आज 26 जून 2020 को है-अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस….

नशीली दवाओं के सेवन और

अवैध तस्करी के खिलाफ

इंटरनेशनल डे अगेंस्ट ड्रग एब्यूज (International Day Against Drug Abuse)

अमृतम परिवार मधपान, मादक पदार्थो
से पीछा छुड़ाने की प्रार्थना करता है।
नर हो या नारी, नशा उन्हें नटराज बना
देता है। पीकर वह कब तांडव करने
लगे कह नहीं सकते।
नशा नाईट में हो मध्यान्ह (दिन)  में
यह दिल को कमजोर बना देता है।
नई पीढ़ी के न्याय और स्वास्थ्य के
लिए हमें नशे के नित्य, नवीन
नये-नये नशेली, विषैली वस्तुओं पर
लगाम लगाने का प्रयास करना चाहिए।
अमृतम नशे की लत में लगातार लगे,
लोगों से अपने स्वास्थ्य के साथ न्याय
करने की अपील करती है।
अपने मन को, लत को छोड़ने हेतु
कुछ हद तक ब्रेन की गोल्ड माल्ट
ब्रेन की गोल्ड कैप्सूल ये दोनों आयुर्वेदिक
ओषधियाँ  सहायता कर सकती है, इन्हें
5 से 6 महीने तक सेवन करें।

नई पीढ़ी नशविहीन और स्वस्थ्य रहेगी,
तो कभी अन्याय नहीं करेंगे क्योंकि नशे
की वजह से ही समाज में अवसाद,
अपराध का आगमन होता है।

आज नशा निरोधक दिवस है।
विश्व में यह वर्ल्ड एन्टी ड्रग डे
के नाम से जाना जाता है।
जानें-इसका इतिहास और महत्व ..
आरम्भ दिवस- 26 जून 1987 तय है।
नशा निषेध दिवस पर, नशे में उलझी
युवा पीढ़ी के लिए 26 जून  2020
का सन्देश  (थीम) है-
बेहतर देखभाल के लिए बेहतर ज्ञान।
वर्तमान में लोग कई प्रकार के नशा करने
के आदी होने लगे हैं, जिसमें शराब, ड्रग्स
और हेरोइन शामिल हैं। इसके अतिरिक्त
भी कई प्रकार के मद्यपान हैं।
बच्चे भी नशे के चंगुल में फंस रहे हैं।

नशा निरोधक दिवस का उद्देश्य…
यह दिन विश्ववासियों को नशा छोड़ने
की प्रेरणा देता है। मद्यपान के विरुद्ध
लोगों में चेतना फैलाता है तथा नशे के
आदतन आदमियों, नर-नारियों  के
इलाज की दिशा में भी महत्त्वपूर्ण
कार्य करता है।

जाने नशे के 11 नुकसान….

【1】नशे से आती है नकारात्मक-
निगेटिव सोच और जीवन नश्वर,
नाशवान हो जाता है-
【2】नशेलची लोग हमेशा परेशान, हैरान
एवं धनहीन, बुद्धिहीन हो जाते हैं।
【3】नशा नपुंसक बना देता है।
【4】नशा जीवन को नरक कर देता है।
【5】ड्रग सेवन से दुखी व्यजती दर-दर की ठोंकरे खाने पर मजबूर हो जाता है।
【6】पग-पग परेशानियां प्रताड़ित करती है।
【7】नशा करने वाले नर-नारी से नारायण
ईश्वर भी नाराज हो जाता है।
【8】नशे में धुत लोगों का जीवन तथा
हर डग, डगमगाने लगता है।
【9】समाज इन्हें अच्छी नजर से नहीं
देखता न विश्वास करता है।
【10】नशा का उल्टा शब्द शान होता है।
अतः मद्यपान इंसान का मान-सम्मान
मिटा देता है।
【11】मादक तत्व तंत्रिका तन्त्र, मन
एवं मनोबल को कमजोर बना देता है।
【12】नशा नर्वस सिस्टम को प्रभावित
करते हुए इंसान को संवेदनशून्य बनाकर
अपराध की तरफ धकेल देता है।
【13】मादक तत्व मनोवैज्ञानिक मानसिक
रोग वृद्धि में सहायक है।
【14】नशे से आत्मबल डगमगा जाता है।
【15】नशे का दुष्प्रभाव स्वास्थ्य, समाज और
परिवार पर होता है।
【17】नशे या ड्रग्स की आदत से भूख एवं वजन,
कब्ज, चिंता का बढ़ना और चिड़चिड़ापन,
नींद अधिक या बिल्कुल न आना, आलस्य
गुप्तरोग तथा कामकाज की हानि आदि
बहुत गंभीर नुकसान होता है।
क्या करना चाहिए देश-दुनिया…
नशा रूपी विकार के विनाश के लिए विश्व
को विवेकपूर्ण विचार करते हुए लोगों को खासकर विभिन्न व्यसनों से युवक-युवतियों
को मुक्त कराना है।
मादक पदार्थो से मर रहे मनुष्यों को बचाएं।
देह और देश का हित इसी में है।
अपने अंदर के अवचेतन, अचेतन, अन्तर्मन
को मन को सजग मजबूत करते हुए विषविकार
से बचने की सार्थक पहल करें।

