कुलंजन एक देशी जड़ी-बूटी…, जो
प्रत्यूर्जता यानि एलर्जी और गले के
फफुंदीय संक्रमण का नाश करता है-
गायकों या संगीत के क्षेत्र से जुड़े कलाकारों
को इसे सदैव लेना चाहिये।
५०० मिलीग्राम कुलंजन को पान मे रखकर
खाने से स्वरभंग में आराम मिलता है।
आवाज में मिठास पैदा होती है।
प्रत्यूर्जता यानि एलर्जी क्या है…
इम्यूनिटी द्वारा दी जाने वाली
प्रतिक्रिया ही एलर्जी होती है।
किसी भी चीज के प्रति अतिसंवेदनशील
होना ही प्रत्यूर्जता/अधिहृषता
रोग-प्रतिरोधी तन्त्र की एक बीमारी या
व्याधि/डिसओर्डर है। जिसे स्वास्थ्य की
भाषा में एलर्जी या एटोपी (atopy) भी
कहते हैं।
क्यों होती है एलर्जी….
मौसम में बदलाव या ऋतु परिवर्तन से,
वायु प्रदूषण से, किसी खाने की चीज से,
हाथ मिलाने से, पालतू जानवर से, धूल-धुएं से, केमिकल युक्त रसायनिक सौंदर्य प्रसाधनों से या अंग्रेजी दवाओं आदि के उपभोग से प्रत्यूर्जता अर्थात एलर्जी किसी से भी हो सकती है।
जब अंग्रेजी दवाओं से हो नुकसान….
बहुत सी एलोपेथी मेडिसिन प्रत्यूर्जता
(एलर्जी) उत्पन्न करने लगती हैं। इनसे
शरीर में जलन, खुजली, चकत्ते, लालिमा,
त्वचा में परिवर्तन, स्किन डिसीज,
पित्त उछलना गला सूखना, दस्त, पेट दर्द,
नाक दर्द, नाक से पानी बहना, दमा, वमन, चक्कर आना, बेचैनी, सिर चकराना, सिरदर्द
और आंखों से पानी आना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इस तरह की होने वाली समस्याओं का अन्त कुलंजन के सेवन से हो जाता है।
कुलंजन से होते हैं-सोलह फायदे…
【१】मूत्राधिक्य रोग ठीक करता है
【२】गले में ख़राश होने से रोके
【३】नपुंसकता, नामर्दी में उपयोगी
【४】जोड़ो की सूजन, दर्द दूर करता है।
【५】प्रत्यूर्जता (एलर्जी) से बचाता है।
【६】फफुंदीय संक्रमण नाशक।
【७】मधुमेह, प्रमेह नाशक
【८】जीवाणु संक्रमण नष्ट करें
【९】पुराने व्रण, जख्म भरता है।
【१०】कर्कट रोग (कैंसर) में सहायक
【११】जारणकारी तनाव
【१२】आमवाती दर्द
【१३】खट्टा डकार, (एसिडिटी) पेट फूलना
【१४】जिगर की जलन, अपच में कारगर
【१५】गुर्दे के रोग को मिटाए
【१६】क्षय रोग संबंधी ग्रंथियां
कुलंजन…एक अदभुत कफनाशक बूटी….
कफ की अनेक बीमारी जैसे-अभिलम्ब कफ, बोधक कफ, संक्रमण कफ, गले की खराबी,
गले की चुभन, सांस लेने में दिक्कत आदि को मिटाने वाला बताया है। कुलंजन कफ को जड़ से नष्ट कर देता है।
आयुर्वेद शास्त्र भावप्रकाश के अनुसार –
कुलंजन का रस कटु (कड़वा) रूखा, तीखा
एवं गर्म होता है। इसका नियमित सेवन वातरोग की परेशानियों से मुक्ति दिलाता है।
कुलंजन का रासायनिक विश्लेषण…
प्राकृतिक वैज्ञानिकों के हिसाब से
इसकी जड़ में एलपिनिन, गेलंगिन
और केम्फेराइड नामक तत्त्व होते हैं।
इसके तने में सुगंधित व उडनशील तेल,
कर्पूर, सिनिओल , डी-पाइनिन एवं मेथिल सिनेमेंट थोड़ी मात्रा में होता है।
कुलंजन में इन असरकारी तत्त्वों के होने
से कारण कुलंजन सांस व मूत्र रोगों को
दूर करता है। संस्कृत में मलयवचा,
अंग्रेजी़ में इसे ग्रेटर गैलंगन एवं
लैटिन भाषा में ऐल्पिनिया गलंगा कहते हैं।
इसकी जड़ सुगंधित होती है और
जड़ में आलू की तरह गांठे होती है।
इसकी जड़ ऊपर से लाल और अन्दर
से पीले रंग की होती है।
नपुंसकता नाशक योग...
कुलंजन की जड़ के टुकड़े मुंह में रखकर चूसने से नपुंसकता का धीरे-धीरे नाश होने लगता है।
एक गिलास दूध में कुलंजन, मुलेठी, अश्वगंधा, शतावर सभी बराबर मात्रा में लेकर एक चम्मच चूर्ण को सुबह खाली पेट एक माह लेवें, तो नपुंसकता मिटने लगती है।
उपरोक्त चूर्ण एक चम्मच 10 ग्राम अमृतम मधु पंचामृत तथा गाय के दूध में मिलाकर लेने से कामशक्ति बढ़ती है।
एक कारगर ओषधि भी ले सकते हैं
अमृतम बी फेराल गोल्ड माल्ट
और
बी फेराल गोल्ड केप्सूल
भी पुरुषार्थ वृद्धि में अचूक कारगर ओषधि है। बी फेराल के बारे में अधिक जानने हेतु
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कुलंजन वृक्ष की पहचान, उपयोगिता…
यह बहुत अधिक पत्तों वाला 6 से 7 फुट ऊंचा होता है। पत्ते 1 से 2 फुट लम्बे, चार से सात इंच चौडे़, ऊपर से चिकने व नीचे से रोयेंदार एवं नोकदार होते हैं। इसके फूल छोटे-छोटे, थोडे़ मुड़े हुए , हरापन लिए, सफेद, गुच्छों में फूल गर्मी के मौसम में लगते हैं।
गुणधर्म, उपयोगिता….
यह खांसी, श्वास, स्वर विकार , हकलाहट ,
नाड़ी दुर्बलता , वात रोग, मुंह की बदबू,
आदि में लाभकारी है।
यूनानी चिकित्सकों के अनुसार….
कुलंजन तेज, गंधयुक्त तथा कुछ स्वादिष्ट
भी होता है। यह नाड़ियों की कमजोरी को
दूर कर भोजन को शीघ्र पचाता है।
पाचनशक्ति को तेज करता है।
@ कुलंजन प्रमेह, मधुमेह और नपुंसकता जैसी तकलीफ दूर करने में सहायक है।
यह कामोत्तेजक होता है।
कुलंजन… कमरदर्द, सिरदर्द , छाती के रोग,
गले का दर्द आदि को दूर करता है।
अनुपान भेद से कुलंजन से करें-
विभिन्न रोगों का इलाज….…..
■ छींके अधिक आना-
कुलंजन पीसकर इसके चूर्ण को कपड़े में
रखकर सूंघने से छींके आनी बंद हो जाती है।
■ बच्चों को दस्त/,डायरिया लगना..
कुलंजन जड़ की गांठ को छाछ
के साथ घिसकर थोड़ा-सा हींग मिलाकर
हल्का गर्म करके बच्चे को आधा चम्मच
की मात्रा में चटाने से दस्त का बार-बार आना रुक जाता है।
■ हकलाहट : कुलंजन , बच, ब्राही व
शंखपुष्पी का चूर्ण बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनाकर आधा से एक चम्मच
सुबह खाली पेट मधु पंचामृत से 3 महीने चाटायें
■ आवाज बैठना या गला बैठना…
मुलेठी, कुलंजन, अकरकरा एवं सेंधानमक समभाग लेकर चूर्ण बनायें। इसे जीभ पर
रगड़ने से गला साफ होता है।
■ कुलंजन के टुकड़े को मुंह में रखकर
चूसने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है।
■ जोड़ों के दर्द की बेजोड़ दवा….
जोड़ों का दर्द : कुलंजन व सोंठ का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर एरण्ड के तेल में मिलाकर लेप बना लें। यह लेप प्रतिदिन जोड़ों पर लगाने से दर्द ठीक होता है।
■ आधाशीशी अथवा पुराना सिर दर्द में
कुलंजन की जड़ का पिसा पाउडर
पोटली में बांधकर सूंघने मस्तिष्क को
राहत मिलती है
■ मूत्राघात (पेशाब में वीर्य आना)
कुलंजन को पानी में पीसकर
पिलाने से मूत्राघात दूर होता है।
■ दांतों का दर्द दूर करता है-कुलंजन
कुलंजन की जड़ का बारीक चूर्ण मंजन
के चूर्ण को दांतों पर प्रतिदिन सुबह-शाम
मंजन की तरह मलने से दांतो
की जड़ मजबूत होती है।
इससे दांतों का दर्द ठीक होता है।
■ दमा-श्वास, अड्थम नाशक रोग..
