नामुमकिन है इस दिल को समझ पाना !
दिल का अपना, अलग दिमाग होता है !!
दर्दे-दिल और मोहब्बत के मारे
मरीजों, प्यार-पीड़ितों को भी
कलयुगी औऱ स्वार्थी मोहब्बत
ने डिप्रेशन में डाल रखा है।
प्यार का इम्प्रेसन जमाने के
चक्कर में युवा कंगाल होकर
डिप्रेशन में आ जाते हैं।
प्रेम में परेशान युवाओं का हाल मक्खी
की तरह होता जा रहा है, जो पूरे जिस्म
को छोड़कर केवल जख्म पर बैठती है।
लड़को को भी अपना जिस्म में नहीं
जख्म जगाने में आनंद आता है।
जिन्दगी की हकीकत को बस हमने जाना है।
दर्द में अकेले है, खुशियों में सारा जमाना है।।
लव-प्यार, इश्क में फिक्स और
लिरिक्स, गीत की रीत में मशगूल
प्यार की पीड़ा से पीड़ित पीढ़ी बस
एक झलक अपने मेहबूब-महबूबा
को देखने के लिए उतावली और
उदास रहती है।
हम भी एक बार प्यार में इतने डूब
गए कि परीक्षा में वर्षा-ऋतु का
निबंध लिखना था और लिख आये,
वर्षा और ऋतु दोनों के प्यार के
बारे में उस साल फेल भी हो गए।
दिल लगाने से दर्दे-दिल, दिल का वजन
बढ़ता ही जाता है-कुछ इस तरह….
जब कभी फुर्सत मिले,
मेरे दिल का बोझ उतार दो।
मैं बहुत दिनों से उदास हूँ,
मुझे एक शाम उधार दो।
मेरे दिल का बोझ उतार दो।
मैं बहुत दिनों से उदास हूँ,
मुझे एक शाम उधार दो।
सभी धर्मशास्त्र कहते हैं कि किसी के
दिल को देवी-देवता नहीं समझ पाए,
तो हमारी क्या बिसात है।
भारत में यार-व्यापार, वार एवं
हथियार (सेक्स) के कारण दिनोदिन
नई पीढ़ी में सुरसा के मुख की तरह
बढ़ता डिप्रेशन का डर बहुत ही तनाव
या चिंता का विषय है।
क्यों बढ़ रहा है-अवसाद के 20 कारण...
प्यार और पानी में डूबा आदमी खुद
ही हाथ-पैर मारकर बाहर निकल
सकता है, नहीं तो डूबना या मरना
निश्चित है।
{१} अपनो से या इश्क-प्यार में धोखा
{२} अपनी तकलीफों को छुपाना
{३} पारिवारिक मूल्यों का पतन
{४} सहनशीलता में कमी
{५} बढ़ती महत्वकांक्षा
{६} धैर्य व सयंम न होना
{७} रिश्तों में दिखावा
{८} दुख के समय मजाक उड़ाना
{९} युवा पीढ़ी का परिवार औऱ
माता-पिता एवं समाज से दूर रहना।
{१०} स्वयं को स्वीकार न करने की कुंठा
{११} सामाजिक उपेक्षा
{१२} खुद को कमजोर व गिरा
हुआ समझना,
{१३} बार-बार असफलता
{१४} रात में पूरी नींद न लेना
{१५} नशे की बढ़ती प्रवृत्ति
{१६} निगेटिव सोच,सपने बड़े,
{१७} आर्थिक तंगी
{१८} रोगों का भय,
{१९} परिवार की चिंता
{२०} बेशुमार बेरोजगारी
आदि भारतीय समाज में डिप्रेशन
(अवसाद) के उपरोक्त कारण हो सकते हैं।
मन को मिलिट्री की तरह मजबूत
बनाने में सहायक तीन ओषधियाँ….
