जाने ग्रह -नक्षत्र शांति के मंत्रो द्वारा सरल उपचार…

ध्यान देवें… उन्नति सफलता हेतु इन नक्षत्र मंत्रों का जाप स्वयं करें अथवा किसी वैदिक ब्राह्मण से भी कर सकते हैं।
स्कंध पुराण आदि प्राचीन ग्रंथों में ग्रहों की प्रसन्नता के लिए प्रत्येक ग्रह के वैदिक मंत्र,  गायत्री मंत्र, एकाक्षरी मंत्र और तांत्रिक मंत्रो का वर्णन है, जो व्यक्ति के जीवन में आमूल चूल परिवर्तन लाने में कारगर हैं।
वैदिक ज्योतिष शास्त्रों में उल्लेख है कि जीवन को सफल बनाने हेतु जातक को अपने जन्म नक्षत्र का प्रतिदिन एक माला जाप करना चाहिए।
नवग्रह शान्ति  सबीज मंत्रादि सूत्र रचना
ज्योतिष शास्त्रों में सभी नवग्रहों के तीन तरह के मंत्र जाप का निर्देश है, जो अलग अलग कार्य सिद्धि हेतु उपयोगी है।
ग्रह वैदिक मंत्र….
यह उन लोगों के लिए खासकर साधुओं या किसी तरह की विशेष सिद्धि प्राप्ति के लिए कारगर है, जो मुक्ति की कामना करते हैं था जिनमें संसार के कल्याण का भाव भरा हो।
ग्रह का गायत्री मंत्र...
जातक को यदि मानसिक परेशानी, अशांति, अकारण क्लेश, अवसाद, डिप्रेशन या बुद्धि विवेक से जुड़ी कोई भी समस्या हो एवम जीवन अंधकार युक्त एलजी रहा हो, तो वह ग्रहों के गायत्री मंत्र का निरंतर जप करे। जिसकी चर्चा आगे करेंगे।
ग्रह एकाक्षरी मंत्र
असफलता, दुर्भाग्य, आर्थिक तंगी, गरीबी, दरिद्रा दोष से राहत पाने के लिए अपने जन्म नक्षत्र के एकाक्षरी मंत्र का एक माला जाप करें।
ग्रह तांत्रिक मंत्र
सभी तरह के शारीरिक विकार, रोग, बीमारी या अन्य किसी भी तरह की असाध्य व्याधि तथा वास्तु दोष से मुक्ति हेतु ग्रह के तांत्रिक मंत्र का जाप करे।
सूर्य नक्षत्र में जन्मे जातक का मंत्र  उपाय
अगर किसी जातक का जन्म सूर्य के नक्षत्रों यानि कृतिका नक्षत्र, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र या उत्तराषाढा नक्षत्र इन तीनों में से किसी भी एक
नक्षत्र में हुआ हो, तो सूर्य के निम्नलिखित में से
अपनी कामनानुसार नक्षत्रों का जाप अत्यन्त लाभकारी सिद्ध होता है।
 सूर्य वैदिक मंत्र
ॐ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतम्मर्त्यंञ्च हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्॥
सूर्य गायत्री मंत्र
आदित्याय विद्महे प्रभाकराय धीमहि
तन्नः सूर्य: प्रचोदयात्।।
सूर्य एकाक्षरीबीजमन्त्र –
ॐ घृणिः सूर्याय नमः।
सूर्य तान्त्रिकसूर्यमन्त्र
ॐ ह्रौँ, ह्रीं, ह्रौं सः सूर्याय नमः।
जप संख्या – ७००० सप्तसहस्त्राणि।
सूर्य मंत्रों के जप करने का समय
रविवार को प्रातः सूर्योंदय से दो घंटे बाद तक,
खाली पेट।
अंत में सूर्य का प्रार्थना मंत्र करके ध्यान समाप्त करें
ग्रहाणामादिरादित्यो लोकलक्षणकारकः। विषमस्थानसम्भूतां पीड़ां दहतु मे रविः।।
जाने चंद्रमा या सोम के बारे में...
चंद्रमा के भी तीन नक्षत्र होते हैं। रोहिणी, हस्त एवम श्रवण इन तीन में से किसी भी एक नक्षत्र में यदि जातक का जन्म हो, तो उन्हें सोम तांत्रिक मंत्र का जाप स्वयं अथवा किसी योग्य ब्राह्मण से जपवाना श्रेष्ठ रहता है।
 चंद्र वैदिक मंत्र
ॐ इमन्देवाऽअसपलं सुवध्वं महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठाय्याय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय।
इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विशsएष वोऽमी
राजा सोऽमोस्माकं ब्राह्मणानां राजा॥ –
सोमगायत्री –
 ॐ अमृतांङ्गाय विद्महे कलारूपाय
धीमहि तन्न: सोमः प्रचोदयात्॥
सोम एकाक्षरी बीजमंत्र:-
ॐ सों सोमाय नमः।
सोम तान्त्रिकमंत्र : –
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः।
 जपसंख्या ११००० एकादशसहस्त्राणि।
जप काल या समय..
सोमवार को शाम सूर्यास्त से एक घंटे
बाद रात ९.२५  तक। 
 
