सर्दी के दिनों में मालिश/अभ्यङ्ग/मसाज करने से होते हैं 15 फायदे

सर्दी के दिनों में मालिश/अभ्यङ्ग/मसाज करने से होते हैं 15 फायदे।

जाने इस लेख से
● अभ्यङ्ग का अर्थ
● अभ्यङ्ग का महत्व
● अभ्यङ्ग से लाभ
● अभ्यङ्ग से कायाकल्प
● किस अंग की मसाज से क्या लाभ
● किस तेल से करें मालिश
● मालिश का इतिहास
ठण्ड के मौसम में त्वचा में रूखापन आ जाता है, जिससे शरीर ऐंठने सा लगता है। स्किन की नरमी, मुलायम पन कम होने लगता है। चेहरा सूखा से होने लगता है, जिसके कारण मुख-मण्डल का आकर्षण
क्षीण होकर, सुन्दरता औऱ खूबसूरती नष्ट हो जाती है।

आयुर्वेद के की पुरानी पुस्तकों जैसे-
{१}  शल्य तन्त्र,
{२}  शालाक्य तन्त्र,
{३}  काय चिकित्सा तन्त्र
के अभ्यङ्ग अध्याय में उल्लेख है कि 80 विभिन्न आयुर्वेदिक ओषधि तेलों/हर्बल ऑयल द्वारा,  80 प्रकार से अभ्यङ्ग/मसाज की जा सकती है। अभ्यङ्ग से  शरीर को 80 तरह  के लाभ बताये गए हैं। टूटा-फूटा, कमजोर, जीर्ण-शीर्ण, शिथिल शरीर में मालिश द्वारा विशेष ऊर्जा-उमंग एवं चेतन्यता लाई जा सकती है। हमेशा ऊर्जावान औऱ जवान बने रहने के लिए प्रतिदिन या सप्ताह में 2 से 3 बार
मसाज करना जरूरी है।

अभ्यङ्ग का अर्थ-

■ शरीर पर तेल आदि लगाना।
■■ बार-बार हाथ से मलना।
■■■ अंग मर्दन , देह मलना
■■■■  मलाईअंग_सम्मर्दनआघर्ष

जिसके करने से शरीर के अंग-अंग भय रहित यानि अभय या रोग मुक्त हो जाये, उसे आयुर्वेद में अभ्यङ्ग कहा गया है।

अभ्यङ्ग किसे कहते हैं —

अभ्यङ्ग/मसाज/मालिश आयुर्वेद की विशिष्‍ट चिकित्‍सा पद्धति कहते है। इस विधि से शरीर में होंनें वाले रोगों और रोग के कारणों को दूर करनें के लिये और तीनों दोषों (अर्थात त्रिदोष) वात, पित्‍त, कफ के असम रूप को समरूप में पुनः स्‍थापित करनें के लिये विभिन्‍न प्रकार की प्रक्रियायें प्रयोग मे लाई जाती हैं।

अभ्यङ्ग/मसाज के चमत्कारी लाभ

【1】मांसपेशियों में लचीलापन आता है।【2】शरीर की नाड़ियाँ मुलायम होती है।

【3】हड्डियों में मजबूती आती है।

【4】जोड़ों में सूखापन नहीं आता।
【5】सिरदर्द दूर होता है।
【6】रक्त संचार/ब्लड सर्कुलेशन सुचारू होता है।
【7】वातविकार/अर्थराइटिस दूर होता है।
【8】शरीर की सूजन कम होती  है।
【8】थायराइड/ग्रंथिशोथ से बचाव होता है।
【9】शरीर की तड़कन, अकड़न मिट जाती है।
【10】बुढापा जल्दी नहीं आता।
【11】सेक्सुअल पॉवर/पुरुषार्थ और शारीरिक शक्ति में इजाफा होता है।
【12】खाज-खुजली, फोड़ा-फुंसी, त्वचा में रूखापन,रक्त-विकार, खून की खराबी और त्वचारोग/स्किन डिसीज़ आदि पनप नहीं पाते।
【13】हमेशा चुस्ती-स्फूर्ति बनी रहती है।
【14】रक्त चाप/बी.पी. सामान्य रहता है।
【15】तनाव, अवसाद/डिप्रेशन,  दूर होता है।
【16】नींद गहरी और अच्छी आती है।

