सब उलट दिया, उल्टे हाथ वाले ने पार्ट-2

मात्र 13 फीसदी बाएं हाथ वाले लेफ़्टिज कभी सिनिस्टर्स कहलाते थे। आज कश्मीर का कलंक एक वामहस्त श्री नरेन्द्र मोदी ने धो दिया।
 
क्या होता है सिनिस्टर्स….
सिनिस्टर्स शब्द का इस्तेमाल उन लोगों के लिए किया जाता था, जिन्हें देखने पर आप महसूस करते हैं कि आपके  साथ कुछ बुरा घटने वाला है यानि इन्हें अपशकुन का सूचक माना गया और इन्हें देखना या इनसे बातें करना भी बुराई के तौर पर देखा जाता था। यहां तक कि लेफ़्टिज लोगों से बात करने में भी लोग हिचकिचाते थे।
अंग्रेजी भाषा के शब्दकोश में लेफ़्टिज को “सिनिस्टर्स” कहा गया है।
हर साल 13 अगस्त का दिन “लेफ़्ट हैंडर्स डे” के नाम से मनाते हैं। यानि आज के दिन दुनिया के उन तमाम लोगों को याद किया जाता है जो अपना हर काम बाएं हाथ से करते हैं, यानि जो लेफ़्टिज या वामहस्त हैं।
बाएं हाथ का खेल इतना आसान नहीं है
बड़े से बड़े काम को परिणाम तक पहुंचाना, अंजाम देना कई लोगों के लिए बाएं हाथ का खेल हो सकता है लेकिन मुझ जैसे हज़ारों लाखों लोगों के लिए हर काम को पूरा करने का बीड़ा हमेशा हमारा बायां हाथ ही उठाता है। लेफ़्टिज अर्थात उल्टे हाथ का उपयोग करने वालौं का अपना एक इतिहास रहा है।
नजर और नसीब की बात…
कई सदियों तक लेफ़्टिज को गन्दी निगाह से देखा जाता था। लोग इन्हें बदनसीब कहा करते थे। दुनिया उन्हें “टोना-टोटका करने वाले लोग” या तांत्रिक कहकर भी पुकारते थे। ये उस दौर की बात थी जब विज्ञान ने अपने पैर पूरी तरह पसारने शुरु नहीं किए थे। लेफ़्टिज बाएं हाथ वालों ने जब सफलता के झंडे गाढ़े, तब दुनिया के वैज्ञानिकों ने इन पर खोज करना शुरू किया। USA अमेरिका में पिछले 65 सालों तक लेफ़्टिज राष्ट्रपति पदेन हुए और इन्होंने अपनी बुद्धि और निर्णय से अमेरिका को सन्सार का बॉस बना दिया। समय बदलता गया और आहिस्ता-आहिस्ता वामहस्त लोगों को समाज ने सामान्य समझना शुरु किया और इनकी कार्यप्रणाली को समझना शुरू किया। लेफ़्टिज कभी नकलची नहीं होते। यह इनकी खाशियत होती है।
तांत्रिकों का तिलस्म…
दरअसल तन्त्र में सभी अनुष्ठान वामहस्त से करने का विधान है। इसलिए लेफ़्टिज को तन्त्र की पूजा करने में बहुत सुविधा होती है। अधिकांश तांत्रिक अपनी सिद्धि प्राप्ति के लिए लेफ़्टिज को अपना शिष्य बनाकर, उनसे होम-हवन आदि करवाते हैं या फिर वे-तांत्रिक खुद वामहस्त के होते हैं।
विज्ञान की खोज…
दाएं और बाएं हाथ के लोगों के बीच विज्ञान लगातार इस बात की खोज करने में लगा रहा कि आखिर ऐसा क्यों होता है कि कुछ लोग वामहस्त होते हैं।
अनेक वर्षों तक वैज्ञानिक यही सोचते रहे कि यह वामहस्त होना अनुवांशिक लक्षण है।
शरीर की किस कोशिका के किस क्रोमोसोम में ये जीन है, लंबे समय तक किसी ने खोज नहीं पाया। काफी लंबे अंतराल के बाद PCSK6 नामक एक जीन समूह की पहचान की गई और बताया गया कि इन्ही जीन्स की वजह से किसी व्यक्ति का वामहस्त होना या ना होना निर्धारित होता है।
 जेनेटिक्स विषय के एक प्रचलित जर्नल में प्रकाशित एक खोज के अनुसार PCSK6 जैसे एक से कहीं ज्यादा जीन्स मिलकर ये तय करते हैं कि व्यक्ति वामहस्त होगा या नहीं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक  हर जीन्स के दो हिस्से होते हैं जिन्हें एलील्स कहलाता है।