अंत में सोम प्रार्थना मंत्र..
रोहिणीशः सुधामूर्ति: सुधागात्रो सुधाशनः। विषमस्थानसम्भूतां पीड़ां दहतु मे विधुः॥
मंगल वैदिक मंत्रः
ॐ अग्निर्मूर्द्धादिवः ककुत्पतिः पृथिव्याऽअयम्।
अपां रेतां सि जिन्वति॥
भौमगायत्री
ॐ अङ्गारकाय विद्महे शक्ति हस्ताय
धीमहि तन्नो भौम: प्रचोदयात्॥
मंगल एकाक्षरी बीजमंत्रः
ॐ अं अंगारकाय नमः।।
मंगल तान्त्रिक मन्त्रः
ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।
जपसंख्या १०००० दशसहस्त्राणि।
अंत में मंगल प्रार्थना मंत्र...
भूमिपुत्रो महातेजा जगतो भयकृत्सदा।
वृष्टिकृद-वृष्टिहर्ता च पीड़ां दहतु मे कुजः।।
ध्यान देवें…जो भी जातक मंगला दोष से पीड़ित हों, कुंडली में मंगल गढ़ नीच राशिगत हो, मंगल के नक्षत्र जैसे -मृगशिरा, चित्रा या धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मे हों उन्हें मंगल ग्रह के एकाक्षरी मंत्र का जाप लाभकारी सिद्ध होता है।
जाने बुध ग्रह के बारे में
बुध ग्रह नक्षत्र जैसे आश्लेषा, ज्येष्ठा तथा रेवती ये सभी गंदमूल नक्षत्र कहे जाते हैं। इनमें से किसी भी एक नक्षत्र में जन्मे जातक को बुध ग्रह के तांत्रिक मंत्र का जाप हितकारी होता है।
बुध के नक्षत्र में जन्मे जातक सत्ता, लाटरी, जुआ, राजनीति में निश्चित रूप से सफल हो सकते हैं।
बुध वैदिक मंत्र: …
ॐ उदबुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते स ठँ सृजेथामयं च अस्मिन्त्सधस्थेऽ अध्युत्तरस्मिन् विश्वे देवा यजमानश्च सीदत।
बुधगायत्री मंत्र – …
ॐ सौम्य रूपाय विद्महे वाणेशाय धीमहि
तन्नौ सौम्यः प्रचोदयात्।।
बुध एकाक्षरी बीजमंत्र– …
ॐ बुं बुधाय नमः।
तान्त्रिक बुधमंत्र
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।
जपसंख्या ९००० नवसहस्त्राणि।
दिन बुधवार।
अंत में बुध प्रार्थना मंत्र करें
उत्पातरूपी जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युतिः । सूर्यप्रियकरो विद्वान पीड़ा दहतु मे बुधः ॥
गुरु यानि बृहस्पति ग्रह के भी तीन नक्षत्र होते हैं।
जैसे – पुनर्वसु, विशाखा एवम पूर्व भाद्रपद।
इन नक्षत्रों में से किसी भी एक में जन्मे जातक
को गुरु एकाक्षारी मंत्र का जप उत्तम रहता है।
गुरूवैदिकमन्त्रः
ॐ बृहस्पतेऽअति यदर्योऽअर्हाद्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु यद्दीदयच्छ वसऽऋतप्रजाततदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।
गुरूगायत्री मंत्र 
ॐ आंङ्गिरसाय विद्महे दिव्यदेहाय
धीमहि तन्नौः जीवः प्रचोदयात्।।
गुरु एकाक्षरी बीजमंत्र –
ॐ बृं बृहस्पतये नमः।
तान्त्रिक गुरूमन्त्रः– ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः।
जपसंख्या – १९००० एकोनविंशति सहस्त्राणि।
दिन गुरुवार
गुरु प्रार्थना श्लोक
 देवमंत्री विशालाक्षः सदा लोकहितेरतः।
अनेकशिष्यैः सम्पूर्ण: पीड़ां दहतु मे गुरूः।।
देत्याचार्य शुक्र ग्रह तीन नक्षत्रों के स्वामी हैं।
जैसे – भरण, पूर्वाफाल्गुनी और पूर्वाषाढ़।
जिन  जातकों का शुक्र के इन नक्षत्रों में जन्म
हो, तो वे शुक्र ग्रह के नक्षत्रों के मंत्र का जाप कर जीवन को भौतिक सुखों से भर सकते हैं।
 