क्या है मालिश/अभ्यङ्ग —

शरीर की बाहरी एवं नीचे स्थित मांशपेशियों एवं संयोजी उत्तकों को दबाना, हिलाना-डुलाना आदि मालिश/अभ्यङ्ग (Massage) कहलाता है। नियमित मालिश/अभ्यङ्ग/Massage
करने से शरीर में कार्य करने की क्षमता में वृद्धि होती है। कोशिकाओं के टूट-फूट का निवारन होता है। नियमित मालिश करने से तन-मन के रोम-रोम में रक्त का प्रॉपर संचालन होता है। आराम मिलता है और शरीर स्वस्थ, तंदरुस्त रहता है। मालिश करने से मांसपेशियों और गहरी परतों में ताकत आती है।

शरीर के किन अंगों की करें मसाज —

सिर की, पैरों के तलवों की, हाथ-पैर, घुटनों,
जोड़ों की,  उंगलियों, कोहनी, एवं पूरे शरीर आदि स्थानों पर हल्के-हल्के हाथ से मालिश करना लाभप्रद होता है।

अभ्यङ्ग है पुरानी दिनचर्या-

आयुर्वेद के अभ्यङ्ग शास्त्रों में अस्सी विभिन्न
प्रकार की मालिश का वर्णन है।
अभ्यङ्ग/मसाज महान भारत की प्राचीन परम्परा है।  लोगों की दैनिक दिनचर्या में स्नान से पहले या पश्चात पूरे शरीर पर तेल मालिश करना भी शामिल था औऱ आज भी कुछ लोग इस प्रक्रिया को अपना रहे हैं।
तेल मालिश से लंबे समय तक हमारी त्वचा पर चमक बनी रहती है, बुढ़ापा दूर रहता है। शास्त्रों में भी तेल मालिश करने की बात कही गई है। ग्रंथों में कई प्रसंग आते हैं जहां राजा-महाराजा तेल मालिश करवाते बताए गए हैं।

तेल मालिश एक ऐसा अचूक उपाय है जिससे त्वचा कांतिमय और सुंदर बनी रहती है। साथ ही त्वचा संबंधी बीमारियां से भी बचाव होता है।

अभ्यङ्ग का इतिहास-

मालिश/अभ्यङ्ग के बारे में सर्वाधिक जानकारी भारत के प्राचीन ग्रंथों में बहुत विस्तार से मिलती है। रोम, ग्रीस, रोमानिया, जापान, चीन, मिस्र और मेसोपोटामिया सहित कई प्राचीन सभ्यताओं में भी मालिश का ज्ञान पाया गया है।

जहां मालिश के बारे में पढ़ाया जाता है

जापान, चीन, अमेरिका, कनाडा,इटली आदि देशों में,तो अभ्यङ्ग/मसाज को अपने पाठ्यक्रम में जोड़कर व्यापक रूप से अभ्यास
कराकर अस्पताल और मेडिकल स्कूल में पढ़ाया जाता है। यह इन देशों में प्राथमिक स्वास्थ्य का एक अनिवार्य हिस्सा है।

किस तेल से करें अभ्यङ्ग –

1 – आयुर्वेदिक किताबों के हिसाब से हमेशा जड़ीबूटियों के काढ़ें/ओषधियों से निर्मित पतले और खुशबूदार काया की बॉडी ऑयल द्वारा शरीर की मसाज करना अत्यंत फायदेमंद होता है। 

2 – दूसरा यह भी ध्यान रखें की मालिश हेतु तेल पतला हो, ताकि तन के अंग-अंग तथा रोम-छिद्रों में अच्छी तरह शोषित और समाहित हो जाए।

