कामातुर स्त्री के 16-सोलह लक्षण को कैसे पहचाने….

महिलाएं भी परेशान होती है-

काम/सेक्स (SEX) की अतृप्ति से…

काम शास्त्र और स्त्री-जातक में कहा
गया है कि- स्त्रियों में सोलह कलाएं
होती है। इनका स्वभाव समुद्र जैसा
होता है। पता नहीं कब आसुओं का
ज्वार-भाटा आ जाये।
कामातुर स्त्री के बारे कहा गया है कि-
कामी कलाकार को देखकर अपने
आदमी की नाकामी का एहसास
हर स्त्री को दर्द देता है।
【१】पुरुषार्थी, कामी और सेक्सी
पुरुषों को देखकर महिलाओं की मुस्कान  महक जाती है।
【२】होठ और गाल समेत पूरे चेहरे की लालिमा बढ़ जाती है।
【३】स्त्री के होंठ में स्पंदन होने लगता है। लव   खुल जाते हैं। और
【४】दोनों होठों पर कुछ गीलापन व
तरलता  आ जाती है।.
【५】मुख मंडल ऊपरोक्त भागों में
रक्‍त संचार या खून का संचरण का
प्रवाह तेज हो जाता है।
【६】कामी व्यक्ति को देखकर
कामातुर स्‍त्री प्‍यार पाने के लिए
अपनी तीखी नजरों से ऐसे देखती
है कि पुरूष कुछ समय के लिए
मदहोश हो जाये।
【७】काम पीड़ित स्त्री के चेहरे पर
एक अलग तरह का आकर्षण होता है। उसकी नजरें सेक्सी होती है।
【८】बार-बार अपने को निहारना,
पुनः पुरूष को देखना यह बताता
है कि वह काम का तमाम करने
को आतुर है।
【९】अपने पैरों को एक-दूसरे से
रगड़ती है। ऐसा करके वह प्रेम
प्रदर्शन, कोमल और प्रेमासक्‍त
भावना का इजहार करती है।
【१०】कामवासना से पीड़ित स्त्री
वाणी में बहुत मिठास होती है।
【११】काम से पीड़ित स्त्री काम
यानी सेक्स का इजहार नहीं करती।
【१२】थोड़े से प्रयास में वह सेक्स के
लिए तैयार हो जाती है।
【१३】कामातुर स्त्री अपने स्तनों को उभारकर दिखाने का प्रयत्न करती है।
【१४】कोई-कोई स्त्री अपने होंठों
पर जीभ फेरती है।
【१५】कजरारे, तीखे नयनों का
बार-बार, वार करती है।
【१६】कामातुर, सेक्स से असंतुष्ट
महिला स्वयम को साज-सम्भारने में
वक्त लगती है या कतई श्रृंगार नहीं करती।
भविष्य पुराण, स्कन्ध पुराण में
लक्षण शास्त्र के मुताबिक 14 तरह
की स्त्रियों के बारे में बताया गया है।
जिसकी जानकारी अगले लेख में पढ़े।
खातों-a/c के साथ अपनी देह का 
भी ऑडिट करना आवश्यक है....
कामातुर या कामवासना से भरे
नर-नारी में सम्भोग या सेक्स के
समय शरीर से कुछ विशेष प्रकार
की गन्ध या किसी प्रकार का लगाव
या संपर्क (फ़ीरोमंस) उत्सर्जित होता
है जो विषमलिंगी को मैथुन के लिये अभिप्रेरित व उत्तेजित करती है।
धातु रोग की वजह से आती है- 
शिश्न में कमजोरी और नपुंसकता...
धात रोग केवल भारत एवं एशिया
में पाया जाने वाला पुरुषों का गुप्त रोग है। धातु रोग में  व्यक्ति के शरीर में शुक्राणुओं
की कमी या क्षीणता आ जाती है।
इस गुप्तरोग को धात जाना भी कहते हैं।
पुरुषों को धातु पतले होने की बीमारी  अधिक वीर्य निकल जाने या सूखने से
उत्पन्न होती है।
धातु निकल जाने या वीर्य के पतले
होने से अधिकांश लोग चिंतित रहते हैं।
धात गिरने की समस्या में पेशाब के
साथ या उत्तेजना के समय अथवा
स्वप्न दोष, हस्त मैथुन अथवा सम्भोग