ड्रग का इस्तेमाल …

अंग्रेजी चिकित्सा में उपयोग होने मादक
पदार्थ दर्द हरण में कारगर होते हैं, लेकिन
यह इम्युनिटी को तबाह भी करने में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
कोशिश करें कि हमें किसी तरह की दवा की जरूरत न पड़े। दवा का काम दर्द या रोगों को दबाना होता है, ठीक करना नहीं। दवा की जगह सुबह की शुद्ध हवा लें। प्रातः की वायु आयु बढ़ाती है ओर वायु का उल्टा शब्द युवा होता है।
मतलब साफ है कि सुबह जल्दी जागकर
परमात्मा प्रदत्त प्राकृतिक पवन का उपयोग करें, जो पवित्रता प्रदान करेगी।
सूर्योदय की हवा सबसे बड़ी दवा है, इससे आपका
तन-मन-अन्तर्मन महक उठेगा। वात-पित्त-कफ
सन्तुलित रहेगा। त्रिदोष का नाश होगा। बुढापा जल्दी नहीं आएगा। आयुर्वेद के कायचिकित्सा ग्रन्थ और चरक सहिंता में प्रातःकाल की
मंद-मंद हवा को उम्र रोधी यानि एंटीएजिंग
उपचार बताया है। कहा गया है कि  शरीर को साधना, स्वस्थ्य रहना सबसे बड़ा कार्य है।
ईश्वरोउपनिषद में वर्णित है-
तंदुरुस्त तन बनाये रखना ही तीन लोक की
यात्रा और त्रिदेवों
की  तपस्या-उपासना, पूजा-अर्चना है। इसके अतिरिक्त खुश, प्रसन्न रहने का दूसरा कोई मार्ग नहीं है-
स्वस्थ्य शरीर में ही शिव और शिवाय का साथ सदैव रहता है।
इसलिए करवद्ध निवेदन है कि-दर्द को
छुपाने के लिए ड्रग नहीं, ध्यान लेवें।

सन्सार में पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) द्वारा 07 दिसम्बर 1987 को
प्रस्ताव 42/112 द्वारा 26 जून को नशीली दवाओं के सेवन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय
दिवस मनाये जाने की घोषणा की गयी
इस दिन नशे की चपेट में आने वाले लोगों
को जागरुक किया जाता है।