आयुर्वेद की नई खोज –
नई खोजों, अध्ययन व शोधों से ज्ञात हुआ है कि ज्यादा गाढ़े तेल से शरीर में चिप चिपहाट पैदा होती है।  बादाम, सरसों, मूंगफली एवं तिली आदि गाढ़े तेल स्किन में खुजली, रूखापन पैदा करते हैं। इस तरह का गाढ़ा तेल शरीर के अंदरूनी हिस्से में नहीं पहुंच पाता।

किस हर्बल ऑयल से करें अभ्यङ्ग

सुन्दर स्वस्थ्य बनाये रखने के लिए

काया की बॉडी ऑयल

में “7” तरह के पतले और खुशबूदार जांची-परखी हर्बल ओषधियों का मिश्रण है।

घटक द्रव्य-

¶  गुलाबइत्र  ¶¶  केशर
¶¶¶  चन्दनादि तेल

¶¶¶¶  शुद्ध बादाम गिरी तेल

¶¶¶¶¶  जैतून तेल
¶¶¶¶¶¶  गुलाब इत्र
¶¶¶¶¶¶¶   सुगन्धित हर्बल

की प्राकृतिक खुशबू से तन-मन महक उठता है। काया की बॉडी ऑयल  प्राकृतिक ओषधि द्रव्यों से निर्मित सम्पूर्ण परिवार के लिए

अभ्यंग (मालिश) हेतु सर्वोत्तम है

इसकी मालिश/मसाज़ अभ्यंग से तन-मन और शरीर में ऊर्जा-उमंग,  चुस्ती-फुर्ती , तीव्रता व तेज़ी आती है। मानव के मन की मलिनता मिटती है।

काया की मसाज़ ऑयल

में 7 तरह के आयुर्वेद की जांची-परखी हर्बल ओषधियों तेेलो का मिश्रण  है। यह

22 तरह से उपयोगी है-

★ हड्डियों को ताकतवर व मजबूत बनाता है।

★ स्किन/त्वचा को चमकदार बनाता है।

★ कलर/रंग निखारने में सहायक है।
★ रक्त के थक्के नहीं जमने देता।
★ कमजोर कोशिकाओं शक्तिशाली बनाता है।
★ रोम/छिद्रों की गन्दगी बाहर निकालता है
★ खूबसूरती एवं सुन्दरता बढ़ाता है।
★ बच्चों का सूखा-सुखण्डी रोग नाशक है
★ बच्चों की लम्बाई बढ़ाता है
★ तुष्टि-पुष्टि दायक है
★ अवसाद, डिप्रेशन, भय, उन्माद,सिरदर्द,सिर की गर्मी  में राहत देता है
★ घबराहट, तनाव मुक्त कर,नींद लाता है
★ महिलाओं का सौन्दर्य बढ़ाकर खूबसूरती व योवनता प्रदान कर ऊर्जावान बनाता है।
★ चुस्ती-फुर्ती व स्फूर्ति वृद्धिकारक है
★ बादाम का मिश्रण बुद्धिवर्द्धक है। याददास्त बढ़ाता है नजला,जुकाम दूर कर,
★ वात-विकार से बचाव करता है

काया की तेल 

★ बुढापा रोकने में मदद करता है।
★ सब प्रकार से स्वास्थ्य वर्द्धक है।

कैसे करें अभ्यङ्ग-

अभ्यंग/मसाज/मालिश करने का सही तरीका-
आयुर्वेद ग्रन्थों में लिखा है कि  —
अंग-अंग में अभ्यंग बहुत हल्के हाथ से
सुबह खाली पेट और रात्रि में सोते समय करना चाहिए।
कैसे करें मालिश– अमृतम आयुर्वेद के “अभ्यंग चिकित्सा शास्त्रों” के “हर्बल अभ्यङ्ग” प्रकरण में स्पष्ट लिखा है कि- तन को तेल से सराबोर यानि पूरी तरह भिगा लेना चाहिये। मालिश करने के बाद कम से कम40 से 45 मिनिट बाद स्नान करना लाभप्रद होता है।

अब अन्त में जाने

अभ्यङ्ग के अनुभव
अपने पूरे जीवन में मालिश करने वाले

डा॰ हरिकृष्णदास एम॰ ए॰ ने अपने अनुभवों में लिखा है कि स्वस्थ्य-प्रसन्न औऱ लम्बी निरोग जीवन के लिए सप्ताह में कम से कम 2 से 3 बार मसाज अवश्य करना चाहिए। उन्होंने मालिश के अनेक फायदे बताये हैं।

मालिश से फायदे- मालिश से शरीर के अंग-प्रत्यंग, माँसपेशियाँ सुदृढ़ और शक्ति शाली बन जाती हैं। शरीर सुसंगठित, सुडौल और दर्शनीय बनता है। मालिश सौंदर्य- वर्धक है मालिश करने वाले का शरीर का कान्तिमय, सुन्दर और आकर्षक बन जाता है।

मालिश/मसाज का वैज्ञानिक महत्व

मालिश मानव की शरीर-सम्पत्ति को सुरक्षित और आरोग्य को स्थिर रखने तथा गत्तोरभ्य को पुनः प्राप्त करने का एक विधान है। नियमित मालिश द्वारा चिरन्तन स्वास्थ्य, दीर्घ—जीवन, सम्पूर्ण सौंदर्य और अनुपम मानसिक बल की उपलब्धि होती है। अभ्यङ्ग/मालिश/मसाज – एक प्रकार का चेतनाहीन व्यायाम है। कठोर अर्थात् सक्रिय व्यायाम/एक्सरसाइज सब लोग कर नहीं सकते। इस प्रकार के परिश्रमी व्यायाम से हृदय, ज्ञान तन्तु और स्नायविक/नर्वस सिस्टम पर एक प्रकार का बोझ पड़ता है।  वृद्ध, निर्बल और बीमार व्यक्ति के लिए कठोर व्यायाम निरर्थक ही नहीं, अपितु हानिप्रद भी है।

अभ्यङ्ग एक आरामदायक व्यायाम-

मालिश का प्रभाव कठोर व्यायाम की उपेक्षा भिन्न होता है। ज्ञान तन्तुओं पर दबाव डाले बिना और हृदय की धड़कनों को बढ़ाये बिना शरीर में निरर्थक गरमी या प्रस्वेद उत्पन्न किए बिना अभ्यङ्ग/मालिश शरीर के व्यायाम करने के सभी लाभों से पुरस्कृत करती है।

प्रयोग- परीक्षाओं से सिद्ध कर दिया गया गया है कि मालिश से शरीर में श्वेत कण/WBC औऱ

लाल कण/RBC  एवं हेमोग्लोबिन तत्व का सम्वर्धन होता है। रक्त की शुद्धि तीव्रगति से होने लगती है फलतः शरीर में रोग- प्रतिरोधक शक्ति

इम्यूनिटी पॉवर का संचय होता है।शरीर की रक्त-संचालन-प्रक्रिया/ब्लड सर्कुलेशन संयोजित होने से विजातीय पदार्थों (संचित मन) का निष्कासन सरलता से होता रहता है।

विजातीय पदार्थ-निष्कासन-कार्य तत्पर अवयव, फेफड़े, चर्म, मूत्र पिण्ड और आंतरिक जाल का स्वास्थ्य सुधरता है।

पाचनप्रणाली/मेटाबोलिज्म ठीक करे-

मालिश पाचन-व्यवस्था के लिए अत्यन्त लाभ दायक है। सभी पाचन— अंगों— जैसे कि आँतें, यकृत, आमाशय आदि को एक प्रकार की गति और शक्ति मिलने से उनकी कार्यक्षमता और उनके आरोग्य में अभिवृद्धि होती है। मालिश से त्वचा की सिकुड़न और फटन दूर होती है और वह कोमल, चिकनी, तेजस्वी और मनोहर बनती है।

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