अकेलापन अपनेआप में वरदान है

अकेलापन ही छलनी का काम देता है।

अकेलेपन की आवाज को मानव समझ
ले, तो वही वट-वृक्ष के नीचे मिला हुआ वरदान साबित होगा। 
-कभी नदी के किनारे या फिर
घोर घने वन में किसी शिवालय में
नितान्त एकांत में चले जाएं।
-किसी सुनसान में ही अपना मन्थन,
चिन्तन कर पाओगे।
-आत्मचिंतन से आत्मप्रेम उमड़ता है।
आपको पता ही नहीं है कि आप
स्वयम्भू हैं। खुद बहुत बड़ी शक्ति है।
आपमें अपार पॉवर भरा पड़ा है।
-नदी की लहरें दिखेंगी,
लहरों के स्वरों की पहचान होगी।
-मन्दिर में घण्टे की आवाज आपके
घट-घट में जाकर ऊर्जा उत्पन्न करेगी।
-मन आनंदमठ में हिलोरे लेगा
-एकाकी होना मतलब
अपने हर चिन्तन
और चेतना से एक होना है।
अकेलापन बाजार में, भीड़ में,
स्नानघर, परिवार
या संसार में नहीं मिलता।
शांत।
एकांत।
जीवन से बढ़कर ब्रह्मांड में कुछ भी
नहीं है।
एक बार सोचें
अपने से आत्मरति करें
एक माह का प्रयास
आपको परमात्मा तक पकड़
बनवा सकता है।
अवसादग्रस्त लोगों की यह
सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा है।
डिप्रेशन से बचने के लिए
एक बार ब्रेन की गोल्ड माल्ट
का भी सेवन कर सकते हैं।
यह 100 फीसदी हर्बल ओषधि है।

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