जानिए स्वस्तिक के बारे में दिलचस्प बातें

स्वस्तिक हिन्दू धर्म का अतिगूढ अर्थ वाला प्रतीक चिन्ह है...

सनातन धर्म के दो मूल आधार प्रतीक चिन्ह हैं…!!!! और स्वस्तिक।
ये दोनों मंगलकारक हैं। हिन्दू धर्म के प्रत्येक शुभ कार्यों में बाधाओं को दूर करने के लिए श्रीगणेश का आव्हान कर उनके निवास का प्रतीक स्वस्तिक बनाते हैं।
स्वस्तिक हरेक मङ्गल कार्य में हर स्थान पर कल्याण का पहरेदार है।
श्री गणेश पुराण में स्वस्तिक को जन्म-पालन-नाश की तीनों अवस्थाओं का प्रतीक
माना है।
स्वस्तिक के ध्यान से कर्म-अकर्म तथा दुष्कर्म तीनों सुधर जाते हैं।
यही दो चिन्ह हिन्दू धर्म की भावना, भाव, सृष्टि, इतिहास तथा सभ्यता का एक साथ बोध करा देते हैं।
जानिए स्वस्तिक की खास 23 बातें….
【१】स्वस्तिक में सकारात्मक ऊर्जा यानि पॉजिटिव एनर्जी का भंडार है। 
स्वस्तिक को हिटलर ने जर्मनी में उल्टे रूप में अपनाकर अपनी नकारात्मकता का परिचय दिया था।
【२】स्वस्तिक के अनेक अर्थ हैं। यह पुर्लिंग शब्द है। सूचीपत्र, पर्णक, कुक्कुट और शिखा स्वस्तिक के ही नाम हैं।
【३】नाग के फन के ऊपर एक नील रेखा होती है। उसे भी स्वस्तिक कहते हैं।
【४】हलायुद्धकोश में इसे धर्म के पवित्र 24 चिन्हों में एक विशेष माना है।
【५】घर या व्यापार स्थल पर स्वस्तिक चिन्ह अंकित रहने से नजर, है, बाधा, वास्तु दोष नहीं लगता।
【६】स्वस्तिक के रहने से चारों दिशाओं से सकारात्मक प्रभाव एवं ऊर्जा उत्पन्न होती है। 【७】वेद में स्वस्तिक को चतुष्पद यानि चौराहा कहा है।
【८】स्वस्तिक धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चार पुरुषार्थ का रक्षक भी है।
【९】संस्कृत भाषा के प्रकांड विद्वान पण्डित रामचन्द्र शास्त्री बझे के कथनानुसार
स्वस्तिक कमल का पूर्वरूप है।
【१०】भगवान विष्णु के वक्षस्थल पर विराजमान कौस्तुभ मणि स्वस्तिक आकार की है।
【११】स्वस्तिक एक प्रकार से सर्वतोभद्र मण्डल है, यानि चारो तरफ से समान है।
धुरंधर पण्डित बटुकनाथ शास्त्री खिस्ते की एक व्याख्या के अनुसार श्राद्ध आदि क्रियाओँ में पितृ मण्डल गोल【0】होता है तथा देवताओं का मण्डल चतुरस्र यानि चौकोर होता है। वहीं तन्त्रादि साधना में त्रिकोण मण्डल उपयोगी है।
【१२】परिपूर्णानंद द्वारा रचित “प्रतीक शास्त्र”  के अनुसार स्वस्तिक से त्रिशूल बना, फिर त्रिशूल से ही ईसाई धर्म का प्रतीक चिन्ह क्रॉस बना है। क्रॉस केवल स्त्री-पुरुष के सम्बंध का घोतक है।
【१३】ब्राह्मी लिपि की पध्दति से स्वस्तिक ही विध्नहर्ता गणपति हैं।
【१४】प्रसिद्ध खोजकर्ता जार्ज वर्डउड़ ने स्वस्तिक को सूर्य का प्रतीक माना है। उन्होंने अपने संस्मरणों में लिखा है कि –
जितनी ऊर्जा सूर्य में स्वस्तिक में भी उतनी ही है। बस हम समझ या देख नहीं पाते। घर में या बने स्वस्तिक सर्वसम्पन्नता में सहायक है।
【१५】वैदिक अनुशासन पर्व के मुताबिक यज्ञ आदि हवन क्रियाओं में अग्नि प्रज्वलित या उत्पन्न करने के लिए शमी वृक्ष की लकड़ी सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। शमी काष्ठ से आग पैदा करने के लिए सबसे पहले स्वस्तिक वाचन और स्वस्तिक पूजन का विधान है अन्यथा अग्नि प्रकट नहीं होती। अज्ञानता के चलते यह वैदिक परंपरा बहुत लुप्त होती जा रही है। इसी वजह से लोगों को अनुष्ठान का फल तत्काल नहीं मिल पाता।
【१६】तिब्बत के लामाओं के निवास स्थान एवं मंदिरों में स्वस्तिक अवश्य बना रहता है।
【१७】संस्कृत भाषा के पश्चमी विद्वान प्रो.मैक्समूलर ने अपनी एक पुस्तक में इटली, रोम, स्कॉटलैंड, हंगरी, यूनान, चीन, जापान तथा अरब आदि देशों में स्वस्तिक का बहुत उपयोग किया जाता था।
【१८】प्रो. ई टामस लिखते हैं आकाश में में सूर्य और प्रथ्वी में स्वस्तिक दोनों में बराबर ऊर्जा, अग्नि, तेज, शक्ति है। इसे स्वीकारना ही होगा।
【१९】सूर्य के रथ के पहिये, जिनमें धुरियाँ बनी हुई हैं-उनका प्रतीक स्वस्तिक है।
【२०】कश्मीर से खीरभवानी मार्ग पर एक पुरानी मस्ज़िद पर स्वस्तिक बना हुआ है। यह जहांगीर ने 1605 से 1628 के मध्य बनवाई थी! कभी अमरनाथ यात्रा पर जाएं, तो देखें।
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【२१】भारतीय स्वस्तिक बनाते समय दाएं से बाएं की तरफ ले जाते हैं और ईसाई स्वस्तिक बाएं से दाएं।
【२२】स्वस्तिक में छह पंक्तियां हैं, जो सूर्य की मुख्य 6 रश्मियां हैं।
 “षड्देवतात्मकम सूर्यरश्मित्वम”
सूर्य देव की 6 रश्मियों के नाम
★ दहनी-जलाने वालय
★ पचनी-पचाने वाली
★ धूम्रा-जलाने वाली
★ कर्षिणी-आकर्षण करने वाली
★ वर्षिणी- वर्षा करने वाली
★ रसा-पदार्थों में रस तथा स्वाद देने वाली
सूर्य की यह 6 रश्मियों को वेद में स्वस्तिक कहा है।
【२३】षडवेह स्वरा मुख्या: कथिता मूलकारंणम के अनुसार
मुख्य स्वर भी छह होते हैं। छह स्वर ही षड् देवता हैं, जिन्हें दक्षिण में मोरगन स्वामी यानि कार्तिकेय कहते हैैं, जो षडानन रूप में पूजित हैं, ये गणपति के ज्येष्ठ भ्राता भी हैं।
प्राचीन शास्त्रों में स्वस्तिक कैसे बनाएं इसका भी विधान बताया गया है।
स्वस्तिक के ऊपर की तरफ निकली किरणें चार दिशाओं की सूचक हैं।
दोनों तरफ 2-2 पंक्तियां यानि खड़ी लाइनें
रिद्धि-सिद्धि तथा दोनों पुत्र शुभ-लाभ का प्रतीक हैं।
स्वस्तिक के बीच में 4 बिन्दु 4 वेदों की घोतक हैं।
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4 responses to “जानिए स्वस्तिक के बारे में दिलचस्प बातें”

  1. अंजेश मित्तल avatar
    अंजेश मित्तल

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है स्वास्तिक चिन्ह का महत्व विस्तार से बताया है। आपको साधुवाद।

  2. dhananjay tiwari avatar
    dhananjay tiwari

    Excellent

  3. Ku kirti sharma. avatar
    Ku kirti sharma.

    Jai hoo sanatan dharam….
    Jai hoo amrutampatrika..hum fallow kerte hai aur kerwayege bhi.

  4. The Malcolm's avatar
    The Malcolm’s

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