर्दशी को पड़ती है।

इस दिन रुद्राभिषेक कराकर सफलता की प्रार्थना करें।

दूर दृष्टि के साथ भरपूर मेहनत करें।

मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती। सदैव व्यस्त रहो।

कोई भी इंसान चिन्ता की वजह से जल्दी मरता है।

मेहनत या कर्म की वजह से नहीं। इरादा नेक और मजबूत हो।

ध्यान रखें आगे बढ़ने एवं सफलता का मूल आधार कर्म है।

कर्म ही सबसे सबसे बड़ा कानून है।

नियमित अध्ययन की आदत डालें।

अपनी कमाई का एक से 2 फीसदी हिस्सा किताबों या ज्ञान पर व्यय करें।

बहुत छोटे सपने न देखें। आपको हर नई बातें, चीजे सीखने में हानि, घाटा, नुकसान होगा।

किंतु घाटा ही सबसे बड़ा गुरु है। सीखेंगे, तो घाटे का रूप में उसकी शुल्क चुकाना होगा।

नकारात्मक सोच को न पनपने देंवें।

जब भी कुछ मन खराब हो, तो !!ॐ शम्भूतेजसे नमःशिवाय!! यह मन्त्र आपको शक्ति और मार्गदर्शन देगा।

विशेष बात यह है कि अनुभव से बड़ी कोई पूंजी नहीं होती।

जिस दिन भी आप आपके पास अनुभवों का संग्रह होगा, बस वहीं से सफलता की शुरुआत समझें।

सफलता का सबसे बड़ा सूत्र है-हमेशा व्यस्त रहना। समय की बर्बादी सफलता में अवरोधक है।

अमृतम की कहानी…

सन 1983 से एक आयुर्वेदिक कम्पनी में बतौर पैकर कर्मचारी के रूप में जीवन का श्रीगणेश करने के बाद भी ..

2006 में अपना खुद का ब्रांड amrutam अमृतम नाम से स्थापित किया और सन 2018 में इसे ऑनलाइन मार्किट में लेकर आये।

वर्तमान में अमृतम लगभग 48 देशों में अपना हर्बल उत्पाद बेच रही है।

अमृतम परिवार में100 लोगों की टीम तन-मन-अन्तर्मन से कम्पनी को समर्पित है।

अमृतमपत्रिका भी अपने लेखों के द्वारा आयुर्वेद की लाखों वर्ष पुरानी पध्दति से लोगों को अवगत करा रहे हैं।

आज अमृतम 125 से अधिक आयुर्वेदिक उत्पाद ऑनलाईन उपलब्ध हैं।

अमृतम ग्लोबल भी चिकित्सीय सलाहकार

ऑनलाइन प्लेटफार्म है। यहां करीब 20 से अधिक जाने-माने आयुर्वेद के जानकार चिकित्सक मरीजों के रोगों का निदान कर रहे है।

यह सब भोलेनाथ की कृपा और धैर्य का प्रतिफल है।

अगर समय को सोना मानोगे तथा हर जगह समझौता की भावना रखकर काम करोगे,

तो एक दिन महादेव निशिचित ही सफलता का द्वार खोल देता है।

छोटे-छोटे कामों में समय बर्बाद न करें। कुछ समय के लिए अपने दोनों हाथों को ही सबसे बड़ा दोस्त समझों।

जब कभी दोस्तों की याद आये, दोनों हाथ मिला लें।

सब्जी खरीदना, किराना लाना ऐसे अनेकों ऐसे काम हैं जिसमे बहुत वक्त जाया होता है।

इनसे बचें। पैसे बचाने से ज्यादा कमाने पर दिमाग लगाएं।

सादा जीवन, उच्च विचार वाली सोच न रखें। क्योंकि सोच ऊंची होगी, तो जीवन सादा सरल नहीं हो सकता।

यह सफलता के बाद कि बातें है।

खुद पर भरोसा हो, तो सफलता के पश्चात एक दिन दुनिया घर पर परोसा लेकर आती है।

सन्सार का सारा खेल पैसे से चल रहा है।

बैंक में FD बनबाने की जगह शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करें।

नित्य रोज नई खोज करें, जो सफलता में सहायक हों।

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