!- ब्रेन की गोल्ड माल्ट
!!- ब्रेन की गोल्ड टेबलेट
!!!- अमृतम जटामांसी चूर्ण
ब्रेन की है-मानसिक शांति की गारंटी
डिप्रेशन के दाग को पूरी तरह धो देता है।
यह शुद्ध देशी जड़ीबूटियों जैसे ब्राह्मी,शंखपुष्पी,जटामांसी से निर्मित है।
इसे औऱ अधिक असरदार बनाने के लिए
इसमें स्मृतिसागर रस मिलाया गया है।
अश्वगंधा आयुर्वेद की बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट मेडिसिन है।
शतावर मस्तिष्क में रक्त के संचार
को आवश्यकता अनुसार सुचारू करता है।
जिससे डिप्रेशन तत्काल दूर होता है।
प्रोटीन,विटामिन, मिनरल्स की पूर्ति हेतु
ब्रेन की में आँवला, सेव,गुलाब,त्रिकटु
का मिश्रण किया गया है।
अमृतम के नवीन प्रयास और अनुभव
से बन रहा है नया आयुर्वेद–
आयुर्वेद के इतिहास में अमृतम एक नया नाम है। नया अध्याय है। क्योंकि इस समय की खतरनाक बीमारियों से मुक्ति पाने तथा पीछा छुड़ाने के लिए आयुर्वेद की पुरानी परम्पराओं को परास्त करना जरूरी है।
अमृतम की देशी दवाएँ सभी के लिए
स्वास्थ्य की रक्षक औऱ दिमाग का सेतु है। हमारा विश्वास है कि दिमागी दवाओं में ब्रेन की का चयन ही आपको चैन देगा।
मस्तिष्क की चाबी है-ब्रेन की गोल्ड…
आयुर्वेद के उपनिषद बताते हैं कि-
जीवन की जटिलताओं,रोग-विकारों
से बचने के लिए आयुर्वेद ही पूरी तरह
सक्षम है। देशी दवाएँ स्थाई इलाज के लिये बहुत जरूरी है।
मानसिक रोग,अवसाद (डिप्रेशन) को
“अमृतम आयुर्वेद चिकित्सा” से ठीक किया जा सकता है।
ऐसे आता है अवसाद या डिप्रेशन
और इसके शारीरिक लक्षण....
¶~ रात में नींद न आना,
¶~ ख्यालों में खोना,
¶~ नैन-मटक्के में लगे रहना,
¶~ किसी काल में मन न लगना,
~ काम/सेक्स के प्रति ज्यादा झुकाव,
अधिक सोचना,
¶~ मंरने के विचार लाना,
¶~ हिम्मत हार जाना
¶~ सिरदर्द,कब्ज एवं अपचन,
¶~ कमजोर इम्युनिटी,
¶~ छाती में दर्द,
¶~ भोजन में अरूचि,
¶~ पूरे बदन में दर्द एवं थकान इत्यादि।
अवदास/ डिप्रेशन के दो प्रकार….-
डिप्रेशन या अवसाद को मनोवैज्ञानिकों
एवं अमृतम आयुर्वेद के मनोचिकित्सकों
ने दो श्रेणियों में विभक्त किया है-
■ प्रधान विषादी विकृति-
[द मैंन टॉक्सिस डिसऑर्डर]
इसमें व्यक्ति एक या एक से अधिक अवसादपूर्ण घटनाओं से पीड़ित होता है।
इस श्रेणी के अवसाद (डिप्रेशन) में अवसादग्रस्त रोगी के लक्षण कम से
कम दो सप्ताह से रह रहे हों।
■ उच्च कार्यकरण अवसाद
डाइस्थाइमिक डिप्रेशन-
इसमें विषाद की मन:स्थिति का स्वरूप दीर्घकालिक होता है। इसमें कम से कम
एक या दो सालों से व्यक्ति अपने दिन-प्रतिदिन के कार्यो में रूचि खो देता है
तथा जिन्दगी जीना उसे व्यर्थ लगने
लगता है।
ऐसे व्यक्ति प्राय: पूरे दिन अवसाद की मन:स्थिति में रहते है। ये प्राय: अत्यधिक
नींद आने या कम नींद आने, निर्णय लेने
में कठिनाई एकाग्रता का अभाव तथा अत्यधिक थकान इन समस्याओं से
पीड़ित रहते हैं।
अवसाद की आफत से लड़ने के लिए अपनाएं ये 21 तरीके…
【१】अवसाद से परेशान पीड़ितों
का मजाक न बनाकर उनके प्रति
अपनापन प्रदर्शित करना।
【२】डिप्रेशन से पीड़ितों के प्रति
संवेदनशील बने रहना।
【३】ईश्वर की दुआ औऱ अमृतम की
आयुर्वेदिक देशी दवाऐं भी अवसाद
कम करने के लिए बहुत फायदेमन्द है।
【४】आँसू हैं अवसाद है,
सब प्रभु का प्रसाद है।
ये सोच भी आपमें हिम्मत भर सकती है
【५】योग,व्यायाम, प्राणायाम,
मॉर्निंग वॉक, दौड़ना कसरत आदि करना।
【६】अच्छे साहित्य का अध्ययन करें।
【७】सन्तो का सत्संग सात्विज लोगों
का साथ ,समाज सेवा करें।
【८】समय पर काम निपटाना,
【९】आलस्य का त्याग,
