भारत में कोविड- 19 पर जीत, तो सुनिश्चित है, चाहें वह दवा से हो, दुआ से हो, समय के साथ हो अथवा प्रकृति या आयुर्वेदिक चिकित्सा से हो

भारत में कोविड- 19 पर जीत, तो सुनिश्चित है, चाहें वह दवा से हो, दुआ से हो, समय के साथ हो अथवा प्रकृति या आयुर्वेदिक चिकित्सा से हो
हिंदुस्तान का अब जागृत अवस्था में आने का समय आ गया है। कोरोना-जीवन बदलने वाली घटना है…
कोविड- 19 के पश्चात सन्सार में सभी के साथ परिवर्तन होना निश्चित है।
मंदी की मार से महाशक्तियों की दीवार डगमगा जाएंगी। 
श्रीमद्भागवत के गीतासार में आया है-
परिवर्तन सन्सार का नियम है
जो ढंग से पला है, वही जिंदगी में चला है।
योगरत्नाकर आयुर्वेदिक ग्रन्थ कहता है
जिसका सही है गला, 
वह जग में सबसे भला।
क्योंकि शरीर की 70 फीसदी से ज्यादा क्रियाएं गले से ही सम्भव है। इसलिए
सड़ा-गला, तला खाने
से भला आदमी बचाव करता है।
रोज-रोज के राग-रोग एवं रोजा से
जो भी मनुष्य बचा है, इतिहास उसी ने रचा है।
जाने कुछ पुरानी बातें इस ब्लॉग में!
सोचो कैसे जीते थे-100-125 साल तक  हमारे बुजुर्ग!  स्वस्थ-तन्दरुस्त रहकर।
आज लगता है….उनकी सीख, हर सलाह हमारे लिए••••• किसी कला से कम नहीं थी! कितनी जरूरी थी उनकी बातें।
दुनिया के वैज्ञानिकों का मानना है-
कोरोना वायरस यह अंतिम नहीं है-
अभी और भी भूचाल आएंगे दुनिया में।
जीवन की जिन जबरदस्त जीवाणु नाशक प्राकृतिक प्राचीन परम्पराओं को महत्व नहीं दिया। हमने आयुर्वेद की चिकित्सा पध्दति को नहीं अपनाया, जिससे त्रिदोष दूर होकर, शरीर का सिस्टम ठीक होता है। रोगप्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। देशी दवाओं के साइड इफ़ेक्ट बिल्कुल नहीं होते बल्कि “साइड बेनिफिट अनगिनत हैं।
कोरोना के सम्मान में-अभी क्वॉरेंटाइन
नामक शब्द ईजाद हुआ है। इसका अर्थ है- एकांतवास। अब दोस्तों के साथ दारू की लत को विराम देना पड़ सकता है।
क्वाटर पीकर उत्पात मचाने का
वक्त विमुक्त होने वाला है। समय पर अपने घर यानि क्वाटर पहुंचकर कुछ शिथिल शरीर को अब ऊर्जावान बनाने का प्रयत्न करना ही पड़ेगा।
नर या नारी, महामारी, तो महामारी है-
■ लंका युद्ध हो! महाभारत हो या महामारी
सबने मनुष्यों के रहने का तरीका बदल दिया था, जिसमें वर्षों से रहते आएं हैं। 
■ जिंदगी अब पहले जैसी नहीं रहेगी। 
■ इसलिए अपनी इच्छाओं-वासनाओं को 
विराम देवें। 
■ जीवन को धीमा करने तथा 
जिनसे आपका अपनापन है, जिससे आप प्रेम करते हैं, उनके संग समय बिताने का महत्व समझें।
■ महत्वकांक्षाओं की महाबला को महाबली “मारुतिनंदन” के चरणों में अर्पित कर दो। ■ अब दो हाथ वाले व्यक्ति को हजार हाथ वाले की हर बात माननी पड़ेगी।
■ दिखावा या शोमैन शिप का समय अब रह नहीं पायेगा। क्योंकि कोरोना के क्लेश ने दुनिया का कोना-कोना हिला दिया।
अब यह अगले 4 से 5 वर्षों तक सबका रोना रहेगा। इससे मुक्ति हेतु कोई टोना-टोटका सब व्यर्थ हैं।
बीती ताहिं बिसारिये, आगे की सुध लें- 
है, तो यह बिना पढ़े-लिखे लोगों की पुरानी बात। लेकिन जीवन जीने की जिंदादिली इन्हीं सब शब्दों से मिलती है। दरअसल यह पूर्वजों के प्रेरणा वाक्य है।
@ वर्तमान समय में आपाधापी त्यागकर उत्साहपूर्वक उत्साहित होकर जीने की जरूरत है।
@ रोज व्यायाम-प्राणायाम और अभ्यंग करने की आदत बनाएं।
@ सुबह की हवा भी सबसे बड़ी दवा है।
जल्दी उठो, घर से निकलकर प्रातः की वायु सेवन करो, जो युवा रहने के लिए जरूरी है। वायु का उल्टा युवा होता है।
@ नियमित आत्मवलोकन करते रहें!
@ आयुर्वेदिक शास्त्रों के अनुसार प्रतिदिन दस हजार कदम पैदल चलना शरीर के लिए हितकारी है।
@ छोटे-मोटे रोग होने पर दवा लेने की आदत मत बनाओ। इससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। बहुत अधिक जरूरत पड़े, तो घरेलू देशी नुस्खे अपनाओ। रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक दवाओं
जैसे-
अमॄतम गोल्ड माल्ट (स्वर्णभस्म युक्त)
ये बढ़ती उम्र में थकान, आलस्य से बचाकर प्रतिरक्षा प्रणाली स्ट्रांग बनाती हैं।
सेक्स से रिलेक्स हेतु यह अद्भुत है।
88 तरह के वातरोग, शरीर दर्द, जोड़ों की सूजन, थायराइड आदि मिटाने में कारगर
बालों की बहुत सी व्याधि दूर करे
फ्लूकी माल्ट (संक्रमण नाशक)
आदि ओषधियों का सेवन करो।
चीन भी आया आयुर्वेद के चरणों में….
सन्सार की सारी सरकारें, सरकारी अधिकारी, शरीर शोधकर्ता तथा मेडिकल विशेषज्ञ अब आयुर्वेद के देशी इलाज की तरफ ताक रहे हैं।
द इकोनॉमिस्ट न्यूज पेपर 
(The Economist Newspaper) 
में प्रकाशित एक आर्टिकल के मुताबिक 
कोरोना के फैलाव से बचने के लिए चीनी सरकार ने अभी-अभी आयुर्वेदिक की देशी 
चिकित्सा पध्दति को अपनाया है, तब कहीं जाकर कोविड-19 कंट्रोल हो सका।
23 मार्च 2020 को चीन में आयुर्वेद विभाग के एक वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि- कोरोना से पीड़ित 93 फीसदी मरीजों का इलाज देशी जड़ीबूटियों द्वारा किया गया। 
90% मामलों में यह आयुर्वेदिक इलाज अत्यंत कारगर  और असरदार पाया।
इन लोगों को पुनः कोरोना ने कष्ट नहीं दिया।
इसी वजह से चीन के बुहाना शहर में कोरोना का वायरस कुछ थम सा गया है। 
 
