भारत के वेदमन्त्रों की ऋचाओं में
सूक्ति-स्तुतियों में कहा गया हैं कि
सम्पूर्ण विश्व ही हमारा परिवार है।
चराचर जीव-जगत, जीव-जंतु,
पशु-पक्षी की आत्माएं
हमारे परिवार का ही हिस्सा है।
हम भाग्यशाली हैं कि ये सब
हमारे समाज का भाग हैं।
अमृतम परिवार सृष्टि में निवासित सभी परिवारों को ह्रदय से साधुवाद करता है।
◆ समाज में सामंजस्य, परिवार में एकता,
◆ देश के प्रति समर्पण,
◆ नदियों के लिए नम्रता, और
◆ घर में सबके लिए सम्मान का भाव
सबके दिल में सदैव बना रहे,
बाबा विश्वनाथ से यही प्रार्थना है।
कर लो दुनिया मुट्ठी में-
जिस प्रकार विविध रंग रूप की
गायें एक ही रंग का (सफेद)
दूध देती है, उसी प्रकार कुटुम्ब
में विभिन्न सोच वाले सदस्य होते हैं
यह अच्छी बात है, लेकिन विचारधारा
को लेकर विवाद कभी विषाक्त न हो,
आपस में प्रेम, स्नेह, अपनापन और एकता बनी रहे। सारा कुटुम्ब संगठित होकर रहे धर्मपंथ, धर्म-शास्त्र तथा वेद वाक्य एक ही तत्त्व की सीख देते है।
शास्त्रों से सीखना चाहिए....
कलहान्तानि हम्र्याणि
कुवाक्यानां च सौहृदम्।
कुराजान्तानि राष्ट्राणि
कुकर्मांन्तम् यशो नॄणाम्।।
विवाद से घर, तितर-बितर हो जाते हैं।
झगडों से परिवार टूट जाते है।
दुषित और विष वाणी बोलने से
परिवार का विकास अवरुद्ध होने
लगता है।
गन्दे शब्द के इस्तेमाल से मित्रता
में मनमुटाव होकर दोस्ती टूट जाती है।
शासक शस्त्र के सहारे चले या शास्त्र के विपरीत चले, तो राष्ट्र का नाश होता है।
बुर की आदत तथा बुरे काम करने से यश-कीर्ति, प्रसिद्धि दूर भागती है।
स्वस्थ्य – सुखी रहने के शास्त्रीय सूत्र...
सर्वं परवशं दु:खं सर्वम्
आत्मवशं सुखम्।
एतद् विद्यात् समासेन
लक्षणं सुख-दु:खयो:॥
अर्थात-
जो चीजें अपने अधिकार में नहीं है,
उसकी चिन्ता करना ही दु:ख का कारण है। कष्ट हमारे सोच से जुडा है लेकिन सुखी रहना, तो सदैव मनुष्य के हाथ में है। आलस्य असफलता का आरम्भ है। आलसी मनुष्य को ज्ञान कैसे प्राप्त होगा ?
यदि व्यक्ति ज्ञानी नहीं है,
तो धन नही मिलेगा।
और जिसके पास धन-सम्पदा नही है,
तब ऐसे आदमी का मित्र कौन बनेगा
और जो मित्र रहित है, तो उसे कभी
सुख का अनुभव हो ही नहीं सकेगा।
विश्व का परिवार आपसी सद्भाव
और सेवा द्वारा ही चल पा रहा है।
सेवा, सहयोग, सहायता प्रत्येक
इंसान का स्वभाव होना चाहिए।
यही परम धर्म है।
परिवार को परम प्रतापी बनाने का उपाय
आज विश्व परिवार दिवस पर परिवार के सभी सदस्य अपने रक्त कुटुम्बियों, पूर्वज पितरों का स्मरण कर 5 दीपक रात्रि में 10.30 से 12.,20 के बीच घर में जरूर जलाएं।
परिवार के सभी सदस्य एक साथ
!!ॐ शम्भूतेजसे नमः!! या
।।ॐ शिव कल्यानेश्वराय नमः शिवाय।
का एक माला जाप करें।
भोजन करने से पहले एक निबाला पितृ आत्माओं के लिए अलग से निकल कर गाये या पशु को खिलाकर उन्हें प्रणाम करें।
घर के सभी लोग एक साथ खाना ग्रहण करें।
वेदोक्त वचन है-
शिव का अर्थ कल्याण करना होता है।
हमने जन्म सबके कल्याण हेतु ही
लिया है।बीसी से जीवन धन्य होता है
और आने वाली पीढ़ी धन-सम्पदा से
परिपूर्ण रचति है।
बिना कल्याण के यह मानव
जीवन शिव से शव हो जाता है।
हम सन्सार के सभी लोगों का भला
नहीं कर सकते, कोई बात नहीं, किन्तु
सबका अच्छा, भला सोचकर भी बहुत
कल्याण कर सकते हैं।
सर्वे भवन्तु सुखिनः
इस मन्त्र में यही रहस्य विद्यमान है।
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