【१०】सकरात्मक सोच,
【११】कैसे भी व्यस्त रहना,
【१२】सात्विक भोजन,
【१३】खर्चे में कटौती, लेखन,
【१४】प्रेरक कहानियां पढ़ना,
【१५】गरीबों की सेवा,
【१६】असहाय बच्चों को पढ़ाना,
【१७】नित्य भगवान का ध्यान करना,
【१८】घर,आफिस,मन्दिर,मस्जिद,
गुरुद्वारे की साफ-सफाई औऱ देखभाल करनाआदि में व्यस्त रहकर समय को
खुशी के साथ बिताया जा सकता है।
【१९】धर्म-धंधे में अपना दिमाग लगाए।
【२०】दस इंद्रियों से चलने वाला देह
रूपी दशरथ केवल कसरत से मानता है।
【२१】”प्यार बांटते चलो” वाली पुरानी
विचारधारा से पर चलकर काफी हद
तक अवसाद दूर हो जाता है।
आयुर्वेद के प्राचीन 6 दुर्लभ ग्रन्थ में लिखे हैं डिप्रेशन-अवसाद के उपाय-उपचार…
[1] शालाक्य विज्ञान,
[2] भैषज्य रत्नसार,
[3] रसराज महोदधि,
[4] मन की संवेदनाएँ
[5] चरक व
[6] सुश्रुत संहिता आदि आयुर्वेद
आदि में ढेर सारा लिखा पड़ा है।
इस समय ब्रेन को खुशनुमा बनाने के
लिए देशी दवा बहुत कारगर सिद्ध हो
रही हैं। आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार मष्तिष्क को राजा औऱ शरीर की कोशिकाओं को सेना माना गया है।
यदि राजा दुरुस्त है- मजबूत है,तो दुश्मन हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।
ब्रेन की गोल्ड माल्ट एवं टेबलेट
आयुर्वेद के नये योग से निर्मित नये
युग की अवसाद नाशक एवं डिप्रेशन
के राहत दिलाने वाली विलक्षण हर्बल मेडिसिन है।
यह सपने सच करने का साथी है।
डिप्रेशन के इम्प्रेसन से पीड़ितों के लिए
इसे सुबह खाली पेट गर्म दूध के साथ
लेवें, तो बहुत ही अच्छा है अन्यथा
इसे गर्म पानी में मिलाकर चाय की तरह
भी ले सकते है। इसे दिन में 3 से 4 बार
तक लिया जा सकता है।
आयुर्वेद की प्राचीन परम्पराओं को
परखने, पढ़ने औऱ परिपूर्ण होने एवं
अपना आर्डर
ऑनलाइन देने के लिए लॉगिन करें-
मोटीवेट करने वाली कुछ काम बातें,
शायद आपके काम आएं…..
यह सब ज्ञान या मतलब की बातें
जो संकट के दौर में दिन बदल देंगी।
इन्हें खुद भी आजमाए औरों को भी
प्रेरित या मोटिवेट करें।
∆ प्रेम-प्यार में फंसकर किसी
मोटी या पतली का वेट न करें।
∆ अपना वेट भी कम करें।
∆ सभी से सहानुभूति रखिये।
∆ अपने दुःख की तुलना दूसरों के दुखो
से बिल्कुल न करें।
∆ खुद के प्रति ज्यादा सख्ती न बरते।
∆ स्वयं को भरोसा दिलाएं
∆ मुश्किल समय में बाहर निकलने
का मार्ग खोजें।
∆ कुछ नया सोंचें।
∆ अनुशासन में रहिये।
∆ गंदी आदतों अलविदा कहिए।
∆ लक्ष्य हासिल करने के लिए कुछ
भी करिए।
सिर्फ काम और काम केवल काम ही हर जाम और जंग को खोल सकता है।
खराब समय आपको कुछ अच्छे लोगों से मिलवाने के लिए भी आता है।
∆ सदैव चुनोती का इंतजार करें।
∆ जब आप कुछ पाना चाहते हैं, तो
सारा ब्रह्माण्ड उसे हासिल करने में
आपकी मदद करता है।
इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई
बाधाओं के बावजूद हमेशा महान
आत्माओं का निवास रहा है। आप भी
उन्हीं अच्छी आत्माओं में से एक हैं।
∆ विश्वास और शक्ति,
दोनों किसी महान काम को
करने के लिए आवश्यक हैं।
∆ जब हम ईश्वर के चरणों में मस्तिष्क
झुकाकर प्रणाम करते हैं, तो चिन्ता
के सभी कीड़े प्रभु के चरणों में गिरकर
हमें चिन्ता भय भ्रम से मुक्त कर देते हैं।
∆ कलम, कदम और कसम सोच
समझकर ही उठाएं।
∆ वाणी से, बोलने से, सुनने से ओर
सोचने से जैसे तत्व तन में जाएंगे वही
शरीर बनाएंगे।
अमृतम पत्रिका के बेहतरीन ब्लॉग पढ़ने
के लिए-
सेक्स का ज्ञान बढ़ाएं-
जाने गुरुपूर्णिमा ओर अघोरियों के बारे में
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