गुर्दा या किडनी को केसे बचाएं।

प्रतिवर्ष 3 लाख से ज्यादा लोग डायलिसिस कराते हैं

  • जानकार हैरान हो जाएंगे कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों के गुर्दे खराब होने से उनकी पेशाब रूक जाती है और उन्हें डायलिसिस कराना पड़ता है। यह आंकड़ा दिनोदिन बढ़ेगा, कम नहीं होगा।

क्या खाए और केसे खानपान को निर्धारित करे।

आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथ योग रत्नाकर में मधुमेह पीडितों के लिए खानपान परहेज के बारे में बताया है।

मधुमेह रोगी क्या खाएं?

  • अधिक रेशे या फाइबर वाले पदार्थ, साबुत अनाज, फैट रहित दूध, प्लांट प्रोटीन जैसे मूंग की दाल या पानी, सुबह फल सलाद खाएं, रात में नहीं। रात को दही, अरहर की दाल त्यागें।

कम खाने वाली वस्तुएं

  • सॉस, चिप्स, नमकीन भुने हुए पैकेट वाले नट्स, ज्यादा नमकीन मट्ठा, प्रोसेस्ड चीज, पास्ता आदि

इन्हे हमेशा के लिए भूल जाएं

  • बाजारू या होटल पर बना भोजन, ज्यादा कड़वी चीजे जैसे नीम, करेला जूस आदि। प्रोसेस्ड मीट।
  • कोकोकोला, डार्क सोडा, हल्की शराब, डिब्बा बंद भोजन, पिज्जा, बर्गर, अधिक तेल मसाले वाला भोजन।

गुर्दे या किडनी की खराबी के लक्षण

  • माधव निदान में गुर्दे के संक्रमित होने के पश्चात के लक्षणों का उल्लेख है।
  • रात में अधिक पेशाब आना : सोते समय शरीर का अतिरिक्त मूत्रास्त्राव एक्स्ट्रा फ्लूड सीधे गुर्दे, किडनी में पहुंचता है। यदि किडनी क्षतिग्रस्त हैं, तो वह इस फ्लूड को फिल्टर नहीं कर पाती हैं। ऐसे में रात में पेशाब बार-बार आती है।
  • किडनी में सूजनः किडनी के क्षतिग्रस्त होने के कारण यूरिन के माध्यम से प्रोटीन बाहर निकलने लगता है। प्रोटीन की कमी के कारण रक्त वाहिकाओं में सूजन से कई अंगों में सूजन आने लगती है।
  • किडनी फेल होने के बाद थकान क्यों होती है थकानः किडनी एरिथ्रोपीटिन नाम का हार्मोन बनाती है। यह हार्मोन बोनमैरो को अधिक मात्रा में लाल रक्त कणिकाएं बनाने का संकेत भेजता है।
  • किडनी के क्षतिग्रस्त होने से एरिथ्रोपीटिन का बनना कम हो जाता है। ऐसे में आरबीसी घटती हैं। नतीजा सुस्ती, थकान, एकाग्रता में कमी के रूप में सामने आता है।
  • पेशाब का लाल होनाः क्षतिग्रस्त किडनियां रक्त को यूरीन में जाने से पूरी तरह नहीं रोक पाती हैं। वहीं यूरीन में अधिक झाग इस बात का संकेत है कि एल्बुमिन नाम का प्रोटीन निकल रहा है।
  • त्वचा का रूखा होनाः क्षतिग्रस्त किडनियां अधिक फ़ास्फोरस को फिल्टर नहीं कर पाती हैं। यह त्वचा में एकत्रित होने लगता है जिससे ‘त्वचा रूखी व गहरे रंग की होने लगती है।

गुर्दे, किडनी की सुरक्षा की ओषधियां

मधुमेह की आयुर्वेदिक चिकित्सा

  • एक साग जिसे खाने से मधुमेह भाग जाएगा
  • आयुर्वेदिक निघंटू के मुताबिक मधुमेह रोगी को सुबह के समय बथुआ का रायता, कढ़ी अमृत की तरह लाभकारी है। लेकिन रात को लेना विष समान है।
  • बथुआ दुनिया की एक मात्र ऐसी सब्जी या शाक/साग है, जो बिना बोए ही उपजती है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में बथुआ को कुपचन रोग नाशक साग बताया है।

बथुआ के गुण वास्तूकं– वसन्ति गुणाः अत्र।

यद्यपि आयुर्वेदाचार्यों ने शाकों को निषिद्ध किया है तथापि बथुआ में अच्छे गुण होते हैं। पुराने जानकार लोग बथुआ का रायता बनाकर खाते हैं।

बथुआ की कढ़ी भी बहुत स्वादिष्ट और पाचक होती है।

बथुआ को हिंदी में बथुआ, बथुया, चिल्लीशाक

बंगाली में – बेतुया, वेतोशाक।

मराठी में – चाकवत, चकवत।

गुकराती में -टांको, बथवों, बाथरो, चीलो।

ता० – परुपुकिरै। कन्नड़ में- विलिय चिल्लीके।

फारसी में ०-मुसेलेसा, सरमक, सलमह।

अरबी में ० रोक् बतुल बजामेल, कुतुफ, कतफ।

अंग्रेजी में- Lambs Quarters (लैम्बस क्वार्टरस)। ले०Chenopodium album Linn (चिनोपोडियम् एलबम्) | Fam. Chenopodiaceae (चिनो-पोडिएसी) कहते हैं।

  • बथुआ भारतवर्ष के प्रायः सभी प्रान्तों के खेतों में यह बहुलता से पाया जाता है विशेषकर यह आप ही आप बिना बोये उत्पन्न होता है।
  • बथुआ का क्षुप – गंधहीन, सीधा या झुका हुआ, ३०-४५ से.मी. तक ऊँचा होता है।
  • बथुआ के पत्ते – आकार में छोटे-बड़े त्रिकोणाकार, नुकीले एवं कई प्रकार के होते हैं।
  • बथुआ की डण्डियों के अन्त में बारीक पुष्प और बीज कोषों के गुच्छे लगते हैं। इसके श्वेत, हरित एवं कुछ लाल ऐसे तीन प्रकार (Varieties) पाये जाते हैं।
  • बथुआ का रासायनिक संगठन – इसमें कॅरोटीन (Carotene) तथा विटामिन ‘सी’ होता है। – गुण और प्रयोग — यह सारक एवं कृमिघ्न है । जलने पर इसके पत्तों का लेप दाह शान्ति के लिये लगाते हैं। कुपचन में इसका साग देते हैं।
  • Diabkey Capsules 

Herbal remedy for diabetic patients

MRP ₹ 2,000 (Inclusive of all taxes)

Quantity: 50 Capsules

  • The Amrutam Diabkey capsule is an effective herbal medicine used to control diabetes. It helps in the effective management of both Type I and Type II Diabetes by controlling sugar levels.
  • It also helps to normalize energy levels in the body.

Key Ingredients

  • Vijaysar/ Beejasar: Because of its antioxidant and anti-inflammatory qualities, Vijaysar powder can be used to treat diabetes. It protects pancreatic cells from free radical damage and increases insulin output. As a result, blood sugar levels can be managed effectively.
  • Bael/ Bel: It controls the release of insulin from cells into the bloodstream, and its low glycemic index helps to keep blood sugar levels stable.
  • Gudmar: It is regarded as a miraculous cure for diabetic patients due to its efficacy in both type I and type II diabetes mellitus. It lowers blood sugar levels by increasing insulin levels in the body.
  • Overall, the Amrutam Diabkey is enriched with various natural remedies to help you combat diabetes. Shop the best herbal diabetes remedy online today!

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