कालसर्प की क्रूरता

ग्रह-नक्षत्रों की क्रूरता और कालसर्प- कैसे बर्बाद कर देता है जीवन को-

राहु-रहस्योपनिषद में उल्लेख है कि-
दुर्भाग्य और परेशानियों की वजह से
किसी-किसी व्यक्ति को सफलता नहीं मिल पाती। बार-बार असफलता के कारण
● जीवन में निर्धनता आती चली जाती है।
● निर्धनता से मनुष्य को लज्जा होती है।
● लज्जा से पराक्रम नष्ट हो जाता है।
● पराक्रम का नाश होने से साहस खत्म हो जाता है।
● साहस-आत्मबल कम होने से व्यक्ति का अपमान होता है।
● अपमान होने से प्राणी दुःखी होता है।
● अधिक दुःख-शोक के कारण शरीर रोग-बीमारियों से घिर जाता है।
● विकार ग्रस्त हो जाने पर बुद्धि काम नहीं करती।
● बुद्धि के कमजोर होने से याददाश्त कम होने लगती है। व्यक्ति चिड़चिड़ा और क्रोधी हो जाता है।
ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार इन सबका
कारण राहु-केतु की वजह से निर्मित
कालसर्प-पित्तदोष है, जो व्यक्ति को कभी शिखर पर नहीं पहुंचने देता।
मामला धन का हो या तन का।
● हर क्षेत्र में पीड़ित प्राणी एक दिन स्वयं नष्ट हो जाता है। इसका उपाय जरूरी है।
● राहु-केतु की शान्ति एवं प्रसन्नता के लिए
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