करते वक्त वीर्य निकल जाता है।
यह सफेद रंग का होता है। इसे
आयुर्वेद में धातरोग बताया है।
आयुर्वेद के मौलिक सिद्धान्‍तों में
सप्‍त धातुओं का बहुत महत्‍व है।
इनसे शरीर का धारण होता है,
इसी कारण से इन्हें ‘धातु’ कहा जाता है
(धा = यानि धारण करना)।
ये संख्‍या में सात हैं –
1- रस
2- रक्‍त
3- मांस
4- मेद
5- अस्थि
6- मज्‍जा
7- शुक्र
ये सभी सप्‍त धातुयें त्रिदोष, वातादि
दोषों से कुपित
 होंतीं हैं। जिस दोष की कमी या अधिकता होती है, सप्‍त धातुयें तदनुसार रोग अथवा शारीरिक विकृति उत्‍पन्‍न करती हैं।
आधुनिक आयुर्वेदज्ञ सप्‍त धातुओं को ‘पैथोलांजिकल बेसिस‍ आंफ डिसीजेज’
के समतुल्‍य मानते हैं।
सुश्रुत के अनुसार मनुष्य जो पदार्थ
खाता है, उससे पहले द्रव स्वरूप
एक सूक्ष्म सार बनता है।
यही सार रस कहलाता है।
देह में इसका स्थान ह्वदय कहा गया है।
यहाँ से यह धमनियों द्वारा सारे शरीर में फैलता है। यही रस तेज के साथ मिलकर पहले रक्त का रूप धारण करता है और
तब उससे मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, शुक्र आदि शेष धातुएँ बनती है।
धातुरोग की आयुर्वेदिक चिकित्सा…
धातु रोग से पीड़ित
केवल पुरुषों के लिए-
ये तीनों धातुवर्द्धक ओषधि
कामोद्दीपक और सेक्स वृद्धि
में सहायक है।
बी फेराल गोल्ड-
शुद्ध आयुर्वेदिक पदार्थो, जड़ीबूटियों,
रस-भस्मों तथा प्राकृतिक प्रोटीन,
मिनरल्स, विटामिन युक्त
ओषधियों से बनाया गया है ।
इसका कोई साइड इफ़ेक्ट
या हानिकारक दुष्प्रभाव
नहीं है । यह गुप्तरोग नाशक
हर्बल दवा है।
बी.फेराल गोल्ड माल्ट
नशीले पदार्थ रहित एक ऐसा
अद्वितीय आयुर्वेदिक योग है,
जो सम्पूर्ण पुरुषत्व,ओज औऱ
शक्ति-स्फूर्ति प्रदान कर वैवाहिक
जीवन को आनंदमय व प्रफुल्लित
बनाता है।
कितने समय तक लेना जरूरी है...
बी फेराल कॉम्बो का सेवन 3 से 6
महीने तक नियमित करना चाहिए।
यह शनै-शनै शरीर के अंदरूनी
हिस्से में शुक्राणुओं को बढ़ाकर
वीर्य को गाढ़ा करता है।
धातु रोग से दुःखी पूरुषों के लिए
यह शक्ति, बल वीर्य प्रदाता है।
अग्र लिखित गुप्तरोगों का नाशक
यौन दुर्बलता, नपुंसकता,
शारीरिक शिथिलता,
नामर्दी, नपुंसकता
शिश्न में पतलापन व टेढ़ापन,
जल्दी डिस्चार्ज, कमजोरी नाशक
स्वप्नदोष, जोश की कमी, शीघ्रपतन
 लिंग में ढ़ीलापन, शीघ्रपतन आदि
समस्याओं का जड़ से अंत कर देता है।
आर्डर करने के लिए-
अमृतम पत्रिका पढ़े-

आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से बात करें!

अभी हमारे ऐप को डाउनलोड करें और परामर्श बुक करें!

Comments

One response to “कामातुर स्त्री के 16-सोलह लक्षण को कैसे पहचाने….”

  1. Guddu avatar
    Guddu

    मुकाम सलैयाप्यासी निवासस्थान हनुमंतटोला उत्तमपुर पोस्टआफिस पिपरियापरौहा विकासकेन्द्र तेवरी तहसील स्लीमनाबाद विकासखण्ड बहोरीबंद जिला कटनी संभाग जबलपुर राज्य मध्यप्रदेश देश भारत महाद्वीप एशिया स्थान पिन 483440

Leave a Reply to Guddu Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *