शरीर में आकाश तत्व की पूर्ति करता है ‘ॐ‘ का उच्चारण
ऊँ अर्थात प्रणव “अ उ म् बिन्दु और नाद” यह पांच अक्षरों से बनने वाला सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड का अति सूक्ष्म महामंत्र है। इस प्रणव मंत्र में आकाश तत्व की अधिकता है। कभी आप ध्यान दें, तो मंदिरों में घंटा बजाने पर ओम ध्वनि का उच्चारण होता है और घंटा बजाने वाले भक्त या श्रद्धालुओं के
भौतिक शरीर में आकाश तत्व की पूर्ति होती है।
आध्यात्म के वैज्ञानिक महामुनि महा आविष्कारक महर्षियों ने खोज की थी कि धर्म मार्ग में उन्नति तथा आकाश तत्व की पूर्ति की चाह रखने वालों को प्रतिदिन किसी शिवालय- देवालय में करीब 15 से 20 तक मिनट घंटा बजाना चाहिए।
वर्तमान में भौतिक वैज्ञानिकों ने भी खोज की,कि किसी भी आसाध्य रोग में या मानसिक रोगी को प्रातःकाल ब्रह्ममुहुर्त तथा सायंकाल बेला में घंटा बजाने से रोगी शीघ्र ही निरोगी होता है।
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