शुक्र वैदिकमंत्र:-
ॐ अन्नात् परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिवत्क्षत्रम्पयः
सोमं प्रजापतिः। ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपान ठंशुक्रमंधसऽइन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतम्मधु॥
शुक्रगायत्री मंत्र 
ॐ भृगुजाय विद्महे दिव्य देहाय
धीमहि तन्नो शुक्रः प्रचोदयात्।।
शुक्र एकाक्षरी बीजमंत्रः –
ॐ शुं शुक्राय नमः।
शुक्र तान्त्रिक शुक्रमन्त्रः
ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।
जपसंख्या १६००० षोड़शसहस्त्राणि।
दिन शुक्रवार
शुक्र प्रार्थना मंत्र
दैत्यमन्त्री गुरूस्तेषां प्राणदश्च महाद्युतिः।
प्रभुस्ताराग्रहाणां च पीड़ा दहतु मे भृगुः।।
शनि नक्षत्र जैसे – पुष्य, अनुराधा, उत्तरा भाद्रपद में से किसी एक नक्षत्र में जन्मे और शनि की साढ़े साती, महादशा से प्रेषण जातकों को शनि मंत्र का उपरोक्त कामनानुसार जाप हितकारी होता है।
शनि वैदिक मंत्र: ….
ॐ शन्नो देवीरभिष्टऽआपो
भवन्तुपीतये शय्योरभिनवन्तु नः।।
शनिगायत्री मंत्र-
ॐ भगभवाय विद्महे मृत्युपुरूषाय
धीमहि तन्नौ शनिः प्रचोदयात्।।
शनि एकाक्षरी बीजमन्त्रः….
ॐ शं शनैश्चराय नमः।
तांत्रिक शनिमंत्रः– ….
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः।
जपसंख्या २३००० त्रयोविंशतिः सहस्त्राणि।
दिन शनिवार
अंत में प्रार्थना मंत्र बोलें
सूर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्षः शिवप्रियः।
 मन्दचार: प्रसन्नात्मा पीड़ां दहतु मे शनिः॥
राहु के तीन नक्षत्र आद्रा, स्वाति और शतभिषा इन तीनों में से किसी एक नक्षत्र में जन्मे जातक को राहु मंत्र का जाप स्वयं या किसी बुजुर्ग ब्राह्मण से जरूर कराना चाहिए।
कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए….
राहुमन्त्र- ॐ कयानश्चित्रऽ आभुवदूती
सदा वृधः सखा । कया शचिष्ठया वृता।।
राहु गायत्री मंत्र….
ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय
धीमहि तन्नो राहु: प्रचोदयात्।
राहु एकाक्षरी बीजमन्त्र –
 ॐ रां राहवे नमः।।
राहु तान्त्रिकमन्त्र –
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः॥
जपसंख्या १८००० अष्टादशसहस्त्राणि
दिन शनिवार सूर्यास्त के बाद १८ दीपक
राहु की तेल/Rahukey oil के जलाकर जप करें।
राहु प्रार्थना मंत्र
महाशीर्षो महावक्त्रो महाद्रंष्टो महायशाः।
अतनुश्चोर्ध्व केशश्च पीड़ां दहतु मे तमः।।
पितृदोष का शर्तिया उपाय...
केतु ग्रह के तीन नक्षत्र हैं। जैसे –
अश्वनी, मघा, मूल ये तीनों नक्षत्र गण्डमूल 
कहलाते हैं। इनमें से किसी भी केतु के एक
नक्षत्र में जन्म हो, तो जातक को निम्न लिखित
मंत्रों में से एक का जाप जरूरी है।
केतुमन्त्रः
ॐ केतुं कृण्वन्न केतवे पेशो
मर्व्वाअपेशसे समुषद्धिरजायथाः।
केतु गायत्री
ॐ पद्मपुत्राय विद्महे अमृतेशाय
धीमहि तन्नोः केतुः प्रचोदयात्।।बी
एकाक्षरी बीजमन्त्र
ॐ कें केतवे नमः।
तान्त्रिक मन्त्र
ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः।
जपसंख्या १७००० सप्तदशसहस्त्राणि।
दिन मंगलवार प्रातः ब्रह्म महुर्त में जप करें।
 अनेकरूपवर्णश्च शतशोऽथ सहस्त्रशः।
उत्पात रूपी घोरश्च पीड़ा दहतु मे शिखी।।
ज्योतिष के विषय में रोचक और दुर्लभ जानकारी
के लिए amrutam के पुराने ब्लॉग गुगल पर
पढ़ सकते हैं।

आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से बात करें!

अभी हमारे ऐप को डाउनलोड करें और परामर्श बुक करें!

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *