अभ्यंग करने का सही तरीका | How to do Abhyanga?

अभ्यंग करने का सही तरीका | How to do Abhyanga?

!!अभ्यंग से मस्त मलंग!!

टूटे मन और कमजोर तन के

22 (बाइस) विकारों में

उपयोगी हर्बल चिकित्सा।
अभ्यंग अर्थात तन में तेल
की  मालिश करना ।

अभ्यंगस्नान से तन-मन में 

तीव्रता व तेज़ी आती है।
मानव के मन की मलिनता

मिटती है।

अभ्यंग व्यक्ति को अभय
यानी भय मुक्त करता है।

काया की मसाज़ ऑयल

में 7 तरह के आयुर्वेद की
जांची-परखी हर्बल ओषधियों
का मिश्रण है।

काया की मसाज आयल

में मिलाया गया
१- गुलाब,
2- केशर
३-चन्दनादि इत्र
की प्राकृतिक खुशबू से
तन-मन महक उठता है।

घटक द्रव्य

!1!- शुद्ध बादाम गिरी तेल
!2!- कुम-कुमादि तेल
!3!- जैतून तेल
!4!- केशर इत्र
!5!- चंदन इत्र
!6!- गुलाब इत्र
!7!- आदि सुगन्धित हर्बल
द्रव्यों से निर्मित
सम्पूर्ण परिवार के लिए
अभ्यंग (मालिश) हेतु सर्वोत्तम है
काया की तेल-

22 तरह से उपयोगी है

1,हड्डियों को मजबूत बनाता है
2,त्वचा को मुलायम करता है
3,रंग साफ करने में सहायक है
4,रक्त के संचार को गति प्रदान करता है
5,शिथिल नाड़ियों को शक्तिशाली बनाता है
6,छिद्रों की गन्दगी बाहर निकालता है
7,बच्चों की मालिश हेतु अति उत्तम
8,बच्चों के सूखा-सुखण्डी रोग नाशक है
9,बच्चों की लम्बाई बढ़ाता है
10,तुष्टि-पुष्टि दायक है
11,उन्माद,सिरदर्द,सिर की गर्मी
में राहत देता है
12,तनाव मुक्त कर,नींद लाता है
13,शरीर को सुन्दर बनाता है
14,महिलाओं का सौन्दर्य बढ़ाकर
खूबसूरती व योवनता प्रदायक है
15,ऊर्जावान बनाये
16,फुर्ती व स्फूर्ति वृद्धिकारक है
17,बादाम का मिश्रण बुद्धिवर्द्धक है
18,नजला,जुकाम दूर कर,
19,याददास्त बढ़ाता है
20,वात-विकार से बचाव करता है

काया की तेल 

21,बुढापा रोकने में मदद करता है
22,सब प्रकार से स्वास्थ्य वर्द्धक है

अभ्यंग करने का सही तरीका-

आयुर्वेद ग्रन्थों में
उल्लेखित है कि  —

अंग-अंग में अभ्यंग 

बहुत हल्के हाथ से
सुबह खाली पेट और रात्रि में
सोते समय करना चाहिए।

किस दिन करें मालिश

 अमृतम आयुर्वेद के

 “अभ्यंग चिकित्सा शास्त्रों”

 के “लेप-मर्दन प्रकरण में
अभ्यंग के बारे में स्पष्ट लिखा है कि-
तन को तेल से सराबोर यानि
पूरी तरह भिगा लेना चाहिये।
 
मालिश करने के बाद कम से कम
40 से 45 मिनिट बाद स्नान
करना लाभप्रद होता है।

शास्त्रों का निर्देश है  —

किस वार को अभ्यंग करने से
क्या फायदा होता है, इसके
बारे में विस्तार से बताया है-
“मन की चंचलता”
मिटाने हेतु
सोमवार को अभ्यंग या
मालिश करना हितकारी है!
“बुद्धि-विवेक वृद्धि हेतु”
बुधवार को
“आलस्य व शिथिलता”
दूर करने के लिए
शुक्रवार को तथा
“भय-भ्रम,चिन्ता,तनाव”
से मुक्ति एवं
राहु-केतु और शनि ग्रहों की
शान्ति के लिए
शनिवार को
स्नान से एक से दो
घन्टे पूर्व मालिश या अभ्यंगस्नान
का महत्व बताया है।
अभी बहुत सी दुर्लभ जानकारी
बताना बाकी है।
अतः सत्य व शास्त्र मत
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