ड्रग्स के दुरूपयोग:
व्यसन शब्द अंग्रेजी के ‘एडिक्ट‘ शब्द का रूपान्तरण है।

मादक पदार्थों के सेवन से उत्पन्न स्थिति
को दव्य मादकता (Substance intoxication) कहते हैं।
जिससे शारीरिक निर्भरता की स्थिति प्रकट
होती है। व्यसन का अभिप्राय शरीर संचालन के लिए मादक पदार्थ का नियमित प्रयोग करना है अन्यथा शरीर के संचालन में बाधा उत्पन्न होती है। व्यसन न केवल एक विचलित व्यवहार है अपितु एक गम्भीर सामाजिक समस्या भी है। तनावों, विशदों, चिन्ताओं एवं कुण्ठाओं से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति कई बार असामाजिक मार्ग अपनाकर नशों की और बढ़ने लगता है, जो कि उसे मात्र कुछ समय के लिए उसे आराम देते हैं। किसी प्रकार का व्यसन (नशा) न केवल व्यक्ति की कार्यक्षमता को कम करता है अपितु यह समाज और राष्ट्र दोनों के लिए हानिकारक है। नशीले पदार्थो की प्राप्ति हेतु व्यक्ति, घर, मित्र और पड़ोस तक में चोरी एवं अपराधी क्रियाओं को अंजाम देने लगता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाए तो व्यसन विभिन्न बीमारियों को आमंत्रण देता है। राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर यह तस्करी,
आतंकवाद एवं देशद्रोही गतिविधियों को बढ़ावा देता है। सामाजिक दृष्टि से जुआ, वेश्यावृति, आतंकवाद, डकैती, मारपीट, दंगे अनुशासनहीनता जैसी सामाजिक समस्याएँ व्यसन से ही संबंधित हैं। व्यसनी व्यक्ति दीर्घकालीन नशों की स्थिति में उन्मत्त रहता है तथा नशीले पदार्थ पर व्यक्ति मानसिक एवं शारीरिक तौर पर पूर्णतया आश्रित हो जाता है, जिसके हानिकारक प्रभाव केवल व्यक्ति ही नहीं अपितु उसके परिवार और समाज पर भी पड़ते हैं
प्रकार
कैसे-कैसे नशे क्या हैं ये विशेष तथ्य
आजकल कुछ बच्चे फेविकोल, तरल इरेज़र, पेट्रोल कि गंध और स्वाद से आकर्षित होते हैं। कई बार कम उम्र के बच्चे आयोडेक्स, वोलिनी जैसी दवाओं को सूंघकर इसका आनंद उठाते हैं। कुछ मामलों में इन्हें ब्रेड पर लगाकर खाने के भी उदहारण देखे गए हैं।

कहावत है- अफीमची की राढ़…
अफीम खाने वाले को मतिभ्रंम रहता है।
अफीमची की घरवाली अपने को विधवा
मानकर चलती है। चरसी की तरसती
सेक्स के लिए रहती है।
चरसी की तरसी, अफीमची की राढ़।
पाइन वाले की कहती है,
आता होगा मेरा साढ़।।

वर्ष 2001 के एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में
भारतीय पुरुषों में अफीम सेवन की उच्च
दर 12 से 60 साल की उम्र तक के लोगों
में 0.7 प्रतिशत प्रति माह देखी गई।
π शराब
π तम्बाखू
π शामक
π अवसादक
π शान्तिकर पदार्थ
π उत्तेजक पदार्थ
π नार्कोटिक/स्वापक
π तन्द्राकर पदार्थ
π विभ्रामात्मक पदार्थ
π भ्रामोत्पादक
π भ्रान्तिजनक पदार्थ
π ताम्रकूटी
π निकोटीन पदार्थ
आदि नशा करने की सामग्री है।
नशे के साइड इफ़ेक्ट-
फँसे नशे के जाल में, बच्चे और बुजुर्ग।
झुग्गी जैसा तन बना, जो था पहले दुर्ग॥
मन से कुंठित हो गया, लगा नशे का रोग।
हेय दृष्टि से देखते, उसको सारे लोग॥

कलयुग में नशा-

देख लो कैसा कलयुग आया
माया में सब भ्रमित हैं,
ऐसी नशे की लत ये देखो
विष में दीखता अब अमृत है।

मादक दवाओं के गुण एवं प्रभाव को
5 भागों में बांटा गया है-

मादक द्रव्यों के अधिक सेवन से मस्तिष्क
विकृत हो जाता है। इसे अधिक मात्रा में लेने
से व्यक्ति इनका आदी होकर उसे शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक हानि उठानी पड़ती है।

!~ कोकीन :- यह ट्रोपेन एलकालाइड है
इसे सूंघ कर एवं धूम्रपान कर नशा किया
जाता है। यह मानसिक स्थिति को विभ्रम
करता है। यह ह्रदय की गति को तेज कर
उच्च रक्तचाप बढ़ाता है। इसमें नशा लेने
वाले को आनंद की अनभूति होती है।
एक ग्राम के आठवें हिस्से की कीमत
चार हजार रुपए  है।

!!~ मेथामेप्टामाइन ….
यह साइकोस्टूमेलेन्ट यानि मैथ या आइस भी कहते हैं। इसको धूम्रपान से या इंजेक्ट कर लिया जाता है। इसको लेने से शरीर में उत्तेजना उत्पन्न होती है एवं आनंद का अनुभव होता है। इसको लेने से अवसाद, उच्च रक्तचाप एवं नपुंसकता होती है।
!!!~ क्रेक कोकीन….
इससे पूरा स्नायु तंत्र प्रभावित होता है!
हृदय को नुकसान पहुंचता है।
हृदय गति बढ़ जाती है।
धमनियां सुकड़ जाती है।
इस नशे का आदि अपराधी प्रवृत्ति की ओर अग्रसर होता है।
यह अवसाद-डिप्रेशन, अकेलापन एवं
असुरक्षा की भावना उत्पन्न करता है।
क्रेक कोकीन के नशे का आदि व्यक्ति
को गलतफहमी होती है की वह बहुत
शक्तिशाली, ताकतवर है।

!v~ एलएसडी (LSD )…
यह लाइसर्जिक अम्ल से बनती है जो अरगट (ERGOT) में पाया जाता है। यह गोलियों के रूप में मिलती है। इसका नशा लेने से व्यक्ति
का मस्तिष्क अत्यंत क्रियाशील हो जाता है। करीब 30 से 90 मिनिट बाद इसका प्रभाव
शुरू होता है। इस मादक द्रव्य को लेने से
व्यक्ति के भाव तेजी से बदलने लगते है।
अधिक मात्रा में लेने से व्यक्ति के समक्ष काल्पनिक विभ्रम पैदा होते हैं, जिससे उसे आनंद की अनुभूति होती है। इसको लेना वाला नशेड़ी अवसाद ग्रस्त, वस्तुओं के आकार एवं
रंग में भ्रमित एवं मधुमेह व उच्च रक्तचाप का रोगी हो सकता है। एक बार के नशे में करीब 10 से 12 घंटे तक असर रहता है।

V~ हेरोइन से सब दिखती हैं- हीरोइन…
मॉर्फिन से बनने वाला यह डायएसिटिल
ईस्टर (Diacetyle Ester) मादक है, जो
नशा जल्दी असर दिखाता है। यह देह को
रोगों का गोदाम बना डालता है।
यह नशा व्यक्ति के श्वसन तंत्र पर प्रभाव
डालता है। इस नशे को लेने वाले को
निमोनिया होने की तीव्र सम्भावना होती है। इसके प्रभाव से धमनियों में थक्का जमने
लगता है एवं फेफड़े, लिवर व किड़नी
खराब हो सकते हैं। इसको नशे के आदि
ग्लास टूब से धुंए के रूप में लेते हैं।
V~ मारिजुआना-
यह टेट्रा हाइड्रो कैनाबिनोलिक एसिड
(THCA) है, जो कि केनिबस पौधे से प्राप्त किया जाता है। यह एक खतरनाक नशा है
एवं प्रतिवर्ष करीब एक करोड़ लोग इसकी
चपेट में आ रहे हैं। इसको धूम्रपान के रूप में लिया जाता है, इसे हशीश भी कहते हैं।
इस नशे को लेने वाले व्यक्ति की आंखे लाल रहती हैं, नींद बहुत आती है, वह अकेला रहने लगता है, सहयोग की भावना खत्म हो जाती है। यह नाश भ्रम उत्पन्न करता है, जिससे व्यक्ति निर्णय नहीं ले पाता है एवं अनावश्यक बातें करता है। समय को सही नहीं पढ़ पाता है।

V!!~ एक्टेसी (Ecstasy):- इसे MDMA
भी कहते हैं। यह 3,4-Methylenedioxy-N-Methylamphetamine) है। यह उत्तेजना पैदा करने वाली दवा है। इससे शरीर का तापमान इतना बढ़ जाता है कि शरीर के अंग जैसे किड़नी, हृदय काम करना बंद कर सकते हैं। इसके प्रभाव से व्यक्ति हर उस वास्तु को छूने की कोशिश करता है जो उसे आनंद प्रदान करें। उसके प्रभाव से मांसपेशियों में खिंचाव, उत्तेजना एवं भ्रम पैदा होता है।

नशे के आदी होने के कारण ….