कुलंजन का चूर्ण लगभग 400 मिग्रा
दिन भर में 2 से 3 बार मधु पंचामृत
साथ 15 दिवस खाने से राहत मिलती है।
■ काली खांसी का काल-कुलंजन..
कुलंजन का चूर्ण अमृतम मधु पंचामृत में
मिलाकर 5 दिन चाटने से कुकुर खांसी में
फायदा होता है।
■ सर्दी खांसी का काम खत्म…
कुलंजन के चूर्ण 1ग्राम, अदरक रस
2 ग्राम, मुलेठी के ग्राम और गुड़ 5 ग्राम
सबको मिलाकर अमृतम मधु पंचामृत
साथ सुबह खाली पेट लेने से खांसी, सांस
का अवरोध खत्म हो जाता है।
■ पेट फुलना, अफ़ारा का अन्त…तुरन्त—
20 ग्राम गुड़, कुलंजन 1ग्राम,
अजवायन 100 मिग्रा, सौफ 1 ग्राम,
जीरा एक ग्राम और 10 मुनक्के
सबको 100 मिली पानी में इतना
उबाले कि छनककर चौथाई रह जाए।
इस काढ़े को गुनगुना पीते ही अफ़ारा
शान्त होने लगता है। डकारे आना बन्द हो
जाती है।
■ मुंह एवं देह की दुर्गंन्ध दूर करे-
कुलंजन की जड़ को मुंह में रखकर चूसते
रहने से मुंह व शरीर की दुर्गन्ध दूर होती है।
■ गले की जलन, खट्टा पानी आना..
कुलंजन 2 से 3 बार चूसने से गले
तथा अमाशय जलन, बार-बार
पाचन क्रिया, पाचनतंत्र का खराब होना
और अम्लपित्त के रोग में मिटाता है।
■ पुराने पेट में दर्द से पीछा छुडाएं…
कुलंजन, सेंधानमक, कालानमक,धनिया,
जीरा, अजवायन, कढ़ी पत्ता, सौफ, नागकेशर
काली किसमिस सभी समभाग और 2 अंजीर लेकर नींबू के रस के साथ पीसकर 1-1 ग्राम की गोली बनाकर रख लें। रोज सुबह खाली पेट 2 गोली सादे जल से लेने से पीने से पेट का दर्द ठीक होता है। पूरे दिन में 8 से 10 गोली सेवन करें।
■ पेट या लिवर सम्बंधित सभी समस्याओं
का समाधान कीलिव माल्ट द्वारा भी कर
सकते है। कीलिव माल्ट क्या है। क्लिक करें
https://amrutampatrika.com/piliya-keyliv/
https://amrutampatrika.com/liverhealth-2/
■ बच्चे करे बिस्तर पर पेशाब….
बच्चों की यह आदत छुड़वाने के लिए
अमृतम मधु पंचामृत में 200 mg
कुलंजन, वायविडंग 20 mg का चूर्ण
सुबह-शाम बच्चे को चटाऐं, इससे बिस्तर में पेशाब करने की आदत छूट जाती है।
■ पेशाब का बार-बार आना (बहूमूत्र रोग)
1 से 2 ग्राम कुलंजन, 1 ग्राम मुलेठी
सुबह-शाम सादे जल से लेवें, तो पेशाब का बार-बार आना बंद होता है।
■ सौन्दर्य वर्द्धक कुलंजन….
कुलंजन तेल को मुंहासे पर लगाने से
मुंहासे, झांईयां मिट जाती हैं।
कुलंजन के जड़ को पानी में घिसकर
दिन में 2 से 3 बार चेहरे पर लगाने से
भी दाग-धब्बे, कील, मुंहासे व झांइयां नष्ट
होती हैं।
अमृतम द्वारा निर्मित फेस क्लीनअप
का इस्तेमाल लाभकारी सिद्ध होगा।
जानने के लिए लिंक क्लिक करें…
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पसीना परेशान करे, तब...
कुलंजन का चूर्ण एवं समुद्र फेन दोनों
मिलाकर पाउडर शरीर पर भस्म जैसा लेप
करने से ज्यादा पसीना आना कम होता है।
■ कान के बाहर की फुंसियां का इलाज
कुलंजन को पकाने से जो तेल निकलता है,
उस तेल को कान की फुंसियों पर
लगाने से दर्द में सकून मिलता है।
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