तंत्र-मंत्र, में यक्ष-यक्षिणी साधनाएं क्या हैं। कर्ण पिशाचनी सिद्धि से अमीर कैसे बनते हैं कुछ लोग….

यह सब महादेव की भक्ति से सम्भव है।
सभी तंत्र-मंत्र, सूक्ष्म साधनाएं भोलेनाथ के अधीन हैं।
शिव को साधकर सब कुछ बहुत आसानी से पाया जा सकता है।

इस ब्रह्मांड में कई तरह के लोक हैं, इन लोकों में अलग अलग तरह की प्रजातियों का निवास है।

कुछ लोक पृथ्वी से नजदीक हैं कुछ दूर।

यक्ष, किन्नर, गंधर्व, पिशाच, प्रेत , अप्सरा इत्यादि शक्तियां देवताओं से निम्न शक्ति वाली हैं।

ये पृथ्वी लोक से नजदीक रहती हैं।

मान्यता है नजदीकी लोक में स्थित शक्तियों को

प्रसन्न करना आसान है क्योंकि इनतक हमारी मानसिक तरंगें जल्दी पहुंचती हैं।

यक्ष और यक्षिणी की साधना- यक्ष एक ऐसी

प्रजाति है जो कि रहस्यमयी और मायवी है।

64 प्रकार के यक्षों की प्रजाति पाई जाती है।

इनमें से एक कुबेर नाम के यक्ष सुप्रसिद्ध हैं…

जो कि देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं और अकूत धन संपदाओं के स्वामी भी हैं।

इस तरह यक्षणियां भगवान शिव और माता पार्वती की सेवा में लगी रहती हैं।

ये चुड़ैल और पिशाचों से अलग हैं और साधक द्वारा सिद्ध की जाती हैं।

इन्हें सिद्ध करने वालों को मद्य, मांस, मत्स्य को नैवेद्य और प्रसाद के रूप में लेना पड़ सकता है।

ऐसी ही आठ यक्षणियों को सिद्ध करने का विधान है ।

【१】सुर सुन्दरी यक्षिणी

【२】मनोहारिणी यक्षिणी

【३】कनकावती यक्षिणी

【४】कामेश्वरी यक्षिणी

【५】रतिप्रिया यक्षिणी

【६】पद्मिनी यक्षिणी

【७】नटी यक्षिणी

【७】अनुरागिणी यक्षिणी

उपरोक्त यक्षणियों को माह भर के भीतर

प्रसन्न करके काम निकाला जा सकता है।

इनको सिद्ध करने की विधि यहां नहीं बता

सकते। यह सब जानने के लिए गुरु की शरण में जाना जरूरी है।

माँ पीताम्बरा पीठ के महान साधक स्वामीजी को बहुत गहन ज्ञान था।

देवी-देवताओं को प्रसन्न करना मुश्किल क्यों है-

देवी देवता उच्च कोटि की ताकतवर शक्तियां हैं।

प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से संसार को चलाने की जिम्मेदारी इन्ही पर है।

ये मनुष्य की पूजा पाठ पर जल्दी ध्यान नहीं देतीं।

क्योंकि इनतक हमारी

प्रार्थना या तरंगें पहुंच ही नहीं पातीं। इनसे

निम्न लोक में रहने वाली शक्तियां हमारे

निवेदन को रोक लेती हैं।

उदाहरण- अगर आप मुख्यमंत्री के पास कोई शिकायत या निवेदन लेकर जाना चाहें

तो उनके नीचे काम करने वाले तुरंत अड़ंगा लगा देंगे।

ठीक उसी तरह वहां भी चलता है।

इसी तरह अगर आप नारायण को प्रसन्न करने हेतु भक्ति करना शुरू करेंगे

तो ये शक्तियां आपको तमाम तरह के प्रलोभन देकर आपको मायाजाल में उलझा देंगे ।

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नोट- कलयुग के शुरुआती दिनों में इन विद्याओं का जमकर दुरुपयोग किया जाने लगा था।

क्योंकि आधुनिक काल का मनुष्य अपने मतलब के लिए जाना जाता है।

इसलिए ये साधनाएं श्रापित हो चुकी हैं । यह समय कर्म पर आधारित है ।

इसलिए इन सब चक्कर में पड़ कर अमूल्य जीवन ना बर्बाद करें।

वैसे भी जो जिसकी पूजा करता है वह मरने के बाद उन्हीं के पास जाता है।

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