मादक द्रव्यों के बढ़ते हुए प्रचलन के लिए आधुनिक सभ्यताओं को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिसमें व्यक्ति यांत्रिक जीवन व्यतीत करता हुआ भीड़ में इस कदर खो गया है कि उसे अपने परिवार के लोगों का भी ध्यान नहीं रहता है। नशा एक अभिशाप है, एक ऐसी बुराई जिससे इंसान का अनमोल जीवन मौत के आगोश में चला जाता है एवं उसका परिवार बिखर जाता है। व्यक्ति के नशे के आदि होने के कई कारण हो सकते हैं। यह कारण व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक हो सकते हैं, जिनमें से कुछ मुख्य कारण अधोलिखित हैं।

➧ माता-पिता की अति व्यस्तता बच्चों में अकेलापन भर देती है। माता-पिता के प्यार से वंचित होने पर वह नशे की ओर मुड़ जाता है। परिवार में कलह का वातावरण व्यक्ति को नशे की ओर ढकेल रहा है।

➧ मानसिक रूप से परेशान रहने के कारण व्यक्ति नशे की आदत डाल लेता है।
यह मानसिक परेशानी पारिवारिक,
आर्थिक एवं सामाजिक हो सकती है।

➧ बेरोजगारी नशा की ओर उन्मुख होने
का एक प्रमुख कारण है।
खाली दिमाग शैतान का घर होता है।
दिनभर घर में खाली एवं बेरोजगार
बैठे रहने से व्यक्ति हीनभावना एवं
ऊब का शिकार होता है एवं इस हीनभावना
व ऊब को मिटाने के लिए वह नशे का
सहारा लेने लगता है।

➧ शारीरिक कमजोरी व पढ़ने में कमजोर होने के कारण बच्चे उस कमी को पूरा करने के लिए नशे का सहारा लेने लगते हैं।

➧ जो व्यक्ति तनाव, अवसाद एवं मानसिक बीमारी से पीड़ित है वो नशे का आदि हो जाता है।

➧ परिवार के व्यक्ति, दोस्त एवं अपने आदर्श व्यक्ति को नशा लेते देखकर युवा नशे का शिकार होते हैं।

➧ अकेलापन नशे को निमंत्रित करता है।

➧ लोग ये सोच कर नशा लेते हैं कि नशा तनाव को दूर करता है।

➧ किसी दूसरे की दवा को स्वयं पर
आजमाने से व्यक्ति नशे का आदि हो जाता है। चोट या दर्द की वजह से डॉक्टर दवा लिखता है, जिससे आराम मिलता है। जब भी चोट लगती है या दर्द होता है वो वह दवा बार-बार लेने लगता है जिससे वह नशे का आदि हो जाता है।

➧ पुरानी दुखद घटनाओं को भूलने के लिए लोग नशे का सहारा लेते हैं।

➧ लोग सोचते हैं की ड्रग्स लेने से वह फिट एवं तंदुरूस्त रहेंगे विशेष कर खिलाड़ी, इसी कारण मादक द्रव्यों की चपेट में आ जाते हैं।

➧ बच्चों में अत्यंत भेदभाव करने पर वो हीनभावना से ग्रसित हो जाते है एवं विद्रोह स्वरूप नशे की ओर मुड़ जाते हैं।

➧ पत्र-पत्रिकाओं एवं टेलीविजन पर तम्बाकू  एवं शराब के विज्ञापनों से प्रभावित होकर बच्चे एवं युवा इनका प्रयोग शुरू कर देते हैं।

डराने वाले भयावह आंकड़े :-
2015-16 के ग्लोबल एडल्ट टोबेको
सर्वे (विश्व वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण) के
अनुसार भारत में तब 12 करोड़ लोग
तम्बाकू तथा13 % लोग खैनी का सेवन
कर रहे थे।

