जाने क्या है कमर-गर्दन दर्द और थायराइड…..

हमारा मनोबल, आत्मविश्वास और इच्छाएं हमारी जीवन शक्ति को दिशा-निर्देश देती हैं।
 यही इच्छाएं इस शक्ति को समय-समय पर कम-ज्यादा करती रहती हैं।
एक वक्त इस भी आ जाता है, जब यह ताकत पूर्णतया समाप्त होने लगती है।
ऐसे समय शरीर में सबसे पहले लक्षण थकावट, आम कमजोरी, किसी काम में मन न लगना, पिला चेहरा, उदासी, अवसाद, हल्का डिप्रेशन, कामशक्ति में कमी, सेक्स से अरुचि इत्यादि तकलीफें हमें महसूस होती हैं।
ऐसी परिस्थितियों के आने से पहले ही हमें थकावट का उपचार करना चाहिए।
थकावट का एक कारण विटामिन डी की कमी भी हो सकता है, जो सुबह सूर्य की किरणों से मिल सकती है।
सुबह उठकर, पानी पिएं। फिर, फ्रेश होकर सूर्य की धूप में अमृतम द्वारा निर्मित ऑर्थोकी पेन ऑयल (Orthokey pain oil) की पूरे शरीर में उल्टी मालिश करके एक घण्टे बाद गुनगुने जल से स्नान करें।
7 दिवस के इस प्रयोग से अपनी जीवन शक्ति, रक्त एवं मन के संतुलन बनाये रखने में सहायता मिलती है।
गर्दन और दर्द-ए-कमर
रीढ़ की हड्डी हरेक मनुष्य के शरीर का आधार है। वह शरीर को लचक प्रदान करती है।
गर्दन, कंधे व हिप्स के जोड़ लिगामेंट्स और टेनडनस द्वारा एक दूसरे से जुड़े होते हैं।
दर्द की मूल वजह...
गलत तरीके बैठना, पलंग पर तकिया लगाकर टिकना, गर्दन का मरोड़ना, अभ्यङ्ग न करना,
कसरत से परहेज, अधिक समय तक झुककर पढ़ना या टीवी देखना तथा काम करना, मांसपेशियों में ऐंठन,
मुड़ता-घूमते, नीचे या ऊपर देखते समय और चोट लग जाने से पृरी रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है।
गर्दन से लेकर नीचे कमर तक यह बहुत सख्त महसूस होती है।
गर्दन के पास या पीठ के ऊपरी भाग में पीड़ा होने से दोनों भुजाओं में भी दर्द होने लगता है।
फिर धीरे-धीरे शरीर के कई हिस्सों में सूजन आने लगती है।
क्योंकि पीठ का ऊपरी हिस्सा एवं भुजाओं की मांसपेशियां परस्पर सम्बंधित होती हैं।
किसी किसी को ग्रन्थिशोथ यानि थायराइड की समस्याएं होने लगती है।
रीढ़ की हड्डी दूषित होने से अंग-अंग में दर्द उठने लगता है। रक्त नाड़ियां शिथिल हो जाती है।
जब गर्दन के ७ वट्रीबा प्रभावित हों अर्थात गर्दन के इस भाग में दर्द हो, तो उसे
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइसिस कहते हैं।
अगर लम्बर के ५ वट्रीबा (जो पूरे शरीर को संभाले हुए हैं) प्रभावित होते हैं, तो इसे कमर दर्द या बैकएन्स कहते हैं।
हमारे पूरे शरीर में स्पाइनल कॉर्ड सुरक्षित रहती है, वह भी प्रभावित होने लगती है ..
और जो हिस्सा नर्व या सूक्ष्म नाड़ी को दबाता है, उसी अंग में दर्द या सूजन का अनुभव होता है।
यदि लम्बर का हिस्सा दबता है, तो पूरे पावँ में इसका प्रभाव होता है।
तब इतना भयंकर असहनीय दर्द होता है ..
कि- चलना-फिरना, उठना-बैठना, नहाना-धोना तथा खाना-पीना मुश्किल हो जाता है।
हड्डियां एवं मांसपेशियां इस दर्द को सहन नहीं कर सकती।
पैरों में पाँव की उंगलियों में, तलवों में सुन्नपन महसूस होने लगता है।
आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा…
चरक सहिंता में इस तरह के दर्द को वातरोग बताया है। यह वात विकार ८८ तरह का होता है।
इन सबके नाम जानने के लिए गूगल पर अमृतमपत्रिका का ब्लॉग पढ़ सकते हैं।
आयुर्वेद चंद्रोदय ग्रन्थ एवं योग की किताबों में कुम्भक प्राणायाम इस तरह के दर्द की सर्वोत्तम चिकित्सा बताई है।
कैसे करें कुम्भक
सुबह जल्दी उठकर 3 से 4 गिलास सादा जल और यदि चाय-काढ़ा आदि लेते हैं तो पीकर नित्य कर्म से निपटकर धूप में जाकर बैठ जाएं।
पहले पूरे शरीर में शतावर, महा नारायण तेल, गन्धपूर्ण आदि ओषधि तेलों से निर्मित ऑर्थोकी पैन ऑयल…
पृरी देह में (सिर छोड़कर) अच्छी तरह मलें और शांतिपूर्वक बैठकर गहरी-गहरी श्वांस दोनों नासिकाओं से लेकर नाभि तक ले जाकर पेट में भरकर कुछ ..
क्षण तक रोकें यानी जितनी देर तक रोक सकतें हैं रोके, फिर शनै-शनै: सांस छोड़े।
यह प्रयोग नियमित 108 बार करने से 7 दिन में लकवा(पैरालिसिस) थायराइड, सूजन, दर्द से बहुत राहत मिलती है।
आयुर्वेदिक औषधि–
ध्यान रखें अंग्रेजी एलोपैथिक दवाओं से इन वात व्याधियों का स्थायी इलाज नहीं किया जा सकता।
वात को संतुलित बनाने में आयुर्वेद की कुछ जड़ीबूटियां सदियों से प्रसिद्ध और कारगर हैं।
जैसे-महारास्ना, शतावर, कुचला, शिलाजीत, शुद्ध गुग्गल, वत्सनाभ, अश्वगंधा, त्रिफला, हरड़ मुरब्बा, सहजना आदि वात विकार को जड़ से दूर करने में सक्षम हैं।
आयुर्वेद के सबसे प्राचीन ग्रंथ भावप्रकाश, आयुर्वेदिक निघण्टु, आयुर्वेद सर संग्रह, द्र्वगुण विज्ञान आदि अनेक शास्त्रों से योग-अनुपातानुसार अमृतम ने ऑर्थोकी गोल्ड कैप्सूल एवं
Orthokey Gold Malt 
बहुत ही शास्त्रमत तरीके तथा विधि-विधान से निर्मित किया है।
इसका नियमित 3 महीने सेवन करने से सम्पूर्ण देह का वात सन्तुलित हो जाता है।
देह का प्रत्येक अंग-प्रत्यंग में दर्द रहित हो जाता है।
यह औषधि ओनली ऑनलाईन ही उपलब्ध है।
ऑर्थोकी के योग-द्रव्य-घटक जानने हेतु अमृतम की वेबसाइट पर पढ़ें।

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