अंधा बांटे रेवड़ी, चीन-चीन के देय…
धंधे से, तो अंधे की भी आंख खुल जाती है।
चीनियों को अभी यह नहीं ज्ञात है कि- जितनी उनकी आंखें खुली रहती हैं। भारत के लोग उतनी आंखें, तो खोलकर सोते है।
बुहान के 16 बड़े अस्पतालों को अब 
प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र बना दिया है। 
जानकारों का कहना है कि-चीन ने कोरोना वायरस को कोई देशी इलाज ढूंढ लिया है, जिसे वो किसी को बताने के पक्ष में नहीं है। 
आयुर्वेद की अमॄतम ओषधियाँ जैसे-
नागकेशर, सोंठ, दालचीनी, त्रिकटु, त्रिफला, अडूसा, हंसराज, मुलेठी, भोजराज, पुदीना, तुलसी, जीरा, सेंधानमक, च्यवनप्राश आदि से निर्मित यह फार्मूले का योग चीन ने खोजकर अपने देश को पूरी तरह स्वस्थ्य कर लिया। लेकिन दुनिया को फिलहाल यह बताने वाला नहीं है। 
यहां अब देशी तरीके से इलाज किया जा रहा है। लोगों को आयुर्वेद की जीवनीय शक्तिवर्द्धक ओषधियों का उपयोग करवाया जा रहा है। 
भविष्य में चीन की बहुत विशाल योजना है कि- देशी चिकित्सा पध्दति को पूरी दुनिया में फैलाकर एक बड़ा साम्राज्य स्थापित किया जाय। 
चीन के प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान कर्ताओं ने शोधकर बताया कि-विश्व में अभी आयुर्वेद को जानने-मानने और अपनाने वाले लोग बहुत ही सीमित संख्या में हैं। 
आगे सम्पूर्ण विश्व आयुर्वेद का बहुत बड़ा बाज़ार बन सकता है। चीन ने इसके लिए अभी से ही तैयारी शुरू कर दी है।
इटली, इराक, कम्बोडिया, सिंगापुर, उत्तरकोरिया आदि देशों में चीन ने अपने देशी चिकित्सा करने वाले विशेषज्ञों को भेजा है।
चीनी सरकार का कहना है कि-उसने सभी देशों को परम्परागत ओषधयाँ भेजी हैं, इस कारण वहां कोरोना नियंत्रण में आ रहा है। 
बीजिंग के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने 
लिखा है चीन के देशी आयुर्वेदिक चिकित्सा विशेषज्ञों ने 64 देशों के 90 हजार से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना वायरस के इलाज से सम्बंधित जानकारी देकर ट्रेनिंग दी थी। 
चीन के सरकारी मीडिया ने तंजानिया के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि-
कोविड-19 केे विरुद्ध चीन का 
आयुर्वेदिक देशी इलाज अफ्रीका के लिए 
मॉडल हो सकता है। 
चीन के प्रशासनिक अधिकारियों ने स्वीकार है कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पध्दति थोड़ी राहत देने वाली ही नहीं अपितु देशी दवा बहुत ही चमत्कारी होती हैं। हम शीघ्र ही इसे दुनिया में फैलाएंगे। 
भारत वासियों को अब समझना होगा, साथ ही अपने जीवन में उतारना भी पड़ेगा कि- 
चीन, इटली, इराक, उत्तरकोरिया, तंजानिया, जर्मनी जैसे देश अब आयुर्वेद चिकित्सा पध्दति अपनाने पर मजबूर है, जो हमारे यहां बहुत सरलता से उपलब्ध है। 
हम अपने पूर्वज ऋषि-मुनियों की इस धरोहर को संभाले। यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी बनती है। 
हमारी प्रकृति के प्रति विमुखता और अपनी मूर्खता के कारण बहुत से कष्ट झेलना पड़ सकते हैं। 
आज धरती हमें जो तकलीफ दे रही है उसका इलाज भी माँ अन्नपूर्णा की कोख में ही छुपा है। हमारे जख्मों को माँ भारती ही भरेगी। 
आयुर्वेद भारत की राष्ट्रीय चिकित्सा पध्दति भी है। हमारे यहां आयुर्वेद के ग्रंथों का भंडार है, जिसमें हरेक साध्य-असाध्य आधि-व्याधि का वर्णन है। 
पुराण और ज्योतिष के शास्त्रों में भी आयुर्वेद के बारे में उल्लेख है। ॐ का जप भी हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।
ध्यान-योग,साधनाएं भी हमारे तन-,मन अन्तर्मन को पवित्र बनाने में सहायक है। 
बड़े-बड़े रोना, टोना झेलने वालों के लिए कोरोना बहुत तुच्छ रोग है। कोरोना को जल्दी ही जान से हाथ धोना है। भारत इसका अंतिम ठिकाना है। हमे इससे उभरने, जितने के प्रयत्नों में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहिए। 
शम्भू अपने साथ है, तो
डरने की क्या बात है। 
पूरी शक्ति और एकाग्रता से 
!!ॐ शम्भूतेजसे नमः!! 
का जाप हमे हर पाप-शाप से उभार देगा।
बस, हमे अपने नियम-धर्म, खानपान पर फोकस करने की आवश्यकता है। 
 
देश में सब मिलाकर 5000 से भी अधिक आयुर्वेदिक ग्रन्थ उपलब्ध हैं। 
भारत के लिए सबसे ज्यादा गर्व की बात है।
प्राचीन दादी-नानी घरेलू नुस्खे, जो रोग से व्यक्ति का तुरन्त वियोग करा देते हैं। 
अपना अनुभव... 
अघोरी की तिजोरी से
एक बार दक्षिण भारत के एक प्राचीन अग्नितत्व स्वयम्भू शिंवलिंग अरुणेचलेश्वराय के दर्शन करने के दौरान मार्ग में भयंकर आंधी तूफान आने लगा, ड्राइवर ने वाहन को एक किनारे लगा दिया। मैं उतरकर पेशाब करने लगा, इसी दरम्यान एक तिनका मेरी आँख में प्रवेश कर गया। जिससे मुझे आंखों में बहुत तकलीफ होने लगी। 
करीब 20 मिनिट बाद एक फटेहाल साधु, जो पदमार्ग द्वारा तिरुणामले मन्दिर के दर्शन करने जा रहे थे। मुझे बहुत विचलित देखकर रुके और परेशानी पूछने लगे! 
मैने जब उन्हें बताया, तो वे मुझसे बोले कि- 50 कदम उल्टे चलोगे, तो आंखों का तिनका निकल जायेगा। 
 