अपराध ब्यूरो रिकार्ड के अनुसार, बडे़-छोटे अपराधों, बलात्कार, हत्या, लूट, डकैती,
राहजनी आदि तमाम तरह की वारदातों
में नशे के सेवन का मामला लगभग 73. 5 % तक है और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध
में तो ये दर 87 % तक पहुंची हुई है। अपराधजगत की क्रियाकलापों पर गहन नजर रखने वाले मनोविज्ञानी बताते हैं कि अपराध करने के लिए जिस उत्तेजना, मानसिक उद्वेग और दिमागी तनाव की जरूरत होती है उसकी पूर्ति ये नशा करता है। जिसका सेवन मस्तिष्क
के लिए एक उत्प्रेरक की तरह काम करता है।

2014 में नारकोटिक्स ड्रग्स एक्ट (NDPS ) के तहत 43290 केस दर्ज किए गए, जिसमे सबसे अधिक पंजाब में 16821, उत्तरप्रदेश में 6180, महाराष्ट्र में 5989, तमिलनाडु में 1812 , राजस्थान में 1337, मध्यप्रदेश में 1027 तथा सबसे कम गुजरात में 73, गोवा में 61 तथा सिक्किम में 10 केस दर्ज किए गए।

राष्ट्रीय स्तर पर नशा रोकने के उपाय :-
नशे से लड़ने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पारिवारिक एवं सामाजिक सामूहिक संकल्प की आवश्यकता है। सिर्फ सरकार या नशामुक्ति संस्थाएं इसके लिए पर्याप्त नहीं हैं। नशा रोकने में सबसे बड़ी समस्या है कि हम सिर्फ जागरूकता पर जोर देते है, उसकी रोकथाम के प्रयास कम करते हैं। जागरूकता सिर्फ बड़ों को नशे की लत से दूर करती है, जबकि रोकथाम बचपन में नशे की लत न लगे इसके लिए जरूरी है राष्ट्रीय स्तर पर चेतना। नशा को रोकने के लिए निम्न प्रयासों का क्रियान्वयन किया जाना चाहिए।
■ सामाजिक स्तर पर नशा रोकथाम कार्यक्रम बनना चाहिए।

■ नशा का व्यापक फैलाव समाज से संबंधित है अतः ऐसे समाजों को चिन्हित करके व्यापक जागरूकता अभियान चलना चाहिए।
■ स्वस्थ, सफल एवं सुरक्षित छात्र कैसे बनें इस थीम पर सभी विद्यालयों में नशा मुक्ति अभियान को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना होगा।
■ नशा रोकने के लिए कारगर रणनीति राष्ट्रीय स्तर पर क्रियान्वित होनी चाहिए।

आजकल पैसे, धन-दौलत का भी बहुत
नशा है। कुछ लोगों को नेताओं से सम्बन्धों
का नाश है। किसी को यौवन का,
किसी को ज्ञान का नशा है।
कुछ ऐसे-
नशा उसने पिया,
खुमार तुम्हें चढ़ा।
अर्थात-
जब कोई व्यक्ति उच्च स्थान पा ले
और उसके सगे-सम्बन्धी अपने को
वैसा ही समझने लगें।

नशा नाशवान नकारा बना देता है…
जाने ज्ञानियों के विचार
(1) नाश करने वाले के पास मृत्यु और विनाश बिना बुलाए ही आया करते हैं। क्योंकि ये हमारे मित्र के रूप में नहीं शत्रु के रूप में आते हैं। भगवतीचरण वर्मा
(2) जो आदमी नशे में मदहोश हो उसकी सूरत उसकी माँ को भी बुरी लगती है। तिरुवल्लुवर
(3) नशे की हालत में क्रोध की भांति, ग्लानी का वेग भी सहज ही बढ़ जाता है। मुंशी प्रेमचंद
(4) नशा करनेवाले मित्र से चले कोई कितना ही प्रेम क्यों ना करता हो पर जब निर्भर करने का अवसर आता है तो वह भरोषा उस पर करता है जो नशा न करता हो।  शरतचंद्र
(5) नशे से ही दु:ख आते हैं, नशे से ही मृत्यु होती है और नशे से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं। विवेकानंद
(6) नशा जरा लाकर रूप को, आशा धैर्य को, मृत्यु प्राण को, क्रोध श्री को, काम लज्जा को हरता है पर अभिमान सब को हरता है
विदुर नीति-

आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से बात करें!

अभी हमारे ऐप को डाउनलोड करें और परामर्श बुक करें!

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *