अगर मान लो, तो हार है और
ठान लो, तो जीत है….
अरबों वर्ष पहले हमारे भारतीय वेदों में
त्रिकालदर्शी महर्षि भी लिख गए थे-
!!तन्मे मनःशिवःसङ्कल्पमस्तु!!
यह यजुर्वेद का मंत्र है-
अर्थात मेरे मन का संकल्प शुभ,
शक्तिशाली एवं शिव स्वरूप यानि
सबके लिए कल्याणकारी हो।
मेरे इरादों में मजबूती हो।
मन को चंगा, खुश रहने के लिए
सबमें भले का भाव होना जरूरी है।
सन्त रविदास या भक्त रैदास ने लिखा है-
मन चंगा, तो कठौती में गंगा।
कहा गया है कि जिसका मन चंगा
होगा, उसके मस्तिष्क में गंगा बह रही है।
अवसाद का आरम्भ....
अवसाद, डिप्रैशन, तनाव के कारण हैं
अनेक,जो एक नेक आदमी को परेशान
करते हैं।
■ खुद को कमजोर समझना या
■ हीनभावना, मनोबल,
■ आत्मविश्वास में कमी,
■ अनिद्रा,भय-भ्रम,चिंता-तनाव,
■ ज्यादा मोह माया
■ याददास्त की कमी,
■ बार-बार भूलना,
■ काम में मन न लगना,
■ बच्चोँ का पढ़ाई में मन नहीं लगना
ये सब शनैः-शनैः जिगर में जगह
बनाने लगते हैं। जब ही शुरू होता है-
अवसाद या डिप्रेशन
दुनिया का दोगलापन या दगाबाजी….
जिंदा आदमी को गिरने में ओर मरे
को उठाने में गजब की एकजुटता
दिखाते हैं लोग….यह भौतिक सन्सार
की प्रक्रिया है। सभी के जीवन में कुछ
न कुछ कष्ट और कोई न कोई रोग
हमेशा बने रहते हैं।
इनका एक ही इलाज है-जिंदादिल,
आत्मविश्वासी बनकर जियो और
तनाव, अबसाद भ्रम भय से बचो।
स्वामी विवेकानंद कहतें थे–
आपको कोई बचा नहीं सकता,
सिवाय आपके।ओर आप जीने
योग्य हैं।
जीवन एक ऐसा युद्ध है, जो अपने
ही विरुद्ध है…. जिसे आसानी से जीता
नहीं जा सकता। लेकिन, जो जीता वह सिकन्दर भी कहलाता है।
आयुर्वेद का दिमाग...
अमृतम आयुर्वेद में मस्तिष्क से जुड़े
विकारों को अत्यधिक महत्व दिया गया है। आयुर्वेद में अवसाद या अवसाद की स्थिति
को मानसिक व्याधि (दिमाग का विकार)
और मानसिक भाव (भावनात्मक) बताया
गया है।
हमारी लापरवाही या भूल….
आयुर्वेद जीवन पध्दति के मुताबिक
ज्यादा फ़ितूल की बातें सोचने तथा
रसायनिक तत्वों के सेवन से हमारा
मानसिक संतुलन बिगड़कर, तंत्रिका
तन्त्र बुरी तरह प्रभावित होने लगता है।
यही मानसिक रोगों का मूल कारण है।
वर्ष 2017 में इंडियन काउंसिल ऑफ
मेडिकल रिसर्च की एक रिपोर्ट में बताया
कि भारत में 7 में से एक व्यक्ति विभिन्न
स्तरों की विशेष गम्भीरता वाले मानसिक
विकारों से पीड़ित हैं।
इनमें डिप्रेशन के
4.57 करोड़ और चिन्ता करने वाले
मनोरोगी 4.49 करोड़ हैं।
अभी अभी 2020 की नई मानसिक
स्वास्थ्य संस्था ग्लोबल बर्डन ऑफ
डिसीज यानि जीबीडी का अनुमान है
कि आने वाला वक्त अब अवसाद का है।
विज्ञान भी हैरान है….
द नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेन्टल हेल्थ
एंड न्यूरोसाइंसेज के राष्टीय मानसिक
स्वास्थ्य सर्वेक्षण के निष्कर्षों से ज्ञात
हुआ कि 22 करोड़ करीब भारतीय
सक्रिय रूप से अवसाद के शिकार
हो चुके हैं, जिसमें युवाओं की संख्या
ज्यादा है।
राष्ट्रीय स्नायु विज्ञान संस्थान…
ने तनाव/टेंशन व अवसाद से बचाने के
प्रयास शुरू किये हैं। इसमें कोरोना के
दौरान तनाव प्रबंधन हेतु आयुर्वेदिक
चिकित्सा का सहारा लिया जा रहा है।
मनोचिकित्सकों के विचार है
तनाव, चिन्ता, अनिद्रा, अवसाद से
लड़ने एवं सभी मनोरोगों को कम करने
में प्राकृतिक प्रयास सर्वश्रेष्ठ हैं
बुजुर्ग व्यक्ति कहतें हैं-
जिसे जीना आता है, वह जिंदादिल इंसान सुख-सुविधा रहित होकर भी प्रसन्नता से
परिपूर्ण एवं खुश-मिलेगा और जिसे
जीना नही आता, जिसमें जीने की
तमन्ना नहीं है, वह सभी सुविधाओ
के होते हुए भी तनाव में तथा दु:खी
मिलेगा।
अवसाद (डिप्रेशन) की
आयुर्वेदिक दवा और इलाज
यह वजन या आकार के बारे में नहीं है।
यह आपके शरीर और मन-मस्तिष्क,
बुद्धि को कभी भी, कहीं भी,
कितना खुश रख सकता है।
दिमाग के लिए कारगर चिकित्सा...
आयुर्वेदिक की प्राचीन और प्रसिद्ध जड़ी-बूटियों में अश्वगंधा, वच, मुलेठी, ब्राह्मी,
मालकांगनी, आवलां मुरब्बा, त्रिफला, त्रिकटु शतावरी के साथ आयुवेर्दिक काढ़े जैसे कि सारस्वतारिष्ट और चंदनासव से अवसाद का इलाज किया जाता है।
आयुर्वेद तनाव रहित बनाकर आपके
शरीर और अच्छे स्वास्थ्य के बीच एक
शानदार तालमेल बनाने का यह एक
आसान तरीका है।
दिमाग को तेज करने वाला
ब्रेन की गोल्ड माल्ट एवं टेबलेट
3 माह तक निरन्तर लेना जरूरी है
यह असरकारी योगों जैसे-
आवलां मुरब्बे, मेवा-मसालों, प्रकृतिक जड़ीबूटियों के काढ़े से निर्मित है ।
यह दुनिया का पहला हर्बल जैम
है,इसे आयुर्वेद में माल्ट कहा जाता है ।
ब्रेन की गोल्ड माल्ट-
मन-मस्तिष्क से तनाव, अवसाद मिटाने
में पूरी तरह सक्षम है। यह दिमाग को मद-मस्त,प्रसन्न कर
पूरी तरह शान्त रखने वाली स्मृति वर्द्धक
हर्बल दवाई है।
ब्रेन की गोल्ड अतिशीघ्रता से
याददाश्त वृद्धिकारक है ।
ये तीनों दवाएँ अत्यंत असरकारक
ओषधियाँ हैं। बस इसे तीन से 6
माह तक बिना रुके दूध के साथ
दृढ़ निश्चय करके लेते रहें।
श्रीमद्भागवत में उल्लेख है कि-
!!धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः!!
अर्थात-
हमारा तन-मन,मस्तिष्क कुरुक्षेत्र है
इसमें सदा युद्ध (महाभारत) चलता
ही रहता है। इस कारण शरीर-स्वास्थ्य
खराब होकर मानसिक विकार उत्पन्न
होते हैं ।
सभी धर्म में मन की गति सर्वाधिक
बताई है। मन में अमन की कमी होने
से तन का पतन कर देती है।
अतः तंदरुस्ती हेतु ऐसे जतन (प्रयास)
करें कि मन प्रसन्न रह सकें ।
मन के खराब होने से निगेटिव विचार
आने लगते हैं तथा मानसिकता विषैली,
दुषित हो जाती है ।
आधि-व्याधि से उत्पन्न बुद्धि की
बर्बादी के सोलह-१६ कारण..…
१}- काम की अधिकता और
२}- रात-दिन की भागमभाग से थकान
३}- विपरीत जीवन शैली
४}- अनियमित खानपान,
५} लगातार कमजोरी आना
६}- न समय पर सो पाना, न जागना
७}- पाचन तन्त्र की खराबी,
८}- मेटाबोलिज्म का दिनोदिन बिगड़ना,
९}- लगातार चिन्ता,तनाव,
१०}- लंबे समय तक कब्जियत बनी रहना ।
११}- ज्यादा एलोपैथिक दवाओं का सेवन,
१२}- लम्बे समय तक भूखे रहना,
१३}- शरीर में पित्त की गर्मी रहना,
१४}- शारीरिक और सेक्स की अतृप्ति,
१५}- हमेशा पेट खराब रहना,
१६}- भूख न लगना आदि अनेक कारण
रोगों का राजा बना देती हैं ।
यह दिमाग की डिम आग को प्रज्जलित
करने वाला हर्बल माल्ट (अवलेह) या
जैम के रूप में यह पहली दवा है ।
उपरोक्त तीनों योग
3 माह तक नियमित लेवें।
सेवन विधि….
माल्ट को 1 से 2 चम्मच और साथ में
1 या 2 गोली सुबह खाली पेट गुनगुने
दूध से 3 महीने तक लगातार सेवन करें।
दुपहर खाने से पहले अश्वगंधा चूर्ण
एक चम्मच लें।
इन दवाओं के 3 माह के उपयोग
से एक बार के पढ़ने या समझने से
याद होने लगेगा ।
ऑनलाइन आदेश देवें-
शंका-समाधान….
क्या आयुर्वेदिक सप्लीमेंट्स का कोई
दुष्प्रभाव या साइड इफेक्ट होगा?….
आयुर्वेद एक प्राकृतिक चिकित्सा है,
इसके उपयोग से कोई हानि या नुकसान
नहीं होता बल्कि आयुरवेद के लाभकारी
प्रभाव मतलब साइड बेनिफिट बहुत हैं।
अच्छे प्रभाव को देखने के लिए मुझे इन सप्लीमेंट्स को कब तक लेना होगा? …
आयुर्वेदिक दवाएँ किसी भी तरह के रोगों
को जड़ से मिटाने में कारगर होती हैं।
इसमें किसी तरह के केमिकल या रसायनिक
सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया जाता।
इसलिए सम्पूर्ण परिणाम के लिए इसे
कम से कम तीन महीने तक सेवन
करने की सलाह दी जाती है।
यह कैसे सुनिश्चित करते हैं कि
आयुर्वेदिक ओषधियाँ या सप्लीमेंट्स
में इस्तेमाल होने वाले तत्व उच्च गुणवत्ता
के होते हैं….
जड़ीबूटियों की जानकारी देने वाले
प्राचीन ग्रन्थ आयुर्वेदिक निघण्टु,
भावप्रकाश, द्रव्यगुण विज्ञान,
आयुर्वेद सारः-संग्रह आदि अनेक
प्रामाणिक पुस्तकों में सभी द्रव्यों
के बारे में बताया गया है।
जैसे-नाम, पहचान, तना, पुष्प,
वृक्ष, रंग, गुण-दोष, मात्रा,
उपयोग का तरीका, परहेज
सब कुछ लिखा हुआ है।
इसी अनुसार दवाओं का निर्माण किया
जाता है, जो रोग ठीक करने में हितकारी हैं।
अवसाद एक मूड सम्बन्धित विकार है
जिसमें व्यक्ति को लगातार निराशा या
दुख महसूस होता है। इससे मनोरोगी
की ऊर्जा-शक्ति, एनर्जी का ह्रास होकर
उसके चिंतन स्तर में कमी आती है और
व्यक्ति अपनी सेहत पर भी ध्यान नहीं दे
पाता है।
डिप्रेशन/अवसाद की वजह से रोजमर्रा
के कार्यों को करने में भी दिक्कत आती है।
वर्तमान समय में भारत के अंदर लगभग
80 फीसदी डिप्रेशन से पीड़ित लोग
उपचार नहीं करवाते हैं और कुछ जगहों
पर तो अवसाद को एक सामाजिक कलंक
के रूप में देखा जाता है।
जीने की ऊर्जा-उमंग, एनर्जी कैसे बढ़ाएं…
मानसिक तनाव के इलाज के लिए
आयुर्वेदिक में शिरोधारा अर्थात सिर से
ओषधि तेल बूंद-बूंद आज्ञाचक्र पर डालने
की यह विधि बहुत पुरानी है। इसे पंचकर्म
चिकित्सा में बहुत सम्मान प्राप्त है।
आज भी शिरोधारा चिकित्सा को
बुद्धिजीवी और जानकर अमीर लोग
अपनाते हैं।
वमन यानि औषधियों से उल्टी करवाने
की प्रक्रिया इससे पेट के सभी विकार दूर हो जाते हैं और आयुर्वेदिक रसायन यानि ऊर्जादायक
द्रव्यों का सेवन कराया जाता है।
ये शरीर के समस्त विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल देते हैं, जिससे दिमाग को आराम मिलता है।
आयुर्वेद के अनुसार शुद्ध, पाचक जैसे-
साबुत खाद्य पदार्थों, ताजी हरी एवं बैगनी रंग की सब्जियों मूंग की दाल को अपने आहार या भोजन में
शामिल कर अवसाद को नियंत्रित किया जा सकता है।
अवसाद की समस्या से निजात पाने
तथा नियंत्रित करने
के लिए सबसे बेहतरीन उपाय या तरीका
है कि योगा करें। मालिश की मदद लेकर
अवसाद से बाहर निकलें।
दिमाग के बारे में बहुत कुछ लेख
उपलब्ध हैं-
Ayurved का बहुमूल्य फेस oil…
डिप्रेशन क्या है…
फेफड़ों के बारे में जाने
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