क्यों के रो रहा है-गोविंद की गली में। हर दर्द की दवा है-गोविंद की गली में

भय-भ्रम, डर-शंका से मुक्ति पाने का अचूक धार्मिक-आध्यात्मिक फार्मूला

जब मन-बुद्धि में भय व्याप्त जाए,
अवसाद या डिप्रेशन की स्थिति बनने लगे जाए तो महादेव के शरणागत हो जाओ। भय कुछ खोने का हो, भय कुछ लुटने का हो, भय शत्रु का हो अथवा तो भय प्राणों का ही क्यों न हो प्रत्येक स्थिति में भोलेनाथ की शरण हमें हरेक भय से मुक्त कराकर अभय प्रदान करती है।
भगवान शिव का एक नाम अभयेश्वर
भी इसी वजह से है।

भय को भगाते हैं-भोलेनाथ…..
जीवन में जितने भी प्रकार के भय हैं सबका निराकरण उस शिवकल्यानेश्वर की शरण में आने के बाद ही संभव है। जीवन की एक कड़वी सच्चाई ये भी है कि जब और जहाँ कोई काम नहीं आता, तब और तहाँ केवल मेरे महादेव ही काम आते हैं।
इसलिये गुरु तुलसीदास ने श्रीरामचरितमानस मेनस में भी लिख दिया कि-
हानि-लाभ, जीवन-मरण,
सुख-दुःख विधि हाथ।
इन 6 चीजों में बदलाव करने वाले मात्र
महादेव ही हैं।
विधि के विधान बदलने के कारण
अनेक सन्त-परमहंसों ने लिखा है कि-
शिव ही विधाता
शिव ही विधान।
शिव ही ज्ञानी
शिव ही ज्ञान। ।

जहाँ पर सबका बल क्षीण हो जाता है वहाँ से आगे फिर मेरे महादेव संभाल लेते हैं। यद्यपि सन्सार में सबक पास सब कुछ है। फिर भी भय से पीड़ित रहते हैं।
आदि शंकराचार्य के सदगुरू श्री गोविंदापाद स्वामी ने अपने शिष्यों से एक बार कहा था…
इस जीव-जगत के सभी तरह के भय-भ्रम से केवल अचलनाथ ही रक्षा कर सकते हैं।

भोलेनाथ! ऐसा आपके अतिरिक्त मुझे कोई अन्य नजर नहीं आता है-

नान्यं त्वदभयं पश्ये” हमारे समझने और स्वीकार करने भर की देर है, बाकी सच्चाई तो यही है कि चाहे हम कितने ही बलवान, सामर्थ्यवान एवं संपत्तिवान ही क्यों न हों मगर विपत्ति काल में उस प्रभु शम्भू के सिवा कोई हमारा सहायक, कोई हमें अभय प्रदान करने वाला हो ही नहीं सकता। रोग में – शोक में, दुख में-पीड़ा में कष्ट में- विपत्ति में जिस भी स्थिति में उस शिवकल्यानेश्वर के शरणागत हो जाओगे उसी स्थिति में उन कृपा सिंधु श्री शिव द्वारा आपको स्वीकार करके फिर आपकी प्रत्येक प्रार्थना को सुन लिया जायेगा। एक बार महादेव का भजन दिल से करके, तो
देखो भोलेनाथ आपको समस्त भयों से मुक्त कराकर अभय प्रदान करेगा ही।
यह वेद-शास्त्रों का कथन है, जो कभी झूठ जा ही नहीं सकता।
अतः प्रतिदिन प्रातः स्नान कर, अन्नरहित
होकर 2 दीपक अमृतम राहुकी तेल के जलाकर रक से 5 माला निम्नलिखित मन्त्र का जाप करें-
!!नमःशिवाय च शिवाय नमः!!
यह प्रयोग एक बार में 54 दिन करके देखें। सारा भय 100 फीसदी भाग जाएगा।
स्वस्थ्य रहने के लिए-
अमृतम च्यवनप्राश एक बेहतरीन ओषधि है
उनली ऑनलाइन उपलब्ध।
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