मरता! क्या नहीं करता
मेने साधु के आदेश का पालन किया, तो वज्मत्कार हो गया। 
परम शिवभक्त साधु ने बताया कि- आंख की किसी तरह की परेशानी जैसे-मोतियाबिंदआंखों का फुलाआंख आना, पानी बहने, ज्यादा आंसू आना, कम दिखनाधुंधलापन आदि अनेक चक्षु रोग दूर करने के लिए हमेशा उल्टे चलों।
यह प्रयोग मैने हजारों लोगों को बताया और उन्हें चमत्कारी रूप से लाभ हुआ।
 
कैसे करे बिना दवा के आंखों का इलाज
आंखों की किसी भी समस्या के लिए सुबह सूर्योदय के समय 
हरि दूब (दुर्बा या घांस) में नङ्गे पैर 100 कदम एक महीने तक नियमित चलें, तो आपका मोतियाबिंद, आइकेट्स में 50 फीसदी से अधिक आराम होने लगेगा। 
पैर सो जाना- 
अक्सर हाथ-पैर अचानक सोने की परेशानी बाबत से लोगों को रहती है। इसका भी इलाज है।
सिर दर्द की दवा…
सिरदर्द, आधाशीशी की शिकायत का भी 
ऐसी ही घरेलू चिकित्सा है। यह सब जानकारी अगले लेख में दी जावेगी।
फिलहाल यह ब्लॉग कुछ विस्तृत हो चुका है। 
ऐसे ही रोचक और दुर्लभ ज्ञान पाने के लिए अमॄतम पत्रिका से ऑनलाइन जुड़ें। 

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Comments

5 responses to “भारत में कोविड- 19 पर जीत, तो सुनिश्चित है, चाहें वह दवा से हो, दुआ से हो, समय के साथ हो अथवा प्रकृति या आयुर्वेदिक चिकित्सा से हो”

  1. Anil kumar avatar
    Anil kumar

    Very nice very informative very helpfull

  2. Juhi avatar
    Juhi

    Very informative and full of positivity. Please share more information

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