इस एलील्स में कई बार, बार-बार अकस्मात बदलाव आते हैं जिन्हें म्यूटेशन कहा जाता है। म्यूटेशन की वजह से अनुवांशिक लक्षणों में बदलाव भी आता है। प्लॉस जेनेटिक्स की उस रपट में बताया गया कि PCSK6 जैसे जीन्स के एक ही दिशा वाले एलील्स में बार-बार म्यूटेशन हो तो उस व्यक्ति के शरीर का उसी दिशा वाला हिस्सा ज्यादा सक्रिय हो जाता है। यदि जीन्स के बाएं हिस्से वाले एलील्स में म्यूटेशन हो तो व्यक्ति वामहस्त हो जाता है। वैज्ञानिक शोधकर्ताओं ने समय-समय पर इस विषय पर नई-नई धारणाओं को प्रस्तुत कर इसे प्रमाणित भी किया है।
लेफ़्टिज की सीधी साइड की बुद्धि ज्यादा काम करती है…
एक वैज्ञानिक अनुसंधान में पता लगा कि हमारे मस्तिष्क का जो हिस्सा ज्यादा सक्रिय होता है ठीक उसके विपरीत दिशा में शरीर का बाकी हिस्सा सक्रिय होता है। यानी वामहस्त लोगों के मस्तिष्क का दायां हिस्सा ज्यादा सक्रिय होता है। कई शोधें इस बात को भी इंगित करती हैं कि वामहस्त लोगों की आयु दाहिने हाथ वाले लोगों की तुलना में कम होती है लेकिन अब तक किसी शोध ने वामहस्त लोगों की कार्यक्षमता में कमी या किसी तरह की अनुवांशिक बुराईयों को साबित नहीं कर पाया है। इस विषय की वैज्ञानिक गहराई को एक लेख में समेट पाना मुश्किल है।
लेफ़्टिज का दर्द..
वामहस्त होने की वजह से मुझे व्यक्तिगत तौर पर कई तरह की समस्याओं का सामना बचपन से लेकर अब तक करना पड़ा है। कैंची, कंप्यूटर माउस, गिटार, हारमोनियम. स्वाइप मशीन्स, स्क्रू ड्रायवर्स, फॉर्क, सायकल की घंटी जैसी सैकड़ों वस्तुओं को चलाने में असहजता होती रही। बार-बार मुझ पर इस बात का दबाव दिया जाता था कि मैं दाएं हाथ से ही भोजन करूं जबकि ऐसा करना मेरे लिए तकलीफदेह था, मुझे ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती थी। शायद वामहस्त पाठक मेरी समस्याओं को बेहतर समझ पाएं। हम जैसे लोगों की इसी तरह की समस्याओं को भुनाने में बाज़ार ने भी कमी नहीं की।
विदेशों में तो बाकायदा लेफ़्टिज वामहस्त लोगों की जरूरतों के हिसाब से
ओनली फ़ॉर लेफ़्ट” और
 “द लेफ्ट हैंड स्टोर” जैसे स्टोर्स खुल चुके हैं और कई अन्य देशों में वामहस्त लोगों की जरूरतों को ध्यान में रख बाज़ार में सुविधाएं तैयार की जा रही हैं। ऑनलाइन बाज़ार भी वामहस्तों के लिए सामान परोसने लगा है।
परिवर्तन सन्सार का नियम है..
गीता का यह सार जीवन के पार लगाने वाला है। आगे चलने के लिए बदलना जरूरी है।
अब दुनिया में आम लोगों की सोच में परिवर्तन हो चुका है। अब वामहस्त लोग ‘सिनिस्टर्स‘ नहीं कहलाते हैं अपितु इन्हें बेहद प्रतिभावान माना जाने लगा है।
मैरी क्यूरी, नेपोलियन बोनापार्ट, ओपरा विन्फ्रे, बिल क्लिंटन, हेनरी फोर्ड, लिओनार्डो दा विन्सी, अलबर्ट आइंस्टीन, एडविन एल्ड्रीन, बिल गेट्स, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति श्री बराक ओबामा, भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई दामोदर मोदी,
अमिताभ बच्चन, 
रतन टाटा, सचिन तेंदुलकर, कपिल शर्मा जैसे अनेक वामहस्त लोगों ने सफलताओं के आसमान को चूमकर साबित कर दिया है कि इन लोग के लिए कोई काम असंभव नहीं।
लेफ़्टिज के लिए दुनिया का कोई भी कार्य सब बाएं हाथ का खेल है।
वैज्ञानिक आज भी ये पता लगाने की कोशिश में हैं कि हमारे डीएनए का कौन सा हि्स्सा व्यक्ति को लेफ़्टिज होने के लिए उकसाता है कि हम दाएं या बाएं हाथ का इस्तेमाल ज़्यादा करें… लेकिन जवाब आज भी किसी के पास नहीं है.
अमृतम परिवार की तरफ से दुनिया के सभी लेफ़्टिज को सादर नमन, प्रणाम
आपका अपना ही…
अशोक गुप्ता ‘लेफ़्टिज’
लेफ़्टिज के विषय में विस्तार से दिलचस्प
जानकारी के लिए पार्ट-1 ब्लॉग पढ़ना न भूलें

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